Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 114
________________ कम्युसियचरमतिय कम्मुद्देसियचरमतिय कम्मुद्देसियचरमतिय पूइयं कम्मुद्देसियचरिमेतिय कम्मुद्देसिय जायतियम्मि कम्मुरलदुर्ग थावरकाए कम्मुरलदुर्ग थावरि कम्मुरलदुगमपन्जे कम्मुरलमीस विणु कम्मुरलविडब्धिदुगाणि कम्मेयरभूमिसमुब्भवाइकम्मेहिं वज्जसारोवमेहि कम्मो णिरंसयाए कम्मोदएण मणपरिणामे कम्मोदय भेअकओ कम्मोदयम्म कहो, कम्मोदयसंकेसो गिहिंगोरव कम्मोवक्कामिज्जइ अपत्तकम्मोवरि धुवेयर क मए कि करणिज्जजायं, कय आठराइकज्जो, संवरणं कठनसालि भदा दरिदभावे कउभडसिंगारो कयकप्पतिप्पकिरिया कयकम्मादाणवओ जिन ककरणा वि यदुविहा, कयकरणा वि सकज्जं कय करणाहिं कार्ड, कयकरणो तकाले 1 (वि. सा.) ३०० (पंचा.) ६१० कपधम्मो १ तह सीलबं कयनयणामयबुद्धिं द कपनक्कष्पविहारा, कयन्नुआ नाम गुणाण कयपंचंगपणामो दाहिण कयपंचंगपणामी, साणंदो (प्र.सा.) ५७० (पं.प.) २२ (क. प्रा. ४) ३८ (क-४) २७ (पं.सं.) १ (क-४) २८ (क. प्रा. ४) ४१ (भ.भा.) २५१ (उव.) २५० (जो. प.) १०६ (ध.सं.) ९४० (गु.त.) ११९९ (आय. २) ४० (सु.गु.) ५४ (पं.सं.) ७७९ क कयपच्चक्खाण किरिङ, कयपच्चक्खाणो वि अ कयपच्चक्खाणो विय कयपच्चक्खाणो विय कयपवयणप्पणामो सत्ता कयपावो वि मणुस्सो, कयपायो वि मणुस्सो कयपावो वि मणुस्सो कष्पावो वि मणूसो कप पावो वि मणूसो (गु.त.) २१२९६ कयमेत्थ पसंगेणं उत्तरकालकयमेत्थ पसंगेणं उस्सग्गकयमेत्थ पसंगेणं एमादि कयमेत्थ पसंगेणं झा कयमेत्थ पसंगेणं तवो (ध.उ. २) ११ (चे.म.) १९८ (हि.उ.) १७९ (ध.सं.) ५७२ (द्वा.कु.) ८1१० (ऋषि) १२२ ककल्लाणकलावा ते इह कयमेत्थ पसंगेणं स कयकिच्चाण जिणाणं, कयकेसवेसपरियरकयगत्ते कम्मस्सा आदिमकयगहिरविरसस) विसंदु कपगुणरयणा इकारसंांगिणो कयचउसरणो णाणी, कयमेत्थ पसंगेणं समासओ कयमेत्थ पसंगेणं सुद्धाणा - कपलं अलिंजरे, कंदल कयलीगमदलसमा पडला कयलीदलगन्धसमा पडला कयचितो दढचित्तो अणुत्तर- (सं.प्र.) १४६ कयवज्जतुंड बहुविह कयजोगसमायारा उवओगं (अ.सी.) २ | (पंच.) २८६ (पंच.) २८६ कयवयकम्मयभावो, कपदुकरणवचरणं | (त्रि.कु.) ३० (उ. प.) २६६ (श्रा.प्र.) १९४ (पं.सं.) ४०८ (द्वा.कु.) १।१८ (उ.चि.) ३६४ (प्रत्या.) २९४ (न.मा.) ७१३ (योगो.) ४ कयपावो वि मणूसो कयपुढविपच्चक्खाणे कयबहुविज्जोओ कयमाल नट्टमालयसुराओ कयमित्थ पसंगेणं एसो कथमित्थ पसंगेणं जहोचि कयमित्थ पसंगेणं जहोचिया कर्यमित्थ पसंगेणं वनाइसु कयमित्थ पसंगेणं पगयं (पंच.) कयमित्थ पसंगेणं सविसय- (पंच.) कयमित्थ पसंगेण पूजा कयमेत्थ पसंगेणं, कयमेत्थ पसंगेणं, (सं.प्र.) १०६९ कयमेत्थ पसंगेणं इमिणा (ध.