Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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मणिणायहरं जलही,
मणिणायहरं जलही, मणिधणकणगसमिद्धा मणिपत्थराण पुण्णिममणि पत्र बच्छाओ मणिपेढिया महिंदझया मणिप्पभे मणिसिहे मणिप्प य मणिहिये, मणिष्यमे व सुप्पभे
मणिमंत ओसहीणं,
मणिमंतमूलियाहिं मणिमंतोसहिविज्जाउ,
मणियंगेसु य भूसणमणियंगेसु य भूसणवराई मणियंगेसु य भूसणवराई मणियार - घरोली सुं मणि-रण-मया मणिरयणमया वि
मणिरहकुमार साहू मणिरहकुमारसाहू काम
मणिरहगहा निलुका, मणि-लेडु-कंचणेसुं मणिवलयकणयकंकण
अक्खरे आ मणुअगइजाइतसबायरं मनुअ गइसहगयाओ,
अस
मणुअगई जाइ तसमणुआइ चउगई, मणु आउसम गयाई,
मणुआठसम गाई
मणुआठ सम गयाई, मणुआण जहन्नपए एगुण - आण दीह कालिय मणुआ रोमकू मणुआण विसोत्तरसयं, मणुआ वि जवणसयबब्ब
मई मणुया णारय मणुरसु यचडीसा मणुसु वि जे जीवा, मणुसु वि जे जीवा,
मनुएस वि सत्रिवि
मणुए सव्वि बंधा
ओलियवज्जरिसहाण
मग सायं सम्म
(दे. ना. ) ५९० ( जी.प्र.) ३९ (उ.चि.) २४६ (उ. प.) १४६
मणुय अपज्जत्ताऽऽहार
(प्र.सा.) १४७८ मणुयगइजाइतसवायर
मणुयगइजाइतसवायर मणुयाईए बारस, मणुवगईए बारस, मणुयाईए सिज्झङ्ग,
मणुयाईए सिज्झइ
मणुयगई पंचिदियजाई मणुयाईपाओगा मणुयतिगं देवतिगं, | मणुयतिरियाणुपुव्वी, मणुयत्तं जिणवयणं मणुयत्तखित्तमाईहिं
मणुयत्तणम्मि एवं मणुयत्तणे वि दीणो
मनुयत्तणे वि बहुविह
( दी. प.) १५६ (दौ.प.) ७८ ( दौ.प.) १५३
(भा.कु.) ३
(प्रा.सं.) ४२
(दे.श.) ८४ (ति.गा) ४९ (प्र.सा.) १०७० (वि. सा.) २२ (दे.ना.) ६८७ (तिगा) ४३० (वि.सा.) १६१
(आय. ३) १
(शान्ति) ७
(म.कु.) २५
(आ.कु.) ५ (भ.भा.) ३७७ (ज.पा.) ८४ (क-६) ८५
(क-६) ८७
(पं.सं.) ८९३ (क.सं.) १०७ (क.सं.) ११७
(का.स.) १२
(ल.क्षे.) ९८
(गाथा.) २३ (सू.प्र.) २८ (दंड.) ३१
(र.सं.) १३८
(जीवा.) १ (दे.श.) ५८
(सि.प्रा.) ९४
(पं.सं.) ९११
(खा.कु.) १४
म
मणुतिरिणुपुव्वि विउवऽट्ठ मणुदुगविहगदुगुच्चं मणुदेवगईजोगं
(च.क्ष.) १५ (स.भा.) १७७ (स.भा.) ८४ (कर्म) २८७ (पं.सं.) १८०
| मणुयत्त- सुखित्त पवित्तगुत्त
|
मणुयते वि हु पत्ते, मणुयते संपत्ता, इक्खागमनुयद्गुच्चागोए
मनुयदुगुच्चागो
मणुयदुगे उव्वलिए
मणुय सुरतिरिय विसयं मणुयस्स सेयवत्थस्स दंसणे मणुया उभवाइमए समए मणुयाऊ रहियतिगं
मणुया खर- फरुसनहा मणुयाणं पिय म
| मणुयाण जहन्नपए एकारस मणुयाण दस दसाओ मणुयाण पुव्वकोडी, मणुयाणुपुच्चि आहारदेवमणुयाणुपुव्विमीसग
मणुया संखेज्जगुणा मणु वसु मुणि तिहि मणुसी मणुस्स पढमा, मणुस्सजम्मं जिणनाहधम्मं मणेणं तह वायाए, काएणं मणे मणागं पि हु मण्णइ तमेव सच्च मण्णइ तेण वरेणं,
