Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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संघयणाणि न उत्तरतणूसु संघयाणि न उत्तरतणूसु संघयणादणुरुवं संघयणादगुरू आरंभइ संघयणादपुरूवे सकारंभे संघयणाभावाओ इअ
संघयणा संत्रणा
संघया संाणा पण
संघयण सुरगणा, संघयणे पहले चिय संघयणे संठणे, पढ़ने संघयणे संतने पढ़ने
संघयणे संवणे पढ़ने
संघसमागममिलिया
संघसमागममिलिया 'संघसमायारमिमं कहिऊन
संघस्सायरियस्स य,
संघस्सावि पवत्तइ संघस्सोवरि वयणं संघाइआण कज्जे, चुण्णिसंघाइकज्जसाहग-चुण्णंसंघाइमे परो या सय्योऽयेसो संघाइयाण कज्जे, संघाइयाण कज्जे चुण्णिज्जा संघाइया य पुंजीक संघाणगंतू संघाडगसज्झिलगा कुटुंबगं संघागस्स गुच्छ, संघादुद्देसेणं ओघाइहि संघानाममहुणा, संघाय अओ या संघायभेदओ वा संघाय भेयबंधा - णुवत्तिणी संघायारभिहाए वित्तीए. संघासय- समसीसी संघुत्तिभयाण संघुस्सग्गा पार्थ, बड्डुइ संघेगयरो जीवो, अहिगारी संघेण पुणो बाहि जो संधे तित्थयरम्मी, सूरिम् संघेतियरम्मी सूरीसुं संघो काउस्सगं अच्छीटी संघो गुणसंघाओ,
संघो पवयणमित्थं
संघो भवतारे
1
(कर्म.) २३५ संघो भवतारे (गु.त.) २।३४२ संघो भवकंतारे सत्थाहो (६.२) ११५ संघो महाणुभागो, (य.स.) ११६ (पंच.) १६२१
संघो महाणुभावो, संघो महाणुभावो,
संघो महाणुभावो, तित्थं संघोवरि बहुमाणो
संघोवरि बहुमाणो संचुण्णियम्मि उटिय छोभणाए दोह संभणाए दोहं
(स.भा.) ७५ (पं.सं.) ९८७
(दे.प्र) ३३० (स.भा.) १३८ (पं.सं.) २४२
(सू.सा) ६७ (श.भा.) ३३८ (सं.प्र.) ४६१
(संघ) ६ (चे.म.) ९०४ (गु.त.) २।२१ (सं.प्र.) ६९८
स
(जी.अ.) ८७ (गाथा.) २६३ (स.स.) ३६ (पंच) ८३३ (पं.नि.) ७ (सं.प्र.) ७४९ (चे.म.) ३७७
( ति.गा) ७२६
(उ. प.) २७५ (गाथा. ) ४९० (पंचा.) ८०९
(क.प्रा.१) १०६
(प.ष. ) १०
(प.ष.) ७ (प.ष. ) ११ (ई.प.) २२ (दे.ना.) ७१९ (प्र.प.) ३५५ (चे.म.) ७८४ (चे.म.) ११ (जी.अ.) १७०
(स.स.) ६८ (गु.श.) ७० (वि.सा.)५१०
संजइ-कविट्ठ-घण- लग्गसंजइकहणं जिणकुसुमपसंजइलक्खातिष्णिय संजईण दव्यलिंगीण मंतरं संजईपडिसेवाए देवदव्वस्स संजओ संजई सो संजनियपणयभर जसभई संजणिय पणय रु संजणियविही संपत्तगुरुसिरी संजर्द्ध सप्पंदे सच्छहसंजम अप्प-पवयणसंजम कला तव कला संजमकला तवकला संजमगुणमणिमुणणासंजमगुणहाणिकरा संजमगुणेसु जुत्तो, संजमपाईनंतरमेत्थ
संजमपाईण तओ
संजमधा उपाये सादिव्वे | संजमजत्तासाहणचिघं संजमजोए अब्भुट्ठियस्स संजमजोए जुन २२, संजमजोर जुराय अकुसल संजमजोए जुत्तो २२ संजमजोएजुत्तो, अकुसल - संजमजोए जुत्तो, अकुसल संजमजोगनिमित्तं परि
-
