Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 361
________________ (गत संसारवंचणा न वि, गणंति सक्का वि व सक्का, संसारवंचणा न वि, गणंति (उव.) १७० सइ एयम्मि गुणोहे (ध.र.) ३२ सकयाई च दुहाई सहसु (भ.भा.)५१८ संसारवल्लरे जं, पुणो (चे.म.) २८५ सइ एयम्मि विचारति (उ.प.) ५४१ सकसाए चउरो वा, (गु.त.) ४/९९ संसार विउल सायर- (वै.र.) १ सइ गरहणिज्जवावारबीय- (उ.प.) ७३४ सकसाएसु पमत्ताईसुं (श.भा.) ७३७ संसारविरत्तमणो जोग्गो (ध.सं.) १०५८ सइ चरणविग्घमउलं (ध.सं.) ९७२ सकसाओ अतिवेओ, (गु.त.) ४।४९ संसारविरत्तमणो भोगुव- (ध.र.) ७५ सइ चित्तसमाहाणे, अहियं (चे.म.) ७९१ सकसाओ एआओ, (पं.नि.) ७९ संसारविरत्तस्स उ, (गु.त.) २२११९ सइ जीवाणण्णत्ते णाणत्तं (वि.ण.) १७० सकसाओ तिविहो (गु.त.) ४५२ संसारविरत्ताण य होइ (पंच.) ४१ सइ तम्मि इमं विहलं (पंच.) १६७ सकसाओ पुण चउसु (पं.नि.) ६९ संसार विसम सायरभवजल- (पव्व.) १ । सइ तम्मि विवेगी वि (पंच.) ८४९ सकसाओ पुण पुलाओ, (पं.नि.) ८२ संसारखुड्डिजणगा राग- (आ.म.) ३० सइ तम्मि सासयसुहे (आरा.२)६ सकसायंता णो हीयमाण- (गु.त.) ४.१०६ संसारसंभवाओ दुहाओ (जी.अ.)९५ सइ दम्मि दुमण पिप्पलि (गणि.) ९१ सकसायत्ता जीवो जोगे (श्रा.प्र.) ८० संसारसमुत्थसमत्थवत्थु- (सं.मा.) ६३ । सइ पंचरूपभावा नीली- (सं.प्र.) १४३३ सकसायपुलायाणं, (गु.त.) ४९४ संसारसमुद्दाओ, संतरणं (चे.म.) ७४३ सइ पम्हलेण मिउणा (पंच.) २६५ सकसायपुलायाणं समा (पं.नि.) ६५ संसारसरूवं चिय परि- (भ.भा.)५ सइ फासुयम्मि दाणे, (क.प्रा.१) १६० सकसाया इक्काइ, सहस्स- (पं.नि.) १०१ संसारसागरमिणं, परिब्भ- (उव.) ५२१ सइ भुज्जइ त्ति भोगो, (क.प्रा.१) १६५ सकहा-सहासियाणं, (स्था.) ३१ संसारसागरम्मि णं, (सं.श.) ५९ सइमंता धीमंता सद्धा- (आरा.२)८५४ सकहा सो उवएसो तं , (षष्ठि.) २४ संसारसागराओ, तारेइ (चे.म.) ७४१ सइमज्जायाए वि हु, (गु.त.) ३।१८३ सकामा साहु संघस्स (श्रुता.) ११० संसारसायरंदुत्तरं पि (सं.मं.) २ सइमसई कम्मगओ आयाणं (सं.प्र.) ११८५ सक्कत्थएण इमिणा, एयाई (चे.म.) ८३७ संसारसायरम्मी अणंत- (आरा.२)२६० सइयार १ निरइयारं २ छेओ- (सं.प्र.) ७६२ सक्कत्थओ अ दुविहो (प्र.प.) २९९ संसारहेउभूओ पवत्तगो (पंच.) ९५ सइ रूईयगीयनच्चियह- (सं.मा.) १८ सक्कत्थओ य चेइयथओ (वि.सा.)६९१ संसारहेतुभूतायाः, (गाथा.) ६८८ सइलभं सइदिटुं सइसुह- (दे.ना.) ७२५ सक्कत्थयं भणित्ता (आरा.१)५२२ संसारासारते सारत्ते (ध.सं.) ५४१ सइ वि असंखिज्जपएसि (पु.ष.) १८ सक्कत्थयअहिवासणसमए (प्रति.) १३ संसारिणो य मुत्ता (श्रा.प्र.) ६४ सइ विग्गहसीलत्तं संसत्त- (आरा.१)७१८ सक्कत्थय पायच्छित्त सज्झाओ (य.च.) १३८ संसारियं पि जं पयइसुंदरं, (आरा.