Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 311
________________ भाविज्ज अवत्थतियं, (उ.च. १) २० ( नव. ४) ४६ (सं.प्र.) ९३५ भावि अवत्थतियं ( चै.भा.) ११ भाविज्जइ भव्वत्तं, पाणिदया (हि.उ.) ७२ भाविज भवसरूवं जह इह भाविज्ज भावणाओ, भावि मूलभूर्य १ भाविज्ज मूलभूवं, दुवारभूर्य भाविज् य संतोसं गहिय भावि पडिविहजो भावियजिणवयणाणं, भावियजिणवयणाणं ममत भाविय जिण वयणा वि (स.स.) ५५ (प्रा.प्र.) २७९ भावियप्पा रक्खिय धायुग अभायुगाणि भावगअभावुगाणि भाषगदव्यं जीवो, भावुग- दव्वं जीवो, भावुझियवहारा भावुल्लासेण विणा, अहिग - भाववयारो सम्मत्तणाणभावेंतो अणवरयं खणभंगुर - भावे अइम्मसंगो आणा भावे अइप्पसंगो आणा भावे अइ-प्पसंगो आणाभावे भाविअप्पा विसेसओ (पंच.) (का.स.) ७२ (चे.म.) ४५९ (४.सं.) ११०६ (स्त) ३६ १५९४ (आरा. २) ८१७ (ध.मा.) २५ (श.सं.) ८२ (पंच.) ७३४ (सं.प्र.) ४४२ ( गु.त.) ३।१२८ भासगजीवेहिन्तो (पु.मा.) ४५८ (ध.प.) ३१ (चे.म.) ८१३ (घ.सं.) ७ (ध.र.) ७४ (पंचा.) २५० (पंच.) ११४५ भ भावेमाणस्स इमं गाढं भावेयव्वं भव्वं, निव्वाणभावे विन तुच्छम्मि भावे वि होइ तिविहा भावे सम-विसमत्थे भावे हडगिलाणं, न भावेहि भावणाओ भावो ओदइआई, भावो जेसिमसुद्धो भावोवयारमेसि, देसंतरिओ भावोवलंभओ च्चिय भावोवि मणो विसओ, भास हुअंदुअं गच्छई भासइ न सयमसच्चे न य (पु.ष.) ५ (दा.वि.) ९ (ध.प.) ३० (हि.उ.) ३०३ (ध.सं.) ७२८ (न.प.) ७ (पंच.) १६३३ (सं.प्र.) ५५५ (प्र.पा.) ८० भासा असच्यमोसा, नवरं भासा असच्चामोसा, पय (प्र.पा.) २ (दे.ना.) ५६५ (क.सं.) ९९ (चे.म.) ६३४ (भा.र.) ७९ भासा असच्चमोसा परिणाम - (ध.सं.) ८९१ (य.स.) ७३ भासाइ जो विसेसं न भासा चढव्विहति भासादोसविहिनू साहू भासामबुद्धिविवेगभासामणसो एगत्तणेण (भा.कु.) १५ (सं.प्र.) ५१२ | भासग १५ परित्त १६ भासल भाविअ भाउन्ना भासाअपज्जत्ताणं भावेइ भावियप्पा भावेइ भावियप्पा भावेद य दोसाणं निदान भावे सलिंगे च्चिय (न.भा.) १२१ भासासु विचित्तासुं भावेण ताणं उ (पंचा.) ४८३ भासिज्जए नेव असच्चभावे ओदइयाई, (सि.प्रा.) ७७ भासित्तु वा न दिन्नं, भावे को पुण (षट्) १०० भासिय हियं वर्फ भावे जोगे करणे, (गु.त.) २।२७६ भिंगं गरुइल कज्जलभावेज्ज अवत्थतियं, (चे.म.) २१७ भिंगारथालवट्टय, भावेज्ज य वंदंतो, वन्नाइ - (चे.म.) २३१ भिंगारलोमहत्थय-लूहणया भावेणं अप्पएसा, (पु.ष.) ३ भिदंतेण रहस्सं सो भावेणं वण्णादिहिं चैव (पंचा.) १३२ भिक्खं अडंति आरंभसंगया भावेणं वण्णादिहिं तहा (पंचा.) १३३ भिक्खं पविण मएज भावेणं ववहारी, (गु.त.) २२१६९ भिक्खाअरिआ णियमा भावेण अणन्नमणा (चं.