Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 305
________________ बीया य सत्तरहिया धण भगवइवित्तीइ पुणोऽबीया य सत्तरहिया धण- (षष्ठि.) १२० बैंदियमाईण वहे, (सं.नि.) २१ भंग-तासविरहितो (ति.गा) १०४६ बीया सत्तमि बारसि (ज्यो.सा.)९ बे आदिच्चा मासा (जो.प.) २७६ भंगसयं सीयालं तु, (श्रा.ध.) ७३ बीयाहाणत्थं पुण, (गु.त.) १११४८ बेइंदिअव्व सव्वं, (जी.सं.) ६८ भंगा अहोमुहा खलु, (गा.भ) १५ बीहंति न चेव जओ, (चे.म.) ३०५ बेइंदिआण मज्झे (प.आ.) १८६ भंगा गिहिव्वयाणं (प्र.सा.) ५४ बीहहिं जेणं तहु भवहु, (बा.बो.)६४ बेइंदिय अप्पाउग (कर्म.) २९७ भंगा य पइविगप्पे (गा.प्र.) २३ बुक्का मुट्ठी सग्गहं उवरत्तं (पा.ल.) २२९ बेइंदिय-तेइंदिय-चउ- (आरा.५)५४ भंगेसु चउसु भागासिद्धो (प्र.प.) १८१ बुक्कासारो भीरू, बुलं- (दे.ना.) ५५७ बेइंदियतेइंदिय-चउरिदि- (खा.कु.)८ भंजंति अंगुवंगाणि (भ.भा.) १०८ बुझंति जे समग्गं, (चे.म.) ७१३ बेइंदियतेइंदिय-चउरिदिय- (च.क्ष.) ९ भंजंतो सीलवणं (आरा.३)३७ बुझंति नाम भारा (पव्व.) २१ बेइंदिय थावरगो (कर्म.) ४०५ भंडंपि अइमहग्धं, (षट्) ६७ बुज्झति य जहाविसयं (उ.प.) १६८ बेइंदियाइपाणे हणिऊणं (जी.अ.)२६८ भंडकरंडसमाणं (आरा.१)५५२ बुज्झसि बोहेसि परं, (उ.चि.) २६० बेइंदियाइया पुण (जी.स.) १६४ भंड-पडिभंडकरणे (गणि.) ९० बुज्झसु रे जीव ! तुमं, (वै.श.) ९२ बेइंदियाण मज्झे (आरा.१)४१५ भंडोवगरणदेह-प्पभिईसु (सं.प्र.) ५८८ बुज्झसु रे जीव ! तुमं, (य.शि.) २२ बेइंदियादओ पुण पसिद्धया (पंच.) ६४९ भंते भव्वत्तं कि बुडुइ जलि मुक्को अयपिंडो (ध.सं.) ८६३ बेइंदिया य जलुया (आ.प्र.) २८ भंभइ य एगटिप्पी सिकंदरी (द्र.प.) ७५ बुत्ती पुष्फवईए, बुक्का (दे.ना.) ५५६ बेइ गिरं धिय मुंडिय (उ.प.) ६३५ भंभलसद्दो अप्पिअ- । (दे.ना.) ५७२ बुद्धं अवगयमेगट्ठियं (वीर.) ४२ बेइ गिलाणो पडिओ (उ.प.) ६२६ भंभा भेरी, भव्वो बहिणी- (दे.ना.) ५६२ बुद्धा अवगयतत्ता, अन्नेसि (चे.म.) ३४९ बे चंदा इह दीवे, (जो.प.) १३१ भइएण रासिणा ते-ण (बृ.क्षे.) ३९२ बुद्धादिचित्तमेत्तं पडुच्च (ध.सं.) ६७२ बे चउपण्णा छ च्चेव (जो.प.) १८० भइणीसु जो ममत्तो (आरा.३)५५. बुद्धा मुणओ जे तेहिं (वि.वि.)१६ बे चउपण्णा छ च्चेव (जो.प.) ३७५ भउमजुयलस्स पुरओ (ग.हो.) २६ बुद्धिजुआ गुणदोसे (पंच.) ९७५ बे च्चेव धण्णमासप्फलाणि (जो.प.) २३ भक्खणपाउल्लंघण-नियंग- (सं.प्र.) १४९ बुद्धिजुओ आलोयइ धम्म- (उ.प.) १६७ बेछावट्ठिचियाणं, (पं.सं.) ३७२ भक्खत्ता इर वत्थजण, (बा.