Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 254
________________ नर रईया देवा सिद्धा नर रईया देवा सिद्धा नरपंचिदिय तिरिया, नर पुव्वकोडिआऊ, नरभावं लहिऊणं आसवनरभावं लहिऊणं आसवनरमगरविहगवालगनरपठवट्टान इहं भवनं नरयकडयम्मि पत्तो नरयगड़गमणपरित्थए नरयगइहेउजोइसनिमित्तनरयगईपाओग बंधती नरयजद विहूणा पुण नरवत्तिगं देवतिगं नरयतिग जाइथावरचउ नरयतिरिएंस गयाइं पलिओ नरय १ तिरि २ नर ३ नरय तिरियाइएसुं तस्स नरय तिरिया गयादस, नरपत्थो ससिराया, बहु नरदुगं तिरियदुगं नरयदुगं तिरियदुगं नरयदुगं तिरियदुगं नरमदुगस्स वि नरयदुवारनिरुंभण, कवाडनरयनिरुद्धमईणं, दंडियनरयपालेहि वियणं नरयभवा नारंइया तिरो नश्यम्मिय नेरइया, नरयम्मि वि जीव नरग्मि विदया नरयसुरसुहुम विगलत्तिगाणि नस्याउ नरयतिरिदुग (इंग) नरयाउ नीयमस्साय घाइनरयाउयस्स उदए नरए नरयाओ उव्वट्टा, गभे नरयाओ उव्वट्टो तिरिओ नरयाणुपुव्वियाए, सासणनरया दस विह वेयण नरया नेरइयाणं आवासा नरयासुरवासेहिं असंखनव्वद्वाणं लद्धिसंभवो नरलोयमेत्तमेयं ति 1 नरविबुहेसरसुक्खं दुक्ख नरविबुहेसरसुक्खं दुक्ख न (बृ.सं.) १४९ (का.स.) २७ (प्र.सा.) १४३२ नरविबुहेसरसोक्खं दुक्खं नरविबुहेसरसोक्खं, दुक्खं नरखे अपढमभंगे, नरसंखाउयगमणं, नरसिद्ध गोयमाई ९ गंगेयनर सिर कवाल माला नरसिरकवालमाला न तिदंडं नरसुंदरतं सोठं नरहति न चिती, भवम्मि न रहसि सद्दाइ मणोहरेसु नरिंददेवेसरपूइयाणं, ( आरा. १) ४२५ (प.आ.) १९६ ( दी. प.) ३९ न लहड़ जहा लिहतो, न लहइ जहा लिहंतो नलिणऽज्झयणं सुणिउं नलिणमिणं मलिणमिणं, नलिणीगुम्मो ११ पठमोत्तरे (भ.भा.) ६६ नव अट्ठ अजोगिसिम्मि (बृ.सं.) २७४ | नव अट्ठारस एगूणतीस (उव.) २५६ नवअडविणुतणयोए (स.भा.) १५६ नव अहिगारा इह ललि (सप्त.) ७१ (आरा. १) ८४७ (उव.) १०३ (सं.प्र.) ३९८ (श.भा.) ४३६ (स.भा.) १२७ (पं.सं.) २३६ (क-२) ४ (भ.भा.) ५१७ (मा.बं.) ४ (प्र.सा.) १२८८ नव आयाम तिवित्थर दुइ (वि.सा.) ८१० नव गुणासी चुलसी, (पं.सं.) ६०४ नवइ सम सहस लक्खा, (शी. कु.) ४ नवई पुण कोडीओ (उब.) ४४२ नवई पुण कोडीओ (आय. १) ८४९ नवई य सयसहस्सा रोम (वि.वि.) ३८ नव उदए संताई असीइ नवउदओ अयोगे नव एग पंच चउ इग नव नवरविरुद्धगणे राज्जा (आरा. ३) ७७ (आउ. २) २२ (आउ. २) ४ (सू.सा) २६ (ल.भा.) १० (सू.सा) ४७ (क. प्रा. १) १२२ (जै.दी.) ४०६ (पं.लि.) ३८ (क.भा.) ८ (बृ.सं.) २०८ (प्र. सा. ) ४१ (श्रुता.) ११२ (प्र.सा.) ४२ (चे.म.) ६९४ (वि.वि) १११ (श्री. प्र. ) ५६ (इ.प.) ३३ (आय. २) ६९९ (आग. १) ७९८ (गाथा.) २७२ (सप्त) ४५ (स.भा.) १५९ (दे. प्र) ३५६ (क.सं.) १२८ (चै.भा.) ४६ (गणि.) ८५ (सप्त.) २४२ (बृ.