Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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विसमाइ वद्धमाणाणं
विसमाइ वद्धमाणाणं
विसमा जइ हुज्ज तणा विसमा दाहिणपासे वामे
विसमा देसा दुट्ठा निवाइआ विसमा विसयपिवासा, विसमा विसयपिवासा, विसमा विसयभुअंगा, विसमासण वाहिकरा विसमिव मुहम्मि महुरा,
(एक.) १६ (दे.ना.) १२४ (सि.दं.) ८ (ल.शु.) ७३ (वै.श.) १०३
विसमिव मुहे महुरा विस१८मीण १९ मेस विस (१७) मीण १८ मेस विस १७ मीण १८ मेस विसमुण्णप्प विसमुत्तरसेदीए, हिदुवरिं विसमे जोगे इक्कं, विसमे भवमरुदेसे, अनंत - विसमो विसयविसदुमो विसयकसायविरत्तो रत्तो विसयजलं मोहकलं, विसयजलं मोहकलं विसयपडिबंधरूवो, तइओ विसयपडिहासमित्तं बालविसयपवेसे रण्णो उ दंसणं विसयपिवासा आउरिहि जं विसयपिवासातत्ता, रत्ता विसयप्पगरिसभावे किरिया विसयबहुत्ते किरिया, विसयब्भासाहरणं सुयओ विसयमहाविसघारिय, विसम्म अपत्ते विहु विसयरसासवमत्तो, जुत्ताजुत्तं (इ.प.) १० | विसाहा - कित्तिआऽ सेसा, विसयरसासवमत्तो, जुत्ताजुत्तं (सं.श.) ६९ विसिट्ठवन्ननासेणं, भावितो विसयरसासवमत्तो जुत्ताजुत्तं (वि.मं.) १०५ विसुज्झमाणज्झवसायजोगा, विसयविभागेणं पुण, (षट्) ८४ विसुद्धयं दंसणनाणसारं, विसयविरत्तमईणं, (गु.त.) १६४ विसुवम्मि वओवत्थय विसयविरत्ता मुणिणो (आ.हि.) ३० | विसुवा सवाय विसुवा विसयविवागनिहालणमिह (विष) ६ विसयविसं हालहलं, विसयविसट्टा जीवा, विसयविसमुच्छिणं विसयविसवल्लिपल्लवतुल्लेसुं (ना. कु.) १७ विसयविसेणं जीवा, विसयसरूवऽणुबंधेण होइ
विसयासत्ता सत्ता पत्ता | विसयासत्तो वि नरो, (विष.) १ विसयासावाउलीजणियर(उप.) ३।१३७ विसयासासंदाणिअचित्ता (इ.प.) ४३ | विसयासासंदामियचित्तो (आरा. २) ६४५ विसयासिपंजम्मि व, लोए (पु.मा.) ३२४ विसयासुइलोलाणं विसय(उ. प.) ३७३ विसलवघाइ व्व सयं गुणाण (पंचा.) ४०७ विसवल्लरी व्व माया (ज्ञा. कु.) ५ विसवल्लिमहागहणं, जो (इ.प.) ९३ विसविसमं पि हु पावं (पंचा.) ४३७ विसविसहरकरिकेसरि(चे.म.) ३६२ विस वेसानर विस हर - हरि (उ. प.) ९७१ विससरिसं कडुतुम्बं (विवे.) १९ विसहामि अहं सम्मं अक्कोसे (उ.र.) ७४ विसाहा कित्तिआ चेव,
(दा.मा.) ६७ (ध.सं.) ९०१ (दि. शु.) ५८ ( दि. शु.) १११ ( श्रा. दि.) ३२ (ध.गु.) ४९ (भा.कु. २) ६ (दे.ना. ) ६६० (द्र.प.) १४८ (त्रै.दी.) ७१ (प्र.भा.) २४
( उव.) २१३ (इ.प.) ६२ (आरा. २) ७७६
(न.मा.) ७।४९ ( आरा. २) ५२४ ( श्रा. दि.) २४४ विस्सामणं जईणं, ओसहदाणं (श्रा. दि.) २७२ | विस्सामण ११ तह उंघण १२ (र.सं.) १९४
| विसेइ उयहिम्मि, तिण्णेविस्सरण मणाभोगो, विस्सरियमिणं नूणं विस्ससणिज्जो माय विस्सामणं च काऊणं,
(इ.प.) ६४ (वि.विं) ६०
व
विसयसरूवणुबंधेहि तह विसयसुहं दुक्खं चिय, विसयसुहनिप्पिवासा
(प्र.सा.) ६७४ (आरा. २) ८७८ (अ.चू.) १७ (उप) ३।१२४ विसयसुहरागवसओ, घोरो (शी.उ.) ७३ विसयसुहसंपत्ता देवा (इ.प.) ७१ | विसया अणत्थपंथो
(इ.प.) ९०
(बि. प.) २६ (इ.प.) ९ (वि.मं.) १०४ (वि.सा.) १०७ (सप्त) ६८
(पंचा.) ९३८ (सं.श.) ७२ (वि.निं.) ३७ ( उव.) १४७ (न.मा.) १।११ (सं.मा.) १०९ (सं.मा.) ११० (पु.मा.) ६८
( आरा. १) ६२१
विसया अवमाणपयं
| विसयाउरे बहुसो, सीलं विसयाउरेहिं बहुसो विसयाणाभोगेणं तेसि विसया य दुक्खरूवा चिंता - (पंच.) विसया य दुक्खहेऊ संजोगे विसयाविक्खो निवडइ, विसया विसं व विसमा विसया विसं व विसमा
(पंच.)