૨૯૬
(क-२) १६ (श.भा.) ६१६ (श.भा.) ५९४ (जी. स.) १६५ (कर्म) ३८९ (कर्म) ४२६
(क. प्रा. ४) ४३ (पं.सं.) १३ (न.भा.) १२०
(सि.प्रा.) २९
(स.सा.) ८१
(श.भा.) ९६४
(पं.सं.) १३९
(क. प्रा. २) २८
(उ. प.) ७८१ (भ.भा.) ४६७
( आरा. ३) १६१ (आरा. २) ५३७
(आर. १) ८५९
(श्रुता. ) ४३
.प्र.१) १६३ (प्रा. दि.) १०५ (कर्म) ४६१ (पं.सं.) ९८४ (स.भा.) १५४ (सं.दो.) १४३ (स्व.) २।२० (श.भा.) ९६८ (श.भा.) ५५४ (ति.गा) ९५३
(खाम) ५ (सि.सा.)७० (भ.भा.) ३१५
(बृ.क्षे.) ३९४ (पं.सं.) ६७३ (पं.सं.) १८१ (जी. स.) २८१ (ज्यो.सा.) ७३ (सि.प्रा.) ९७ (मू.शु.) ७३ (श्रा. दि.) १८४ (उ.स.) ३३ (आय. २) १० (प्र.कु. २) १०
मतिपुवं जेण सूर्य मतंगए मजे मत्तंगएसु मज्जं सुहपेज्जं मत्तंगया १ य भिंगा मत्तगया व १ भिंगा मतंगया य भिंगा मत्तंगया य १ भिंगा
मत्तंगाईतरुवर न मतंगे व मज्जे
| मत्तंड चंड दिधीइ ताव
मत्तंपि वाइतिमिरं, मत्तगगये अजोगं मत्तगगयं अजोगं मत्तगपरिवणम्मि अ
मत्तम्मि कुक्कुडो, मत्ता त पचग्गेहि य
मन्निज्ज चरणधम्मं मा (ध.सं. ८५३ (ति.गा) ४७
(प्र.सा.) १०६८ (तिगा) ४६ (वि.वि.)७९
मत्ता - बिंदुवियप्पं मत्ता वि य जे मंदा
मत्तासु जो विअप्पो,
|
मत्ता हियाउ नूणं, मत्ताहीणो
मत्तो जिणहरपडिमा घर
मत्तो तत्थेव च नियपमायओ मत्तो हीलेइ परं खिसइ मत्थे भूवमाणं, मत्थेइ राइदंड, सत्खय मद्य १ मांसाशनं २ रात्रिमनोऽन्ये मनसा सौख्यं,
मन्दो इग दुग चढ मन्दो वक्की कीरई, मन्नंता अन्नाणा अप्पाणं
| मन्नंति चेइयं अज्जमन्त्रइ जयम्मि धत्रे
मन्नइ जिणाण आणं
मन्त्र तर्ण पिव जगं मन्नइ तमेव सच्चं, निस्संकं मन्नइ तमेव सच्चं निस्संकं मन्नइ तमेव सच्चं नीसंकं मन्नइ तमेव सच्यं नीसके | मन्नइ न चेव चोरो मन्त्रति तमेव सच्चं नीकं मन्त्रह जिणाण आण मन्ना माणेयव्वा परिहवियव्वा मन्नामि सामि ! हिययं | मन्निज्जइ सो निउणो,
| मन्निज्ज चरणधम्मं मा
(प्र.सा.) १०६७
(वि.सा.) १९
(गु.त.) १।१६३
(वि. सा.) २०
(आ.आ.) ४३
(द.कु. ३) ३२
(पंचा.) ६२२
(पंच.) ७६४ (सं.नि.) १८ (दे.ना.) २११
(अ.चू.) ३३
(आय. ३) १५ (वै.र) २०१
(ज.पा.) १५
(हि.उ.) २१०
(आ.अ.) ४७ (भ.भा.) २१६
(प्र.सा.) ८२९ (ज्यो.) २८०
(ज्यो.) २८५
(गाथा.) ५७७
(ज्यो.) ७२ (ज्यो.) २४५
(ज्यो.) २५७
(उ.र.) ९५
(दं.प.) ७३
(पं.लि.) ५०
(सं.प्र.) ९७६
(सं.मा.) १०५
(दं.प.) २५९
(श्री. प्र. ) ५९ (वि.वि) ११४ (प्रा.सं.) ६५ (ध.सं.) ८१२
(वि.स.) ६७ (उ. प.) १०३७ (गु.वि.) ३४ (त.त.) ४२ (गु.श.) ८१

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