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उद्धृत किया गया है ! मैं इस ग्रन्थ को प्रकाशिका संस्था का भी धन्यवादी हूं! धातुपाठ के अनन्तर प्राकृत-व्याकरण की सूसूची भी दी गई हैं। इस सूसूची को तैयार करने में आचार्य श्री प्रात्माराम अन मिडिल स्कूल, अन्ना (लुधियाना) की मुख्य अध्यापिका बहिन रक्षादेयो शर्मा तथा अध्यापिका कुमारी शंना देवी का सर्वाधिक परिश्रम रहा है । कुमारी दर्शना ने तो इस सूत्रसूत्री के तैयार करने में अपने प्रन्य मावश्यक कार्यों की ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया। मेरी "प्राकृत-व्याकरण की अकारादिक्रम से सूत्रसूची अवश्य तैयार होनी चाहिए" इस कामना को मूर्त रूप देने में इस देवी-युगल ने सहयोग देकर जी स्नेहातिरेक दिखलाया है, उसके लिए हृदय से धन्यवादी हूँ। बितीत प्रार्थना--
इस सत्य से मुझे इनकार नहीं है कि मैं कोई विद्वान या लेखक नहीं हूं। तथापि जो कुछ लिखा गया है, यह प्राकृत-भाषा के विद्यार्थी का एक साधारण अभ्यास या प्रयास ही समझना चाहिए। प्रत: "गायत: स्खलनं क्वापि" के अनुसार स्खलना का हो जाना स्वाभाविक ही है । इसलिए पाठकों से सप्रेम एवं साग्रह प्रार्थना करूंगा कि जहां पर भी उन्हें कोई स्खलना दृष्टिगोचर हो, उसका सुधार करलें और उसकी सूचना इस सेवक को देने की उदारता अवश्य करें ताकि अग्रिम संस्करण में उस स्खलना का परिहार किया जा सके । धन्यवाद ।
जनस्थानक, पटियाला
19-2-1977
प्रार्थी-- जानमुनि