Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 354
________________ वोहारं जलवहणं, श पस संखनरा चउसुगइ, सु वोहारं जलवहणं, (दे.ना.) ६९१ संकडसंपडियाण वि जेसिं (दा.मा.) ७३ संकास गंधिलावइ, सक्क- (श्रा.दि.) ११६ व्याख्याय षष्ठिषतकं यत्पुण्यं (षष्ठि.) प्रा४ संकडा(ड)विअडा सेसा, (ज.पा.) २९ संकास, गंधिलावई, (द्र.स.) ६१ व्वो(जो)चेव कवग्गकमो,. (ज.पा.) १९२ (ज्यो.) २६ संकासविजयतक्कर-धण- (सं.प्र.) ३३४ संकपहावग्गजुयं तस्स (ज्यो.सा.) १३८ संकासुगंधिलावइ सक्क- (उ.प.) ४०३ संकप्प वाउराओ दुरुस्सारिय (वै.र.) ६६ संकासो विव भित्तूणं, (श्रा.दि.) १३९ संकप्पाइतिएणं मणमाईहिं (प्र.सा.) १०५९ संकासो वि विभित्तूणं, (द्र.स.) ६७ संकप्पाइतिएणं मणमाईहि (सं.प्र.) ५५४ संकिअ मक्खिअ णिक्खित्त (पंच.) ७६२ संकप्पो संरंभो१ (गाथा.) ४९७ संकिट्ठमाण १ सुविसुज्झ- (सं.प्र.) ७६६ संकप्पो संरंभो, परिताव- (सं.श.) ९४ संकिनवराहपदे, अणाणु- (गु.त.) १२११३ शक्यो वारयितुं जलेन (गाथा.) ७८० संकप्पो संरंभो परिताव- (प्र.सा.) १०६० संकियगहणे भोए चउभंगो (पिं.वि.)७८ संकप्पो संरंभो परितावकरो (सं.प्र.) ११२२ संकियदोससमाणं आवज्जइ (पिं.लो.)३१ शत्रुञ्जये कोटिगुणं, (गाथा.) ५९९ संकमइ जासु दलियं (पं.सं.) ५०६ संकिय १ मक्खिय २ (य.च.) ७९ शत्रुञ्जये जिने दृष्टे, (गाथा.) ६०४ . संकमइ नन्नपगई (पं.सं.) ५३७ संकिय मक्खिय णिक्खित्त (पंचा.) ६२० शान्ता मनोहरा कूरा, (ज्यो.) २३४ संकमउदीरणाणं (पं.सं.) ८२१ संकियमक्खियनिक्खित्त- (सं.प्र.) ७७९ शिरसा धार्यमाणोऽपि, (गाथा.) ८०९ संकमओ दीहाणं (कर्म.) ४३६ संकिय मक्खिय निक्खित्त (वि.वि) २४७ शिलां कोटिशिलां (गाथा.) ५८ संकमणं आयरिओवज्झाउ- (गु.त.) ३।४६ संकियमक्खियनिक्खित्त- (पिं.वि.)७७ शिष्याः श्रीधर्मसूरीणां, (प्रा.सं.) १ संकमणपडिग्गहया (पं.सं.) ५१७ संकिय-मक्खिय-निक्खित्त-(दं.प.) १२४ शून्यसप्ताङ्कहस्ताश्च चन्द्रेन्दु- (गाथा.) ८०३ संकमणे चउभंगो, (गु.त.) ३।३८ संकिय मक्खिय निक्खित्त (प्र.सा.) ५६८ शैत्यं नाम गुणस्तवैव (गाथा.) ८१७ संकमतुल्लं अणुभाग- (पं.सं.) ३५६ संकिय मक्खिय निक्खित्त (र.सं.) ५२४ श्रद्धालुतां श्राति शृणोति- (गाथा.) ३३७ संकमसममणुभागे (कर्म.) ४३९ संकिय१ मक्खियर निक्खित्त(वि.सा.)२९८ श्रमणेषु सकामा स्याद- (गाथा.) ६८९ संकलियट्ठ गुणिगि (गणि.) २० संकिय-सुत्तत्थ-विचार- (उ.