Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Atmaram Jain Model School

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Page 461
________________ -099500RRAVINAadiummaNAMOHAMMAINAMAAJAMMURMULI - -- . * प्राकृत-व्याकरणस्य * चतुर्थपादस्य . सोएबा 4,438 २५९,वाहरिज्जइ 4,253 (उप- हिया 4, 422 उपसर्ग-पूर्वको हातुः उवह रइ हिबउँ (हृदयम्) 4,350, 367, हवं (अहम्) 4,338,340,370, 4, 251 (निस-उपसमं- बैंकः 422, 430, हिमडा 4, 357, 375, 379, 391,410,411, हर-धातुः) नीहरइ 4, 251 422,439 / 420, 422,423,425,439 (परि-उपसर्ग-पूर्वको हर-घातुः), हिडिम्बाए ( हिडिम्बायाः) 4, * हो (हंस:) 4, 288 परिहर इ 4, 259, 334, 389 299 . हरका (निषेधति) 4, 134 (प्र-उपसर्गपूर्वक हर-धातु:)पह- हिण्डीअदि (हिण्ड्यते) 4, 299 हनुवाइ (उरिक्षपति) 4, 144 रइ 4, 84,259 (प्रति-उपसर्ग- हितपकं, हितपके ( हृदयम् ) 4, हो (प्रहम् ) 4,282,299,301, पूर्वको हर धातुः) पडिहरइ 4. 310 259 ( वि-उपसर्ग-पूर्वको हर- हिबएण(हृदयेन) 4, 265 हजे (चेट्याहाने) 4,261,302 धातुः) विहरइ 4, 259 (सम्- हिवह (भवति) 4, 238 हाइ (सूमोति) 4, 58 उपसर्ग-पूर्वको हर-धातुः! संह- हा(पाश्चर्यादी निपात:)४,२८२, हरण, हाई ( हन्ति ) 4, 458 रइ 4, 259 ही ही 4, 285, 302 THE4.244 हणिज्जइ, हारहार:)४,३९१,४२०.४२२ होसमखं (ह.रेषितम) 4.258 -हणिहिए, हम्मइ, हम्मिहिइ, हरिणाई (हरिणा:)४, 422 (खल) 4, 390 . : हन्तवं हन्तण, प्रो 4, 244 हरिसह (हृष्यति) 4, 235 हहरण बुहोति )4, 241 // हत्या (हस्तः) 4,445, हस्थडा हलहरम्).४,३२६ . . 4,439, हस्थु 4, 422 हत्थे 4, हला ! (सख्यामप्रणे) 4, 260 कारखएं (कारण) 4, 422 हलि ! (सख्यामन्त्रणे) 4,332, हवयह (हुतवह).४, 264 - हत्यि (हस्ती) 4,443 हुवासरणो (हुताशनः) 4,265 . हन्ति (हन्ति) 4,406 हल्लोहलेख (विक्षोभेण) 4,396 हल (माष्टि) 4.105 :हम्मा (मछति) 4, 162 हषद (भवति) 4, 238 / हुलइ क्षिपति) 4, 143 : : हर्यावहि (हतविधिः) 4. 357 हम, हलह ( हसति ) 4, 196, हवह (भूयते, हयते) 4,242 हमास (हस्ताका) 4,383 - 231, हसन्तु 4,383, हसिंतुन हा शब्दानुकरणे निपातः) 4, हर, हसहरति)४, 201,234, 4,312. हस्सइ, हसिज्जइ 4, 423 239, हरिजइहीरइ४ 250 249, हासउ 4, 396 हज (भूतः) 4,422. . . हराविमा ४,४०९(अनू-उपसर्ग- हस्ती (हस्ती) 4,289 हेद्र (मधः) 4, 448 पूर्वका हरघातुः) अणुहरइ 4, हारवा (नाशयति) 4, 31 हेलिहि मालि!) 4,39,422 252, 418 महरहि 4,367 ह (हिं) 4, 422 . होन्सओ प्रभविश्यत, भवन) {प्राइ-उपसर्ग-पूर्वक: हातुः) हिलयं हृदयम्) 4, 23, हिमय 355, 372, 3.73, होन्लज 4, प्राहर४, 259 (व्या-उपसर्ग- 4,439, हिउँ 4, 370, हि. 379, 350, होमः 388, पूर्वक हर-धातु) वाहइ 4,76, अइ 4,330, 395, 420, 418 . . . . * समासम् ॐ दी गिरि प्रिंटर्स, रेलवे रोड, अम्बाला शहर।।

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