Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 370
________________ सम्म नरिंद-देविंदवंदियं सम्मइंसणणाणं चरणं सम्म नरिंद-देविंदवंदियं (आरा.१)१ सम्मत्तचरणसुद्धी, करणजओ (पु.मा.) ८७ सम्मत्तम्मि उ लद्धे विमाण- (सं.प्र.) ८८५ सम्मं नाहिगयाऽऽगमा (उ.कु.१)८ सम्मत्त-चरित्ताणं (चं.प.) ११० सम्मत्तम्मि उ लद्धे, विमाण- (सं.सि) २३ सम्म पइट्ठमंतेण अंगसंधीणु (प्र.वि.) २७ सम्मत्तजुओ सो वि (श.भा.) ५०७ सम्मत्तम्मि उ लध्ये विमाण- (सं.श.) ११ सम्मं पइट्ठमंतेण, अंगसंधीसु-(जि.प्र.) २६ सम्मत्तदायगाणं दु- (षट्) ७७ सम्मत्तम्मि य नाणं (चं.प.) ५९ सम्म पडिच्छिऊणं (ति.गा) २२८ सम्मत्तदायगाणं दुष्पडियारं (सं.प्र.) ९५१ सम्मत्तम्मि य लद्धे पलिय- (सं.प्र.) ८८६ सम्मं भावेअव्वाई असुह- (पंच.) ८७६ सम्मत्तदायगाणं, दुप्पडियारं (उव.) २६९ सम्मत्तम्मि य लद्धे पलिय- (प्र.सा.) १३८४ सम्मं भासइ जीवाणं (सं.प्र.) ८३७ सम्मत्त देस संपुनविरइ- (सू.सा) १०२ सम्मत्तम्मि वि पत्ते बीय- (न.प्र.) २३ सम्मं मे सव्वभूएसु, (आरा.१)५६४ सम्मत्तधरो सड्ढो, सविसेसं (हि.उ.) १५३ सम्मत्तम्मि हुलद्धे (यु.प्र.) १३ सम्मं वासति मेहो, (ति.गा) ११८७ सम्मत्तनाणचरणा-इसु (सं.प्र.) ६९६ सम्मत्तरयणकलिया गीयत्था (सं.प्र.) ८०८ सम्मं विआरिअव्वं अत्थपदं (पंच.) ८६५ सम्मत्तनाणचरणाणुपाइ- (दं.प.) १६८ सम्मत्तरयणभट्ठा, जाणता (सं.श.) २७ सम्मं वियारियव्वं, अत्थपयं (श्रा.दि.)९४ ।। सम्मत्त-नाण-चरणाणुवाइ- (द्वा.कु.) ४।१५ सम्मत्तरयणमेव जे सम्म (सम्.१)५ सम्म सम्मइंसण-नाणचरित्तं (श्रुता.) ११८. सम्मत्तनाणचरणानुच्चाइ- (सं.प्र.) ८४७ सम्मत्तलद्धबुद्धिस्स चरिम- (चं.प.) १३१ सम्म सम्मामिच्छं, (क.भा.)७ ।। सम्मत्तनाणचरणा पत्तेयं (सं.प्र.) ६०५ सम्मत्तवेयसंजलणयाण (पं.सं.) ३१८ सम्मं सहति धीरा कम्म- (आ.म.) ५२ सम्मत्त-नाण-चरणा पत्तेयं (प्र.सा.) ५४७ सम्मत्त-संजमाई किरिया- (आरा.३)११४ सम्मं साहम्मिएणावि, (व्य.कु.)५२ सम्मत्त-नाण-चरणा, मग्गो (दं.प.) १०७ सम्मत्तसत्तगं खलु (जी.स.) २६२ सम्मकिरियाए जे पुण (उ.प.) १९२ सम्मत्तनाणचरणा मोक्खपहो (ध.सं.) ७४९ सम्मत्तसमो न गुणो (स.श.) १२० सम्मग्गमग्गसंपट्ठिआण (य.स.) २०९ सम्मत्तनाणचरणा मोक्खपहो (ध.सं.) ९१९ सम्मत्तसाररहिया, जाणता (दे.श.) ८७ सम्मग्गस्स पयासगं इह (दं.प.) २६५ सम्मत्तनाणचरणा, संपुनो (स.स.) ६५ सम्मत्तसुद्धकरणी जणणी (सं.प्र.) ४१ सम्मचरणाइ बोही, तीसे (चे.म.) ८६४ सम्मत्तनाणदसणचरित्तघाइ- (पं.सं.) १३६ सम्मत्तसुद्धिसुरवल्लिसुलद्धि- (श्रुता.) २४ सम्मचरणाणि पढमे (सू.सा) ५२ सम्मत्तनाणदसणचरित्तघाइ- (सू.सा) ४२ सम्मत्तसुद्धिहेउं चरिअं (धूर्ता.) ४८४ सम्मचरणाणि पढमे (प्र.सा.) १२९१ सम्मत्तनाणदसण-जुत्तो (गाथा.) ६४३ सम्मत्त सुयं तह देसविरई (न.प्र.) ९३ सम्मचरणाणि पढमे- (नव.