कु.३)१४ श्रीमन्नागपुरीयाह्व (सं.सि.) प्र.१ संकलियपयं बिउणं (गणि.) २५ संकेओ पुण दुविहो (प्र.प.) ८१ श्रीविक्रमादित्यनृपस्य (गाथा.) १०३ संकलिय वग्ग तह घणं (गणि.) १४२ संकेयं चेव अद्धाए पच्च- (य.च.) १६ श्वानकुर्कुटनालानां (वा.सा.) प.।१२ संकलिय सहस्साओ दसाइ (गणि.) २३ संकेयं पुण गंठियपमुहं (य.च.) २४ श्वानचर्मगता गङ्गा, क्षीरं (गाथा.) ७९३ संकाइदुब्बलंगी (न.मा.) ३८ संकेय ९ चेव अद्धाए १० (प.भा.) २ श्वानपृष्ठिगता देवी चतुर्थी (वा.सा.) प.५ संकाइदोसरहिए, पसमत्थि- (हि.उ.) २२ संकेसणाइभेया चित्तअसुद्धीइ (वि.वि) २८९ संकाइदोसरहिओ, पसम- (ध्या.श.)३२ संकोअविकोअंपिहु, (पु.ष.) ११ संकाइदोसरहिओ पसमत्थि- (सं.प्र.) १३४२ संकोविकोएण (प.ष.) ६ संकाइसल्लपडिपेल्लणेण (उ.अ.) १७ संकोअ-विकोएहि य (जी.ष.) १९ संकाए अव्वत्ता-साढा (त्रि.कु.)८ संकोइय संडासा उव्वद॒ते (वि.सा.)३७६ संकाए मालिन्नं जायइ (श्रा.प्र.) ८९ संख असंख दु संखा (सि.पं.) ४४ संका कंख विगिच्छा, (पु.मा.) १०७ संख कवड्डय गंडुल, जलोय (जी.वि.)१५ षष्टिमिनके दोषा, . (गाथा.) ८२६ संका कंख विगिच्छा (प्र.सा.) ९३३ संख-कवड्डय-गंडोल- (आरा.१) ३७३ षष्ठः कट्यां षडधिकस्तू- (गाथा.) ६० संकाकंखविगिच्छा- (हि.उ.) २३ संख-कवड्डय-गंडोल- (प.आ.) १४४ संकाकंखविगिच्छा मिच्छा- (वि.मं.) ६९ संखकवड्डयगंडोलजलाय- (वि.सा.)७९० संका १ कंखा २ य तहा (सं.प्र.) ८९६ संखकुंदोवमेहिं च, (श्रा.दि.)६५ संका१ कंखा य२ तहा (वि.सा.)४११ संखगुणहाणिबंधो (कर्म.) ३५६ संका कंखा य तहा विति- (प्र.सा.) २७३ संखडि तेण नईओ, (भा.र.) ९२ संका कंखा, वितिगिच्छा, (अ.आ.) १८ संखडिपमुहे किच्चे सरसा- (सं.प्र.) ३७७ संकादिदोसरहितं (ति.गा) १२१९ संखडिपलोअणाए, भोअण- (गु.त.) ३७७ संकंतदिव्वपेमा, विसय- (त्रै.दी.) ३२१ संकामंति न आउं (पं.सं.) ५०८ संखडिभुत्तुवरियं, चउण्ह- (पिं.वि.) ३१ संकंति दिव्वपेमा, (बृ.सं.) १९३ संकामणाए दसगं, (सि.प्रा.)४५ संखदलविमलनिम्मल- (दी.प.) ५० संकंतीए पुव्वं, संकंति- (ल.शु.) ३९ संका य कंखा य तहा (मू.शु.) ९ संखद्रहो य गोलाद्रहम्मि, (दे.ना.) ७२० संकंतीभुत्तंसा संकमणं (ज्यो.सा.) ११० संकारविसेसातो सव्वमिणं (ध.सं.) ३५४ संखनरा चउसुगइ, सु (बृ.सं.) २७१ 333

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