गु.) २७ (चे.मं.) २६८ (चे.म.) २३५ (जं.कु.) ५ |कयवयकम्मयभावो १, (सं.प्र.) १०७४ कयवयकम्मो तह सीलवं (आर. २) ७७१ (आरा. १) २५८ कयवयपरिकम्मतं, कय-विक्रयाणि निच्च, कपवेसपरावतो वरधगुणा कयसज्झाओ य खणं कयसामइओ पुव्वि बुद्धीए (स.शा.) ८९ (पंच) ५३७ (पंचा.) २३४ (प्रत्या.) २५४ (पिं.सो.) १ 63 (पु.मा.) ३८० (आरा. १) २१२ (आ.ग्र.) ५७ (पंच) ४६१ | (ध.मा.) ६४ करके विस ससि दसमी, (आरा. २) ३७८ करचरणनयणदंसणाइधोयण (सं.प्र.) १०४९ करचरणनयणस्वनुदुषाण(ग.सा.) १२४ कर-चरण-वयण-नयणं (ल.क्षे.) ८७ | करचरणादिसु जोगा (पंच.) १५५३ कर जोडिवि अम्मत्थिया करड तह कुम्मरुवी काला (पंच.) १३०१ (स्व.) १९२ करडा कुंजरगंडा, (वि.वि) ३२२ करणं अहापवत्तं अपुव्य १६७० १५७१ (पंचा.) १८४ (चे.म.) १११ (चे.म.) ८७४ (उ.प.) ८८७ (पंचा.) ३९० (उ.र.) १४४ (उ. प.) १६१ (पंचा.) ८९२ (पंचा.) ४२३ (उ.प.) ७८८ ४७९ ३५८ (दे.ना.) १७८ (प्र.सा.) ५०४ (वि. सा.) २०४ (भ.भा.) १५४ (उ. प.) (उ. प.) (याद) १ (गाथा.) ३२७ (ध.र.) ३३ (षट्) ३ (हि. उ. ) ३५४ (न.मा.) १८० ( य.च.) १०४ (श्रा. प्र.) ३१४ कयसामहओ सो सारे कयसामाइयकम्मो कयसिंगारो अज्जा सभासु कयसिद्धनमोकारो, पुणो कयसुअनाणाविक्खा, कयसुयगुरुपयपूओ पियकर उयर अंतरेगं करकंडुमाइणो तह (गु.त.) २७ (आ.ग्र.) १ (बि. प.) २ ( क्षान्ति) ८ करकट्टलाभपुच्छा जोतिसिय- (उ. प.) २८१ करणं अहापवत्तं अपुव्व करणं अहापवर्त्त अपुण्यकरणं अहापवतं अपुव्वमणि करणं पुण आणाए विरिया करणं वाहाणयणं तह करणअपने पजे करधरियजोगमुद्दो, ( श्रा.प्र.) २९३ (आरा. ३) ८५ (सं.प्र.) ४०८ (चे.म.) ७८९ करणकयाऽकरणावि करणकारणअणुमई(इ) करणस्स संखभागे करणाई तिन्नि जोगा करणाइं तिनि जोगा करणाई तिथि जोगा करणाइए अपुच्चो करणाइ तिण्णि जोगा करणा-ऽऽइ, तिणि जोगा करणादि तिष्णि जोगा करणाय नोवर्सतं ३करणे जोए ४सन्ना करणेण अपज्जतो सो करणेण सहावेण व, | करणोदयसंतविऊ तन्नि करणोदयसंताणं करणोदयसंताणं करनोवरि अंतुमुहुतकरदाणेण व सच्चे, अनोन्नु करधरियजोगमुद्दो, (ज्यो.) १६ (वि. सा.) २४४ (हि.उ.) ६१ (र.प.) ६७ (ध.सं.) १८५ (प्रा.सं.) ६८ (द्र.प.) ८१ (पा.ल.) २०३ (ध.सं.) ७९४ (वि.वि) १०७ (कर्म.) ३२० (पंचा.) १२३ (सामा.) १३ (उ. प.) ७४५ (क.सं.) ८० (कर्म.) ३१३ (इ.कु.) ११ (पं.सं.) ७८५ (प्र.सा.) ८४१ (प.स्था.) ४४ (वि.सा.)३५७ (पं.सं.) ७४८ (पंच.) ११६४ (स्त) ५५ (पंचा.) ६४८ (पं.सं.) ८१८ (वि.सा.)३५६ (श.भा.) ७७ (ष. भा. ) ३१ (कर्म) ४७३ (कर्म) ४६९ (कर्म.) ४७१ ( स.उ.) १८ (श्रा. ध. ) ४० (चे.म.) १९१

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