४) २४ सम्मत्तनाणसंजम जुत्तो (सं.प्र.) ६९२ सम्मत्तस्सइयारा संका (श्रा.प्र.) ८६ सम्मजिणवंदणं पुण, (चे.म.) २६२ सम्मत्तपढमलंभो (कर्म.) ३३५ सम्मत्तस्स गुणोऽयं (न.प्र.) १६ सम्मजुओ सत्तमिए (मा.बं.) १५ सम्मत्तपत्तजीवा, नारयतिरिया (दे.श.) ८८ सम्मत्ताइ उवसमे खाओव- (पं.सं.) १४४ सम्मटुं सन्निचियं असंख- (वि.वि.)१०५ सम्मत्तपरिब्भट्ठो जीवो (न.प्र.) १५ सम्मत्ताइगुणाणं लाभो (क.को.)२९ सम्मत्तं अचरित्तस्स (चं.प.) १११ सम्मत्तभूसणाई, कोसल्लं (स.स.) ४० सम्मत्ताइगुणोहो, (हि.उ.) ३९२ सम्मत्तं गिहिधम्म, (उ.चि.) २७३ सम्मत्तमहामंतं कल्लाण- (सं.मं.) २९ सम्मत्ताईणुत्तमगुणाण (प्र.सा.) ५८ सम्मत्तं चारित्तं चउखंधाऽ- (आरा.१)९२३ सम्मत्तमहारयणे, भवदुह- (ध.वि.) १५ सम्मत्ताउ ण अन्नो बंधू (र.कु.) २५ सम्मत्तंतिमसंघयणतिगच्छेओ (क-२) १८ । सम्मत्तमाइयाणं, अइयाराणं (श्रा.दि.) २३६ सम्मत्ताओ नाणं (ति.गा) १२२२ सम्मत्तं पक्खिप्पइ, सम्म- ' (क.भा.)१० सम्पत्तमीसगाणं (पं.सं.) ६८९ सम्मत्ताणुगयमणो (आरा.२)४९ सम्मत्तं पत्तं पि हु रोरेण (न.प्र.) १९ सम्मत्तमीसगाणं (पं.सं.) ७०३ सम्मत्तादिसु जम्हा संठवणं (ध.सं.) १३ सम्मत्तं पुण इत्थं सुत्तणु- (उ.प.) १९ सम्मत्तमीसगाणं (कर्म.) २८४ सम्मत्तुप्पायविहिं भव्वा (स.उ.) २९ सम्मत्तंमि उ लद्धे जइ . (सं.प्र.) १४५० सम्मत्तमीसमाणं (पं.सं.) ७०५ सम्मत्तुप्पा सावय विरए (कर्म.) ३९४ सम्मत्तं संजुयाणं विग्धं (षष्ठि.) ८५ सम्मत्तमीसमिच्छत्त- (न.भा.) १२ सम्मत्तेणं समगं (पं.सं.) ७६१ सम्मत्तं सद्दहणं, तं पुण (मि.स्था.)२ सम्मत्तमीसमिच्छत्तकम्म- (प्र.सा.) ९४४ सम्मत्ते विजयनिवोऽहिंसाए (सं.प्र.) १२६८ सम्मत्तं सम्मत्तं सव्वे (सं.प्र.) ९५३ सम्मत्तमूलमणुव्वय-पणगं (दं.प.) ६२ सम्मत्ते सुद्धे सइ इह (श.भा.) १०८ सम्मत्तकारणाण य (आरा.१)१८३ सम्मत्तमूलाणि अणुव्वयाणि (उ.स.) १७ सम्मत्तोवरि ते सेसकम्मुणो (पंचा.) ४५३ सम्मत्तकारणेहि, (पं.सं.) १५ सम्मत्तमूलिओ उ पंचाणु- (वि.सा.)३९० सम्मदरसव्वविरईद उ (क-५) ८२ सम्मत्तगुणनिमित्तं (श.भा.) ७४७ सम्पत्तमूलिया ऊ, पंचाणु- (श्रा.ध.) १३ सम्मदिट्ठिसुराणं, (स्था.) २५ सम्मत्तगुणनिमित्तं (क.प्रा.५) ५० सम्मत्तम्मि अ लद्धे, (गाथा.) ४४१ सम्मदिट्ठी जीवो जहत्थ- (पं.लि.)७८ सम्मत्तगुणेण तओ (स.उ.) २० सम्मत्तम्मि उ लद्धे छ(ठ)- (सं.प्र.) ९५२ सम्मदिट्ठी विरया, (स.शा.) २५४ सम्मत्त-गुत्तिजुत्तो (आरा.३)११९ सम्मत्तम्मि उ लद्धे, ठइयाइं (उव.) २७० सम्म-देस-सव्वविरई, (सं.श.) ८६ सम्मत्तचरणभेओ तस्स (गु.श.) ९० सम्मत्तम्मि उ लद्धे पलिअ- (पंच.) ९१९ सम्मइंसणजुत्तो, सइ (स.स.) ३१ सम्मत्तचरणरहिआ, (लो.द्वा.)१६ सम्मत्तम्मि उ लद्धे, पलिअ- (गाथा.) ५१२ सम्मइंसणणाणं चरणं (ष.स.) ३९ (च.प.. मणो ३४

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