संजमजोगविसन्ना मरंति संजमजोगा एवं रमहरना संजमजोगे अस्स
(गु.त.) २।१२७ संजमजोगे अब्बुद्वियस्स (प्र.सा.) ३१३ संजमजोगे सपा जे (आरा. १) ४८६
संजमाणाइविऊ आगम
334
संजणाणं उदओ अप्पडि(प.आ.) ११६ संजमठाणा सत्तरस पायें (आरा. ४) ४७ संजमठाणेहि असंखहिं (गु.त.) २।११२ संजम - तवतुंबारयस्स (गु.त.) २।१३० संजमतवालसाणं, वेरग्ग(चे.म.) ६ | संजमनामा पुत्तो जणय
(चे.म.) ९०५
संजमनिमित्तमित्तं
(सं.प्र.) ९८० (वि.स.) ७० (दे.ना.) १०९
संजमपालणहेतुत्तणेण संजमबंधणि बंधि धरि संजमभारधुरंधरह सद्दुच्छसंजमरयणद्दीवं पत्तो
(पं.सं.) ५९६ (कर्म.) १८४
संजमरहियं लिंगं दंसण
( प्र. स.) ५ (जी.अ.) ३२०
(सप्त.) २३५ (सं.प्र.) ९७५ ( आरा. ४) १३ (व्य.कु.) ३१ (ग.सा.) १३ (सु.गु.) १३ (ग.सा.) १३२ (दे.ना.) ७१५ (द्र.स.) ३७ (ना.वृ.) २५ (ना. प्र) २५ | संजयमीसग अस्संजयाण (न.मा.) १२४२३ संजयविवक्खभूया पासत्थाई (आय. २) ५८ | संजलण कोहणे११ पिट्ठ(गु.त.) २१३३८ संजलणगमाणाइतिगं (कर्म) ३५४ संजलणतिगं छच्छेओं (पं.सं.) ७९३ संजलणतिगे चैव अहिगाणि (प्र.सा.) १४५० संजलणतिगे दुसमय (आरा. २) ६३ संजलणतिगे नव दस, (प्र.सा.) ७६३ (गाथा.) ३ (प्र.सा.) १३५५ (सं.प्र.) ७०६
संजलणतिगे सत्तसु
संजलण नाण दंसणचउक्क संजलण नोकसाया संजलण नोकसाया, विग्धं | संजलणम्मियकोहस्स
(सं.श.) ६२ (सं.सि) २९
| संजलणलोभनाणंतराय
(ध.सं.) १०६० संजलणलोभमेगं, (प्र.सा.) १०१० संजलणलोभविरहा (पंच.) १३३
संजलणलोहचरिमत्तिसंजलणलोहचरिमत्ति
(पंचा.) ५५४ (अ. प.) १८० (य.स.) १११ (गु.४.) ११३२
(च.मू.) ७ (प. स्था. ) ६५ (ति.गा) ८५०
(उव.) ५३३ (न.मा.) ८।७१
(प्र.प.) १३२
(ध.सं.) १०९४ (संय.) २९
(संय.) ३
(न.मा.) ५/८
(आ.अ.) १००
संजमविरिएणविणा
(आरा. २) २०
संजमविरुद्धकिच्चे, पणिहाणं (चे.म.) ४०९ संजमसाहणमितं
(आरा. २) ११२
(आरा. १७०८ (आरा. २) ६८६ (सं.प्र.) ४२१
(गु.त.) १।११६
(आग. २) ६८२ (संघ) २
(पं.प्र.) ६
(र.सं.) ४२६
(पं.सं.) ४९१
(दे.प्र) ३२४ (जी.अ.) २५८ (र.सं.) ३७६
संजमसिहरा रूढो संजमसिहरारू घोरतबसंजमहीणा मुणिनो संजमहे अजयत्तणं
| संजमहेउं पुरिसत्तसंजमु सुरसत्थिहि पुअठ संजय-जय - जइ - मुणिसंजयजीए जुन २२ संजयबायरसहमग
(श.भा.) ८३५
(क-२) १९ (कर्म) ४६३
(पं.सं.) ३८९
(क-३) १७
(कर्म.) ४३७
(ल.भा.) ५
(सू.सा) ४३ (क-५) १४
(श.भा.) ८३२
(पं.सं.) ५५०
(क.प्रा. २) ३२
(सा.भा.) २३
(वि.प.) ९०
(वि.ण.) ९२
संजलणवज्जसेसग- कसाय- (श.भा.) ७०२ संजलण वेय 3 ति संजलणाणं उदओ अप्यहि
३
(मा.सं.) २८ (पंच) ६२७
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