Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 347
________________ विणय विसेसो य तहा, विणय विसेसो य तहा, विणयसमाहीए पुण चउरो विणयसुअस्स सुराण य विषयस्स गुणविसेसा विषयस्स गुणविसेसा विणयाद्गुणगणाणं, विणयाइ दासिआए पुत्तेणं विणयाओ नाणं, नाणाओ, विणया किर गुरुभारा विणया जिअ कड्डुए करेइ विणया नाणं नाणा, विणिम्मिया जंतगजोगविणियति पण, छउमं विणिवति विसुद्धि, विणिवन्ति विसुद्धि (श.भा.) ८९ विणिवायकरणसत्तीसब्भावे (ध.सं.) १२६ (ष.भा.) ८ (चे.म.) ४३ (पं.सं.) १६१ (सा.भा.) ३ विणिवारिन सफा, विणिवारिय जा गच्छइ, विणिवारिय जा गच्छइ विणु अणवीस मीसे, विणु कारण तहि गम विणु कारण सिद्धति (पु.मा.) ४१९ (जोग) ६ (धूर्ता.) ३४१ (चं.प.) २१ (चं.प.) ६७ (हि.उ.) १७ (धूर्ता) ३१३ (गुरु. ) ३१ (धूर्ता) ३०२ (भूर्ता.) ३०१ (चे.म.) ७२० (न.मा.) २।३५ (चे.म.) ३४६ विण्णायविसयसंगा जमुत्त विष्णायविसयसंगा सु विहुतिविट्ठ दुविट्ठू विण्डु तिविदुषि विष्णुमणिम्म मरते विहू जगस्स कत्ता सो विह विअ पज्जलिओ वितकरणम्मिि वितिमिच्छा व फलं पड़ विती सड्ढबारस, लक्खे वित्तं १३ चित्तं १४ घण्णं वित्तगिहे वामदिसे वित्तम्मिसामिगाईसु वित्तहरं भयजणणं मरणं (क-३) ५ (चर्च) ३९ (उ.रा.) ५८ विणु छवीसं इगवीस छक्क, (क.सं.) २८ विणु नरसोल सामणि, विणु नाणेण चरितु नह विणु सारहि रहा इव पोओ विण्णत्तो तीए नियो विण्णाणं जिणवयणं विण्णाणकलाकुसलो विष्णाणस्स लवेण वि (का.स.) २४ (सप्त) ३४९ (ति.गा) ८२० (धूर्ता.) ५४ (धूर्ता.) ३४६ (पंच.) २४६ (सं.प्र.) ८९८ (सप्त.) २२३ वित्ताह निमित्तेणं, |वित्तिकिरिया ऽविरोहो, वित्तिपयाणेण जणा वित्थरु दीहं उदए गुणियं वित्थारं तुह समया, | वित्थारं तुह समया सयावित्थारं सत्तगुणं, वित्थारदुगविसेसो उस्सेह वित्थाराओ सोहिय, वित्थिष्णम्मधसवित्थिण्णो (सय) पणवीसं विदलम्मि गोरसाई (क-३) ८ विदले भोयणे चेव, (सं.) २३ विदिसाउ दिसि पढमे (उप.) ३।१३० विवद्वाणच्चाइ निंदिय (न.मा.) ८।२८ (ति.गा) ७०६ (न.मा.) ७९२ (ध.मा.) ४२ (पंच.) ६५ (पंच.) ५४ (वा. सा.) ७६ (वा. सा.) ८४ (पंच.) ६८६ ज्यो.सा.) १४७ व वित्ती उ सुवण्णस्स, बारस वित्ती उ सुवन्नस्सा बारस वित्तीए नो भणिउ, वित्तीओ सुवण्णस्स वित्तीणं चुन्नीणं करणं वित्तीर्ण चुनीर्ण करणं वित्तीयोच्छेयम्मि य गिहिणो वित्थय जसं वह बलं वित्थरनाणावेक्खं, वित्थर-संखेवेण वि वित्थरियममलपत्तं कमले विदवियम्मि जगडिओ, विद्दुमु आमिस्साओ विद्धंसइ णंतरए एवं बीयं विद्धंसिज्जइ जोणी एएसि | विद्धाए लिए खित्ता वरमाला | विधिचेइयनामं पिहु विधुरतं च विसेसाण विना गुरुभ्यो गुणनीरधिभ्य वि (नि?) ज्जायकारणम्मि विनीतः १० स्थूललक्ष्या विनत्ता कार्याठिइति विनाओ निस्सेसो जीवाविन्नाणमेत्तपक्खे वि विन्नाणाणंदघणे, | विन्नाया निस्सेसा जीवा| विन्नाया भावाणं जीवो विन्नेओ नवरं आउ- वज्ज विप्रेयमभयदानं परमं 325 (हि.