३२८
(स.श.) ४
८७९
३४
(पु.मा.) ३९३ (विष) ९ (वि.निं.) ६ (वि.निं.) ३
(शी. उ.) २२ (सं.मा.) ४९ (सं.मा.) १३९ (पं.लि.) २० (उव.) ६० (विष) २ (सं.प्र.) २७९ (गु.वि.) १७ (उव.) ३१३ (सं.मं.) १३ (शी. उ.) ५९ (र.सं.) १७२
विहिचेईहरु कारि कहिउ (सं.प्र.) ११४७
विस्सामण ९ पायपडणं विस्सामणाइ सम्मं, | विस्सो असियारहिओ एव विहई वुन्ताकीइ, विरूवे विहडंति सुआ विहडंति विहडइ विहवो विहड विहबंधरोहमच्चु, चोरिक्क- (उ.चि.) १०५ विहरंताणं पायं समत्तकज्जाण (पंच.) ७११ विहरंता य सुखं पासंति (सा.प.) २८
(षट्) ७५ (पंच.) ९०८ (दे.ना.) ६७३ (वै.श.) १२
(वि.मं.) १२९
विहरंति जे मुणिंदा
विहरति भरहवासं
विहरइ एगग्गमणो,
विहलम्मि ओहुडं, ओहुरं
विहवाईहिं परेसिं, जं विहवाणुसारओ पुण विहवाणुसारओ पुण, विहवीण दरिद्दाण य
"
विहवे वि न मच्चिज्जइ, विहवो सज्जणसंगो, विहवो सज्जणसंगो विसय
विहिकरणं गुणिराओ
विहिकरणं विहिराओ
(आरा. ३) २४५ (ति.गा) १००१
|
| विहिकरणमविहिच्चाओ विहिचेइयम्मि संते पइदिणविहिचेइयम्मि सन्ते विहिचेईहरि अविहिकरेवइ विहि चेईहरि पइविहिचेईहरु कारिउ कहिउ
(स्था.) ५० (दे.ना.) १५७
(हि. उ.) २३९
(जी.अ.) ३१
(गाथा.) ४६३
विहिअणुसारा ओसहिचुन्नाई (उप. ) १/३९
(पंचा.) १४२ (आ.अ.) ११४
| विहिअपओसो जेसि विहिअ विहिं च नयाणं | विहिअविहिसंसएणं केई विहिआणुट्ठाणं पुण विहिआणुट्ठाणपरो सत्तणुविहिआणुट्ठाणमिणं विहिउज्जमवन्नयभय
| विहिउज्जमवन्नयभयविहिउत्तरमेवेयं अणेण विहिए कज्जे कज्जो अहवा विहिए निपिट्ठपसिणे, | विहिओ वीवाहमहो विहिकयचेइयभवणे विहिकयन्हाणुव्वट्टण-गत्तो विहिकयसव्ववयारा पूया
(भ.भा.) ३० (उ.को.) १६.
(वै.श.) १४
(वि.मं.) ९९
(गु.श.) ६१
(प्र.सा.) ९४६ (पंच.) ११८७ (पंच.) ११४३
(य.स.) ३२
(ध.र.) १०६
(श्री. प्र.) २४६ ( सामा . ) ५०
(स्था.) ५२
(न.मा.) ८।६४
(सा.कु.) २४ (सं.प्र.) १४२ (सं.प्र.) २८३
(सं.प्र.) ९९४
(सं.प्र.) ८४५
(सं.प्र.) १५३ (द.कु.) ७
(चै.कु.) ७ (उ.रा.) २३
(बा.बो.) ११२ (चर्च) १५

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