Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 255
________________ नवगा पणगा मउजी नवगा पणगा मउजी नवगुणवणविहाणा इत्थी नवगुतीहि विसुद्ध नवगुतीहि विसुद्ध धरिग्ज नव चउ तह नलिणंगे नव चैव तहा चउरो नव चैव य धमणीओ नव चेव सयसहस्सा, नव चेव सहस्साईं, नव चेव सहस्साइं अद्भुट्ठाई नव चेव सहस्साई चड नवणी ओगाहिमगे नवणी ओगाहिमगे नवणी ओगाहिमगे (द्र.प.) १२३ (वि.वि) ३५२ ( आरा. १) ६१८ (पु.मा.) १५३ नव हारूण सयाई नव नवरात्राण्णू नवबंभनव ताल हवइ रूवं रूवस्स नव तित्थिण केवलिणो नव तिन्नि सत्त पंच य नवतेसीइसएहिं, उदय नव दरसणम्मि चत्तारि नव दरिसणम्मि चत्तारि नव दस अद्विकारस वण्णी नवदिण वीसमुहुत्ता नव दिण वीस मुहुत्ता नवदिणवीसमुहुत्ता, नवधाई पढ नव धणुसयाई पढमो नवधणुसवाई पढमो (सि.सा.) ९९ (वि.वि.) १३३ नव चेव सहस्साई छावट्ठाई नव चेव सहस्साई, छावद्वाई नव चेव सहस्साईं, पंचेव नव छ अड पण छेओ, नवछक्कचक्के नवगं नव छच्च दंसे दुदु, नव छच्चउहा बज्झइ नव छत्तीस य चुलसी नव जोयण विच्छिन्ना, नवजोयणवित्थिण्णा नवजोयणावित्थित्रा निहीठ ( दी. प.) ३१ (ध.गा.) १ (बृ.क्षे.) ४३ ( दी. प.) २९ (बृ.क्षे.) १०१ (पं.सं.) ५१९ (क-५) २४ (पं.सं.) ८४७ (गा. प्र.) १७ (बृ.क्षे.) १७७ (तिगा) ३०२ (वि. सा.) ५५३ ( ल. सा.) ३० नवणीउग्गाहिमगे अद्दवनवणीओगाहिमए अहवदहि (प्रत्या.) २०३ (भ.भा.) २५९ (बृ.क्षे.) ५३९ (बृ.क्षे.) ५६१ (बृ.क्षे.) ५४९ (प्र.सा.) २०६ (वि. सा.) ७६० (प.भा.) २१ (दे.कु.) ४ (गु.ष.) ९ (बि. प.) ५ (स.भा.) १२० (सि.सा.) ११४ (क-६) २१ (गाथा.) १७२ (प्र.सा.) १५९३ नवनव विलास संपत्तिनवनवसंवेगो खलु नाणानवनवसत्थब्भासो नवनवनव नवसीया दोसय छयत्तर नव नवसीया दोसय पंचनव नाह सिद्ध चुलसी हरि - नवनिहिणो वि निहिणा, नवनिहिपणो तस्स नव नोकसाय भणिमो, नव पंच दुति चउ तिगं नवपंचा णउअसए, उदयनव पंचैव य नव उच्च पंच नवपंचोदयसंता तेवीसे नव पणगोदयसंता, तेवीसे नवपावनियाणा ९ वारओ नवपुन्नी जो कुंचगमवर नवपुव्वीणं इकारसंगनव भगुत्तिगुत्तो, नवयंभचेरगुता दसनव बत्तीस तित्तीसा, नव बला अयल विजय नवबिबाण पवेसो | नवबिबाण पवेसो नव भणिया तह अप्पयरनवभागकर वत्थे चउरो नवभागकए वत्थे चउरो नव भूयगारबंधा अट्ठेव नव भेए भंगतियं (गणि.) १२६ (जी.स.) २५५ (प्र.सा.) ११६८ (वै.दी.) २४० (ति.गा) ७६ (वि.सा.) २५ (श.सं.) १७६ (आरा. २) २११ नवधम्मस्स हु पाएण नवनवइ सहस्साई अड्डाईज्जे (बृ.क्षे.) ३६७ न नवनउई कोडिसया, एगट्ठी नवनउई व सहस्सा, नव नवनवई पुव्वाइं विहरंतो नवनवइकणयकोडी चइऊणं नवभेया पुण एसा भणिया नवमंगे इगुखंधो, नवमं पच्चक्खाणं लक्खा नवमं लोहऽभिहाणं नवमगुणी चरिमम्मि नवमम्मि सुहा भणिया, नवमसरे वग्गम्मि, ताएँ नवमी नमइ सरीरं वसइ नवमी नवमासं पुण पेसारंभं नवमी य पुक्ख सुरगुरु, नवमे किं पिन याणइ नवमेगामी सूरे, ૨૩૪ (बृ.