उ.) ५०६ (चे.म.) ८७६ (वि.सा.) ८७८ (गाथा.) ४५२ (वि.सा.) १७१ (स.शा.) १७८ (स.र.) ३१ (आरा. १) ३२१ (प.आ.) ७९ (पंचा.) १५१ (उ.चि.) ११८ (न.भा.) १९ (आय. १५६७ (ग.सा.) १२८ (गणि.) १९४ (सम्य.) २५ (सम्. ४) २५ (बृ.क्षे.) ४३९ (ल.क्षे.) १४ (बृ.क्षे.) ४७७ (दे.ना.) ४२४ ( दी.प.) १६८ (र.सं.) ४३८ (गाथा.) ९१ (र.प.) ११ (र.सं.) ४१५ (ल.सा.) ७६ (न.मा.) ८१६३ (उत्सू) ९ (ध.सं.) १२२४ (गाथा) ७५९ (प.भा.) १२ (गाथा.) ७५६ (काय.) १२ (प.आ.) ९३ (ध.सं.) ७२४ (गु.त.) ४१६१ (आर. १) ३३५ विम्हय देवयकहणा कय(प.ष.) १४ (ऋषि) ६३ ( य.च.) ८८ (न.मा.) १।१३१ (न.मा.) ११८२ (वा. सा.) ५० (भ.भा.) ७१ (श.भा.) ८६८ (वि.वि) १२६ विप्परिणयम्मि दव्वे, विप्परिवडियविभंगो विप्पाईणं भत्तेसु तस्सरिसं विप्पेण तेण तइया विप्येण निययमज्जा विप्ये धयाठ दिग्जा खत्तिय विप्पो दिओ दिआई य, विमलं च वासुपुन्जा विमलं पि कुलं अहलं, विमलं पि जीवसंखे विमलगिरि मुत्तिनिलओ विमलगुणचक्कवाया वि (प. स्था.) १६ | विमलगुणपरिगये पि (सं.प्र.) १०३५ विमलजिणे उप्पन्ना (दे.ना.) ३३० विमलजिनेसरतित्थे विमलजिणो उप्पण्णो विमल - मणतं धम्मं | विमल १३ मणंतर १४ विमल मणंत य धम्मो, विमलमणिसालविलयाण विमलाइ सुंदराई हंसाइ विमलियं अवि पण्णत्तं बिमले उत्तरे अरहा विमले उत्तरे चैव विप्फुरइ जसं तेसिं गिहंगणे विप्फुरइ जस्स वयणम्मि विफला इमा अपने दुस्स विब्भंगस्स भवट्ठ विब्भंगिणो असंखा, विभंगे विहु दरिसण विभूसा इत्सिंसग्गी विभूसा इत्थि संसग्गो, विभूसा इत्थीसंग , विभूसियाहिं देवीहिं विरतो विमकलियसेस सोहि विमणो आमं मंसं विमलो दुहा गयमलो विमलो १ धम्मो २ मुणि विमलो य अणंतजिणो विमलो य भरहवासे, विमलो य भरहवासे, विमलो य भरहवासे विमानमाला कुलपब्बएस विम्हय देवयकहणा कय (पा.ल.) १०२ (दा.मा.) ७५ (जी.अ.) ३०० (य.स.) ९५ (जी.स.) २३३ (क. प्रा. ४) ५८ (वि.ग.) १०० (जी.अ.) १५२ (पु.मा.) ४४० (शी.ज.) ६९ (वै.२) ८५ (गणि.) २४ (स्व.) १११२ (तिगा) ५१० (उ.चि.) ५० (सं.मा.) १९६ (र.सं.) ११ (ग.सा.) १२९ (द्वा.कु.) ८८ (ति.गा ) ४५८ (ऋषि) १० (श.सं.) ७१ (प्र.सा.) २९२ (सप्त.) १०७ (श.सं.) २ (नं. स्त.) २४ (वा.सा.) १०४ (ना.) ७०२ (श.सं.) १६७ (ति.गा) २ ११२५ (सप्त.) ११४ (संप्त) ३८ (वि.सा.)४४३ (तिगा) ३२६ (तिगा) ३५३ (ति.गा) ५४१ (मू.शु.) ३५ (उ. प.) ८०७

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