२)१५ सइ विग्गहसीलत्तं संसत्त- (प्र.सा.) ६४५ सक्कत्थय सामाइय चरणाइ- (य.चं.) ११ संसारियअब्भुदये न (पं.लि.) ३० सइवेलं खलु भोगोऽसण- (सं.प्र.) ११८४ सक्कत्थवाइ भणणं, (स्था.) २० संसारुद्धारकरो, जो (गु.त.) ४१५८ सइ संजाओ भावो पायं (पंचा.) १०५ सक्कम्मि नो पमायइ असक्क- (ध.र.) ११८ संसारे नत्थि सुहं, जम्म- (दे.श.) १ सइ सन्निहियावाओ काओ (शो.कु.)५ सक्कयभासाबद्धो, गंभीरत्थो (चे.म.) ८४१ संसारे संसरंतेणं नाणा- (मि.वि.)१ । सइ सव्वत्था 5-भावे (स्त.) १३९ सक्करसणाइएसुं, मणुयाणं (वि.पं.) २६ संसारो अ अणंतो, भट्ठ- (उव.) ५०६ सइ सव्वत्थाभावे जिणाण (ध.सं.) ८७२ सक्कस्स अविरइत्ता जिणथुई (पंचा.) ९८६ संसारो दुहहेऊ दुक्खफलो (वै.श.) ७८ सइ सव्वत्थाभावे जिणाण (पंच.) १२४८ सक्कस्स अविरयत्ता (उ.पं.) ४७ - संसारो दुहहेऊ दुक्खफलो (भ.भा.) ५११ सइ सव्वत्थामाभावे जिणाण (सं.प्र.) १०५९ सक्कस्स देवरण्णो, (दे.प्र) २८० सं(सिं)गी कचाइवग्गे, (ज.पा.) ९३ । सइ सामग्गिविसेसे, तम्हा (हि.उ.) २४७ सक्कस्स देवरण्णो, (दे.प्र) २८२ संसिज्जइ नियकिरिया, (चे.म.) १३२ सइसामथिओवाहणह ३९ (सं.प्र.) २५४ सक्कस्स देवरत्नो, जावट्ठय (दी.प.) ९८ संसुक्क भग्ग दड्डा मसाण (वा.सा.) १०६ सइ सामत्थे एसो णो (पंचा.) ५४९ सक्कस्स देवरनो, तायत्तीस- (दी.प.) १०३ सं सोक्खं ति पवुच्चइ, (चे.म.) ५५१ सइ सामत्थे पवयणकज्जे (सं.प्र.) १५३५ सक्कस्स देवस्नो, तायत्तीस- (दी.प.) १०८ संहरइ न जो सत्तो गोरीए (ग.सा.) १३५ सइ सामत्थे सम्म, रक्खंता (हि.उ.) ४४८ सक्कस्स देवस्नो, सामाणा (दी.प.) १४५ संहरण रूवदसण वरदाण- (उ.प.) ६१२ सइ सुहभावस्स तहा (पंच.) १५७९ सक्कस्स य सक्कथए उवहाणं (प्र.प.) २९८ संहरणेणं सव्वे वि (पं.नि.) ५४ सइ सुहभावेण तहा जं (पंच.) १४०८ सक्का अग्गी निवारेउं, (इ.प.) ८ संहरणेणं सव्वे वि, (पं.प्र.) ५२ सईए सुद्धसोलाए भत्तारा (क.वि.) १५ सक्कादेसेण तया नाणाविह- (ति.गा) १२८ संहरणेणं सिद्धा, (न.भा.) १२५ सउणा खगा सउंता (पा.ल.) ४१ सक्का य सुगयसीसा जे (प्र.सा.) ७३२ संहिया य पयं चेव, पयत्थो (चे.म.) २७१ सउणाणं जह रुक्खे पहियाणं (आ.हि.)१९ सकारंति य सोवण विउद्ध (उ.प.) ६९ सइ अप्पमत्तयाए संजम- (पंच.) १०७२ सउणि चउप्पय नागा, (दि.शु.) १२ सक्कार गमण सरवण (वि.ण.) ३०७ सइ अविरयं अविरामं (पा.ल.) ८७ सउरी दसारनाहो वइकुंठ (पा.ल.) २१ सकारवत्तियाए वयणेणं (जी.अ.)१९० सइ एअम्मि अ एवं कहं (पंच.) ८६७ सकडुवभोगोऽवेवं (पंच.) १०९० सक्कारवन्दणनमंसणा (जी.अ.) १७३ सइ एयम्मि गुणेहिं संजाए (सं.प्र.) १०७३ सकयं पि अणेगविहं (श्रा.प्र.) २१७ सक्का वि णेव सक्का, (गु.त.) ११० (वि.न.) ३४०

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