प.) १०१ भावेण अणुदिगं (आय. ३) १२ भावेण अप्पएसा, जे भावेण कप्पणिज्जं दिनं भावेण भुवणना भावेण सुद्धचरणो सुदंसणो भिक्खाइ विही सुद्धो १३ भिखाइस जत्तवओ एव भिक्खाए बच्च॑तो जइणो भिक्खाडने वि अहिंगो भिक्खा दत्तिपमाण भिक्खापत्त-असोएस - (आउ १) १४ (ध.सं.) १९६८ भासामेत्तेर्णपिय भिन्नमुत्तो विगले, (पंच) १४२८ (पंचा.) ७६० (पंच.) ८८९ ( द्वा.कु.) २४ (ध.सं.) ७३० (भा.र.) १५ (आरा. २) ९५४ (उव.) ४०३ (आय. ५)७० भिक्खायरिआ पाणय भिखारियादि सुज्झति भिक्खाविही उ नेओ इमस्स (वि.वि) २४१ भिखासदो चैवं अणिय (पंचा.) ६२७ ( य.च.) ६६ भिक्खासमए पनि पेहिय भिक्खुअकेडिअणिण्हयभिक्खुपडिमा बारस (गु.त.) ३।३१ (ऋषि) १२० (उ. प.) १०० (गु.त) ४।१४० भिक्खुम्मि इमं भणियं भिक्खुम्मि इमं भणियं, भिक्खुम्मि वि एवं चिय भिक्खू गीयमगीए अभिसेए (उव.) भिक्षांमे पथिकाय (गाथा.) ८३६ भिगु कील परिघ पंचग, (ज्यो.) ३ भिगु च नवमी चवदिसि (ज्यो.) १६४ ३९५ भिगुचक सवह कज्जे, (ज्यो.) २७४ (ज्यो.) १०५ भिगुपु हि उग्गड़, भिगुलग्गे बुहदसमे ૨૯૦ (भा.र.) १७ (प्रत्या.) ९२ (पं.प.) २५० (जी.सं.) १७७ (न.मा.) ७।४८ (वि. सा.) १६७ भिगु वयणे धणुनासा, भिगु सणि तमु सतु भिगु ससि विणु सहि भिगु सस्सू रवि सुसरो भिग्गु चक्खु वाम कांणय | भिच्चा वि सामिणो भिवंति अभिलाई, भिण्ांक हम विज्ज भिण्णणिमित्तत्तणओ, भिण्णमुहुत्तो नरएसु भित्ति तह थंभ अंतरि भित्ति (? ति) गमाओ भित्तिवलय पड दोण्णिवि |भित्तिसंलग्गबिंबं | भितृणं तमव्वकरणेणभिन्नंते भावाणं उवयारभिन्न च्चिय अवियप्पा भिन्नदिसाबंघेणं न (गु.त.) ३।३४ (गु.त.) ३।४५ भिन्न मुहुत्तो विगलेंदिभिन्नमुहुत्तो विगले, (वा.सा.) २७ (ज्यो) २७६ (ज्यो.सा.) ७५ (ज्यो.सा.) २२१ (ज्यो.सा.) २२३ (ज्यो.) ११२ (पंचा.) १६५ (भा.र.) ६ (गणि.) ४६ (भा.र.) २९ (उ.स.) ९ (आरा. १) ४७७ (मृ.शु.) ७७ (दी.प.) ३७ (गाथा.) ३१८ (सं.प्र.) १७५ (आय. २) ३०० (प्र.प.) ३४२ भिन्नद्धाणमुवादाणकारणस्सा- (ध.सं.) २७२ भिन्नप्पाणनिसेवणह भित्रमास लहुमासो (पंच.) २१८ (गाथा.) ७४० (पंच.) १४५१ (वि.वि) १४ भिन्नमुहुत्तं आवरणविग्घ(वि.वि) २६६ भिन्नमुहुत्तमवाहा (वि.वि) २६० भिन्नमुहुत्ते सेसे (ध.सं.) १०८० भिन्नमुहुत्ते सेसे ( आरा. २) १४० (दे.ना.) २२९ (गाथा.) ८२ (गणि.) १८८ (गणि.) १८५ (गणि.) २४२ (प्रा.वि.) ३७ (सं.प्र.) ८६५ (भ.भा.) ७५ (ध.सं.) ३५१ (ज्ञा.कु.) ८२ (सं.प्र.) १५५८ (कर्म) ७६ (सू.सा) ७८ (पं.सं.) ५९७ (कर्म.) १८५ (त्रै.दी.) ४६० (.दी. ४६२

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