Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 404
________________ होइ कसाइ वि पढमं हुस्सस( स्स )रुत्तरं, अक्खरुहोइ कसाइ वि पढम (पं.सं.) ३९५ होइ सुपास वियब्भो, (ति.गा) ४५५ होति पओगो जोगो (पं.सं.) ४२८ होइ च-टेहि चित्तो. (अ.चू.) ६९ होई अप्पयरो इय भणिया (श.भा.) ३०८ होति य पातिभणाणं (ध.सं.) १२१० होइ छउमत्थकेवलि- (वि.सा.)६९७ होई अबाहकालो जो (श.भा.)३४२ होमु करउ कम्मिधणिहि, (ज्ञा.कु.)६५ होइ छउमत्थ-केवलि- (चैत्य.) ८ होई अहिगरसेसुं तेणेव (श.भा.) १०१९ होयाहारगमीसो ओरालिय- (श.भा.) ७९ होइ छउमत्थकेवलीसिद्ध- (प्र.सा.) ७० । होई कसायपच्चय सव्वोई (श.भा.) १०२८ होराइ रवि उद्देगं, (ज्यो.) ३० होइ जरा वुड्डत्तं, ववसाय- (चे.म.) ६६९ होई जह एत्थ य मूलपयडि- (श.भा.)८०९ होलाहगिद्धकुक्कड, (च.क्ष.) १४ होइ जहन्नोऽपज्जत्तगस्स (पं.सं.) २९२ होई तप्पढमतया वि (श.भा.) ३९९ होहिंति अद्धतेरसवास- (गु.त.) १२१७८ होइ तत्थ य उवसामगस्स (श.भा.) ७८३ होई पएसबंधो सुहुमनिगो- (श.भा.) ७९२ होहिंति पुहइपाला (ति.गा) १२३ होइ तवो वि य दुविहो, (आरा.२)१३ होउं बहुस्सुओ सो, (गु.त.) ३।३२ होहिंति य पासंडा (ति.गा) ८९५ होइ तहा साहारं, अथिरं (क.प्रा.१) १३२ होउं भूजलतेउवाउसु (द्वा.कु.) ५.३ होहिंति य बिलवासी (ति.गा) ९५६ होइ दढं अणुराओ जिणवयणे (श्रा.प्र.) ५। होउं सासणदिट्ठी पच्छा (स.उ.) २४ होहिंति साहुणो (ति.गा) ८९७ होइ पइण्णाभंगे भीरुअभावा (सामा.) ४५ होउ नमो अरहंताणं (चे.म.) ४६२ होहिंति साहुणो वि (सु.सि.)७० होइ पउसो विसए गुरु- (सं.प्र.) २०९ होउ पणामो एसो, (चे.म.) २७७ होहिंती बिलवासी (ति.गा) ९७१ होइ पमत्तम्मि मुणी (गु.श.) १५ होउमहाजाओवहि संडास (बृ.व.) ४ होहिइ तिरिए य दुहा (ति.गा) ९४३ होइ पमाणं सव्वेसु (दे.प्र) ३१९ होउ व जडी सिहंडी (आरा.२)५२७ होही चंडालकुले कक्की (वि.सा.)४९९ होइ पमाणाईयं तदहिय- (प्र.सा.) ८१५ होउ व मा होउ वत्ति (जी.अ.)२२७ होही जो तित्थयरो, (गाथा.) ८४८ होइ पमाणाईयं तदहिय- (वि.सा.)२५६ होउ विकारो मा वा, (उ.चि.) ३४१ होहीति सममणुण्णय (ति.गा) ९५० होइ पलं करिसूणं पढमे (भ.भा.) २५६ होउ स सत्तामेत्तेण (ध.सं.) २९७ होही पज्जोसवणा तत्थ (प्र.सा.) १८९ होइ बले वि अ जीअं (पंच.) १५८ होऊणं देवकया चउतीसाइ- (वि.ण.) १०४ होही पज्जोसवणा मम (प.भा.)३ होइ बले वि य जीयं (श्रा.प्र.) ३५८ होऊण चउदसपुव्वी, (स.शा.) १४३ होही भद्दा पत्ती सुवण्ण- (ति.गा) १०२२ होइ य झाणोवरमे (आरा.२)८१६ होऊण पुणो तम्मि (प.वि.) ७ होही भयं तएयं, (सा.प.) १९ होइ य पाएणेसा अन्नाणाओ (सं.प्र.) २४३ होऊण वि कह वि निरंतराई (पु.मा.) ३८९ होही मल्लीदेवो २१ (वि.सा.)६४ होइ य पाएणेसा, अन्नाणाओ (चे.म.) ८९९ होऊण विज्जुमाली (ऋषि.) प्र.३३ होही समाहि संवर (श.सं.) १५० होइ य पाएणेसा किलिट्ठ- (पंचा.) १३५ होऊण विसमसीला, (पु.मा.) ८२ होही सुसिरा भूमी (ति.गा) ९३६ होइ रसालू य तहा पाणं (प्र.सा.) १४१२ होज्ज व ण वा पहुत्तं (उ.च.२)९ होही हाहाभूतो दुक्ख- (ति.गा) ९२८ होइ रसोलूअ १४ तहा, (गाथा.) १७७ होज्जव वणस्सईणं (वि.ण.) ४७ हो(हों)ति कुहणा (ज.पा.) १३३ होइ विउव्वियमीसो (श.भा.) ७८ होज्जा जस्स जमेणं सह (शो.कु.) ११ हुस्सस(स्स)रुत्तरं, अक्खरु- (ज.पा.) ४३ होइ समत्थो धर्म, (श्रा.ध.) ५ होज्जा व काणि वि (वि.ण.) २६५ होइ समत्थो धम्म, (गाथा.) १४९ होज्जाहि दुगुणमहुरं (स.सू.) ११६ * * * 303

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