सं.) २०३ (वि.सा.) ४५४ (एक.) २७ (दे.कु.) १० (स.भा.) १८६ (क.सं.) १५१ (सि.सा.) १२७ (स.भा.) ६१ नवकप्पेण विहरणं गुरुकुल- (श्रुता.) १२८ नवकप्पेहि विहरो नवकप्पो य विहारो, (आरा. १) ३२५ (प.आ.) ८३ (सं.प्र.) १३४३ (ध्या.श.)३३ (ई.प.) ३५ (द्र.प.) ८६ (पो.वि.) २३ (पो.वि.) ९० ( आरा. १) २२२ | नवकम्माणायाणं पोराणनवकम्माणायाणं, पोरान| नवकम्माणायाणं, पोराणनवकररसरयणीसरमिअ | नव करि असपालपुरीगारस नवकारं उच्चरई अह | नवकारं तो बंदिय भूमितले नवकारं भणिऊणं | नवकारइक्क अक्खर पावं | नवकारपडलनवकारपडल नवपंजिया | नवकारपभावेणं जीवा (ध.सं.) ८०९ (दं.प.) २५६ (सि.पं.) २४ (वि.पं.) २४ (र.सं.) ३५५ (ना.वृ.) ४३ (ना.प्र) ४३ (उ. प.) १०१४ (चे.म.) २८१ (वीर.) ११ (उ.स.) १२ 233 (र.सं.) २ (उ.पं.) ३२ (पंचा.) ९७१ (आ.म.) १८ नवगनियेसे दूराओ करो (प.आ.) २५७ (पो.वि.) ३६ (चे.म.) ४६९ नवकारपभावेणं जीवो नवकारपभिइयं तो सज्झायं | नवकारपाढमेरो काउस्सग्गो नवकारपुव्वयं चिय नवकारपुव्वयं चिय कीरइ नवकार १ पोरसीए २ नवकारपोरसीए पुरिमड्ढेनवकार-पोरसीए पुरिमड्ढे नवकार १ पोरिसीए २ | नवकार१ पोरिसीएर | नवकार पोरिसीए पुरिम नवकारपोरिसीए पुरिमड्डेनवकार पोरिसीए पुरिमठ्ठे नवकारपोरिसीए पुरिमुडि | नवकार भणण-पुव्वं, नवकारभावियमणो सुहनवकारमुहुत्तेर्हि पुज्जइ नवकारवज्जिओ सो नवकारसहिअ पोरिसी, | नवकारसहिएहिं पणयालीनवकारसहियएहि, पणनवकारसहिय १ पोरसि नवकारसहिय पोरिसि, नवकाराई सुतं सव्वं नवकाराओ अन्नो, सारो नवकारेण जहण्णा, दंड नवकारेण जहन्ना, जहन्नयनवकारेण जहला दंडगथुइ नवकारेण जहना दंडगथुइ | नवकारेण जहन्ना, दंडयथुइ - - नवकारेण जहन्ना दण्डक नवकारेण विबुद्धो, नवकारेण विवोहो नवकारेण विबोहो, नवकारेण विबोहो नवकारेण विबोहो नवकारेण विबोहो नवकोडि नवइकोडी, नवकोडिसयसहस्साइं नव खारि पचास मणी नव खित्ते ववइ धणं, जसेण नवगं, बत्तीसा वि य, नवगच्छक्कचउक्के नवगं नवगनिवेसे दूराओ उकरो (उ.पं.) २३ (पंचा.) ९६२ (र.सं.) ५१३ (पंच.) ५०६ (ल.सा.) २६ (प्रत्या.) ३८ (वि.सा.) ७५४ (सा.प.) ७३ (प्र.सा.) २०२ (प.भा.) १७ ( य.च.) १७ (स.शा.) २१० (पो.वि.) ६६ (प्रत्या.) ४४ (उ.वि.१) १३ (सं.श.) ४८ (र.सं.) ५१० (उ.वि. २) ५ ( य.च.) २१ (प्र.भा.) ३ (प्रत्या. ) ८ (श्री.दि.) १६ (चैत्य.) ४१. (चे.म.) १६७ (य.च.) ६४ (वि.सा.) ६७५ (चे.म.) १६६ (प्र.सा.) ९२ (आ.वि.) ५ (वि.विं) १७२ (श्री.ध.) ११२ (श्रा.प्र.) ३४३ (आ.दि.) २ (वि. सा.) १९१ (का.स.) ६८ (ति.गा) ५०१ (गणि.) २८८ (उ.चि.) १८७ (चैत्य.) ३० (कर्म.) १११ (पंच.) २७३

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