क्षे.) ४७९ (जै.दी.) ३७९ (सा.प.) ४६ (वि.मं.) ४९ (भ.भा.) ३३ (श्रा. प्र. ) ३ (ध.उ.२) २३ (पं.सं.) आए (पं.सं.) आ८ ( बि. प.) ३० (हि.उ.) २३७ (न.मा.) ११९६ (क. प्रा. १) ५० (सि.सा.) १२३ (क- ६) २२ (सि. सा.) १२४ (पं.सं.) ९३६ (क-६) ३३ (सं.प्र.) ६१६ (ऋषि) ६८ ( आरा. १) ४९८ (आय. ३)९८ (सा.प.) ३० (चौ.भा.) २८ (का.स.) २३ ( आरा. १) ३३९ (प.आ.) ९७ (श.भा.) २६३ (प्र.सा.) ८५१ (वि.सा.)३२७ (श.भा.) २६१ (पं.सं.) ८४८ (चे.म.) ८०८ (यो.कु.) १९ (प्र.सा.) ७१५ ( आरा. १) ५२८ (श.भा.) ३८६ (ल.शु.) १२२ (ज.पा.) ९१ (भ.भा.) ३२० (सं.प्र.) ११०८ ( ज्यो. ) १६९ (आरा. २) ५५४ (दि.शु.) ३७ नवसु वि वासेसेव (प्रा.भं.) ३७ (भा.प्र.) २३ (दी. प.) ८ (ति.गा) ५७१ (प्र.सा.) १२१० (र.सं.) ५३ (वि.सा.) ५४२ नवमो य महापउमो नवमो य महापउमो (श.सं.) १०३ नवरं अनंतभागो केवलनाण- (श.भा.) ६८९ नवरं अधम्मदव्वं, ठिईनवरं इत्थी खवगा नपुंसगं नवरं इत्थी खवगा नपुंसगं नवरं इह परिभोगो नवरं उक्कसजोगो न नवरं तप्यवाई तस्स. नवरं दसमावतीए नवमनवरं दसमावत्तीए नवमनवरं पडिलोमाई नवरं पमत्तविरए, पयडीओ नवरं पवेसिऊणं सागेंधण नवमे छसय छउत्तर, नवमे दसमे संते, नवमे य सिल्लप्पवहे, नवमो य महापउमो९ नवमो य महापउमो नवमो य महापउमो नवरं पुच्छामि अहं, तं नवरं भंगा अद्रुड समचरं नवरं वंतर जोइस, इंदाण नव सत्त पंच बीओ दिवा नवसमएहिं जहणणं तु नवसय तेणुएहि समइक्कंतेहिं नवसागरोवमाणं (न.भा.) ३३ (प्र.सा.) ६९९ (वि. सा.) ३६६ (प्रत्या. ) १९० (श.भा.) ८६० ( स.उ.) २५ (सं.प्र.) १५२५ (प्र.सा.) ७५७ (ति.गा) १९१४ (क.भा.) १२ (उ. प.) ९२० (चे.म.) १२२ नवरं वड्ढइ दत्ती सह नवरं सम्मं धारय अप्रेसि नवरं सुमुहुत्तम्मि, पुव्वु| नवरं सुमुहुत्तम्मी पुव्वु - नवरं से सविसेसं, पयडइ नवरत्तं सत्थसंजल नवरत्ताइसु तव पूयमाइ नवरमिह वित्थरभया नवरविमंडलसण्णिभनवरि चउत्थमसंखयमज्झ | नवलक्खा अडयाला सहस्स (न.मा.) १०/३ नवलक्खाणं मज्झे, जायइ (गाथा.) ३३२ नवलक्खाण वि मज्जे जायइ (भ.भा.) २६४ नवविहगेविज्जा तह, (आय. १) ४०७ नवविहगेविजातह नवसिरि हुति सुराणं, नवसु वि वासेसेवं (स.भा.) ७२ (बृ.सं.) ४८ (प्र.सा.) १५६३ (पंच.) ९६० (जि.प्र.) ३ (प्र.वि.) ३ (हि.उ.) २७६ (शा.सं.) १४४ (मि. स्था.) ११ (श.भा.) २७४ (न.मा.) १९२ (जोग.) ९ (प.आ.) १७८ (ज्यो.सा.) ५१ (गाथा.) ५९४ (र.सं.) २७५ (तिगा) २३ (न.कु.) ७ (ति.गा) ७००

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