बो.) ४५ बुद्धिजुया खलु एवं तत्तं (उ.प.) ३७ बे जोयणाणि सूरस्स (जो.प.) २११ भक्खाऽभक्खा य पुणो, (ज.पा.) १३६ बुद्धी अचंडं भयए विणीयं, (गो.कु) ५ बे जोयणाणि सूरस्स, (त्रै.दी.) ७५ भक्खामि णिच्चमुच्र्छ (उ.प.) ७५४ बुद्धीइ निएऊणं भासिज्जा (श्रा.प्र.) २६४ बेटुट्ठाइं(?) सुरभि (ति.गा) ४२६ भक्खेइ जो उवक्खेइ, (दं.प.) ५४ बुद्धीएँ छिज्जमाणो (श.भा.) ४५९ बेट्टा बेट्टी परिणाविज्जहिं (उ.रा.) ६३ भक्खेइ जो उविक्खइ जिण- (सं.प्र.) १०४ बुद्धीपुव्वं काऊण जंपए (न.प्र.) ३५ बेणालिया मुहत्तो, (जो.प.) ३६ भक्खेइ जो उविक्खेइ, (श्रा.दि.) ११२ बुद्धीसिणेहजुत्ता (आरा.३) २७६ बेण्णायडतडनयरं पओस- (न.मा.) ७/६४ भक्खेइ जो, उविक्खेइ, (द्र.स.) १३ बुद्धे णाणोगाहण, (सि.प्रा.) १५ बे वार अभीयं दिण (ज्यो.) ३४ भक्खेइ जो उवेक्खेइ (वि.सा.)६४९ बुद्धेहिँ बोहियाणं (सि.प्रा.)५४ बोंदी य एत्थ पडिमा (पंचा.) ४५१ भक्खेइ जो उवेक्खेइ, (सं.सि) १०३ बुद्धेहिँ बोहियाणं, (सि.प्रा.)७२ बोल्लेमि य जं उचियं (उ.प.) ९६४ भक्खेऊण णिसाए अमय- (धूर्ता.) ३२८ बुद्धोइ तीय सड अड, (ज्यो.) २९ बोहंति परं किंवा, (आ.कु.)३९ भक्खे सुक्कतणाइ दुद्धं (आ.अ.)३६ बुद्धो पारमियाफलमणघं (ध.सं.) ९८८ बोहपरिणामलक्खणमिह (ध.सं.) १२०६ भक्खेहि ते तुमं गच्छिऊण, (धूर्ता.) ३२० बुध अद्दा भिगु रोहिणि, ___(ज्यो.) १९३ बोहसहावममुत्तं विसयपरि- (ध.सं.) ५० भक्खो१३ यण१४ सूप१५ (र.सं.) १८८ बुध तिया अड तेरिसि, (ज्यो.) १६२ बोहिंति भव्वसत्ते, मिच्छत्त- (हि.उ.) २५७ भग २७ अज २८ अज्जम (जो.प.) ३६४ बुध सिरे भू हवइ, (ज्यो.) २७० बोही जिणेहि भणिया, (चे.म.) ३३२ भगवं! कह पुव्वातो (ति.गा) ७०३ बुधे अस्सणि मूल, (ज्यो.) १८३ बोहेऊणं संपइस्त्रा (वि.सा.)६१९ भगवंत कहण मायादोसो (उ.प.) २८० बुसिया-विलोडिएसुं (दे.ना.) २७७ भगवंते तप्पच्चयकारि (पंच.) ९९६ बुह-गुर-छट्ठा-सणि- (ज्यो.सा.) २२२ भगवइअंगे खंधो, न (यो.कु.) १० बुहगुरुसुक्का तिण्णि (ल.शु.) १२३ भगवइचुण्णीइ पुणो, (गु.त.) ४/१२३ बुहचक्क सवइ कज्जे, (ज्यो.) २६८ भगवइजीवाभिगमे (प्र.प.) ८२१ बुह सुक्क राहु पुण्णिम- (ल.शु.) ६७ भगवइपणवीससए, सत्तम- (पं.प्र.) १०६ बुहु दु चउ खड दहट्ठो (ज्यो.सा.) ४८ भगवइपणवीससयस्स, (पं.नि.) १०६ बुहु विज्जा-गमणि (ज्यो.सा.)५० भंगचऊ पत्तेयं जं (स.भा.) १२ भगवइबारसमसया (ज.प्र.) २८ बेंदिअ तेंदिअ चरिंदी (गाथा.) ६४९ भंग-त्तासविरहितो (ति.गा) ८८५ भगवइवित्तीइ पुणोऽ- (गु.त.) ४।४७ ૨૮૪

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