Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 284
________________ मसा, परिहारइत्तिया रिउमईइ, पवणदरवियलिएहिं घणपरिहारइत्तिया रिउमईइ, (दे.ना.) ४९९ पलिओवमं दिवड्डूं, (दी.प.) १३९ पल्योपमसहस्रं तु, ध्याना- (गाथा.) ६०३ परिहारपवज्जंता, इक्काई (पं.प्र.) १०० पलिओवम अयरऽव- (प्र.सा.) ३८ पल्लंक कमलचंदन वसणजुए (स्व.) २२२४ परिहारविसुद्धि अहालंदा (प्र.सा.) १७ पलिओवमट्ठिईया, (दी.प.) ८४ पल्लटियं जं दव्वं, तदन्न- (पिं.वि.)४५ परिहारविसुद्धितइयं दुविहं (सं.प्र.) ७६४ पलिओवमट्टिईया, (दी.प.) १२५ पल्लट्ठभाग पल्लंच (जी.स.)२०५ परिहारविसुद्धीए, मूलंता (गु.त.) १११८९ पलिओवमट्ठिईया (प्र.सा.) १२३० पल्लदिवड्डबिपल्लाणि जाव (कर्म.) ३४९ परिहारविसुद्धीणं, (पं.प्र.) ९० पलिओवमट्टिईया एएसिं (प्र.सा.) १५७४ पल्लसमा जोयणदससहस्स- (नं.स्त.) ११ परिहारविहारीणं गीयत्थाणं (पा.स.) ५२ पलिओवमठिड्याए, (बृ.क्षे.) ४०९ पल्लाणवट्ठियसलागपडि- (सू.सा) १२६ परिहार सुहुम अहखायाणं (पं.प्र.) १०५ पलिओवमठिईया, एएसिं (बृ.क्षे.) १८३ पल्लाऽणवट्ठियसलागपडि- (क-४) ७३ परिहारस्स जहण्णं, (पं.प्र.) ४१ पलिओवमठिईया, सुरगण- (बृ.क्षे.) १९ पल्लासंखसमाओ गन्तूण (पं.सं.) ४९८ परिहारस्स य तत्तो, (पं.प्र.) ५९ पलिओवमदसभाओ (ति.गा) ८१ पल्लासंखियभागं गंतुं (कर्म.) ५६ परिहाराण जहण्णं, (पं.प्र.) ९४ पलिओवमदसभागो (श.सं.) १८० पल्लासंखियभागं गंतुं (कर्म.) ८४ परिहारियाण उ तवो, (पं.प्र.) १८ पलिओवमदसमंसो, (का.स.) १८ पल्लासंखियभागं गंतुं (कर्म.) ८८ परिहारियाण उ तवो (प्र.सा.) ६०२ पलिओवमप्पुहुत्तं तहेव (श्रा.प्र.) ३०२ पल्लाऽसंखियभागं सासण- (जी.स.) २५९ परिहारे नवबंधो (क.सं.) ३७ पलिओवमलेहद्धं परमाउं (ति.गा) ६५ पल्लासंखियभागूणुदही (कर्म.) २६३ परिहारे विय एवं, (पं.प्र.) ६२ पलिओवमसंखिज्ज, भागं (उव.) २७५ पल्लासंखियभागेण ऊणिया (श.भा.) ३६५ परिहारे सुहुमे नव, (क.प्रा.४) ४० पलिओवमस्स अद्धे (ति.गा) ५१४ पल्लासंखियभागेणहापवत्तेण (कर्म.) १७३ परिहारो कम्मभमम्मि, (पं.प्र.) ४६ पलिओवमस्स मूला, (पं.सं.) २५९ पल्लाऽसंखियभागो (जी.स.) १४६ परिहिंडंतो अ अहं पत्तो (धूर्ता.) ९६ पलिओवमाइं चउरो (ऋषि.) ९२ पल्लासंखिय भागो (कर्म.) ५८ परिहीए ते असंखा बीए (प्र.सा.) १४०३ पलिओवमा इय समयाहिया (त्रै.दी.) २७८ पल्लासंखियभागोण (कर्म.) १९६ परिहीण राग-दोसा (च.प.) २ पलिओवमाणि तिनि (जी.सं.) १८५ पल्लासंखियभागो वेउव्विय- (जी.स.) २३९ परिहीणलोहमोहो मुक्क- (द्वा.व.) २ पलितोवमट्ठितीया निहिसरि- (ति.गा) ११४३ पल्लासंखियभागो सासण- (जी.स.) २२० परिही तिलक्खसोलस- (न.मा.) १०।२ पलितोवमलेहद्धं परमाउं (ति.गा) ११५६ पल्लाऽसंखियमूला गन्तुं (पं.सं.) ५०३ परिही तिलक्ख सोलस पलित्तमंदिरागारो, (ध.उ.१)२ पल्लासंखियमूलाणि (कर्म.) ९५ परिही तिलक्ख सोलस, (ल.सं.) ८ पलियं अहियं दो सार (दे.प्र) ३४९ पल्लुवलुवमाइ अहापवित्ति- (सम्.४)३ परिही ति लक्ख सोलस- (बृ.क्षे.) ८ पलिय अहियं दो सार, (त्रै.दी.) १४ पल्ले एक्कावि सलाइय त्ति (सि.सा.)१६७ परिही तिलक्ख सोलस य (सू.प्र.) ७ । पलियं अहियं सोहंमी- (प्र.सा.) ११४५ पल्ले महइमहल्ले कुंभं (ध.सं.) ७५६ परिहीविक्खंभद्धे गुणिय (गणि.) १८६ पलियंकसन्निसन्नो, उद्धट्ठाण-(चे.म.) २२४ पल्ले महइमहल्ले कुंभं (ध.सं.) ७५७ परिहत्त-वद्धविय- (दे.ना.) ५३६ पलियं वाससहस्सं, आइ- (त्रै.दी.) ७ पल्ले महइमहल्ले कुंभं (ध.सं.) ७५८ परोपहासं न कहिं पि (उ.स.) ३१ पलियं सवरिसलक्खं (प्र.सा.) ११४१ पल्ले महइमहल्ले कुंभं (श्रा.प्र.) ३५ पलए महागुणाणं, हवंत (दं.प.) १६७ पलियअसंखविभागे एगा (सं.प्र.) ८६३ पल्ले महइमहल्ले कुंभं (श्रा.प्र.) ३६ पलयो निहणं नासो, (पा.ल.) १६७ पलिय चउत्थ जहण्णु-क्कोस, (त्रै.दी.) १० पल्ले महइमहल्ले कुंभं (श्रा.प्र.) ३७ पलसू सेवा, पणिया (दे.ना.) ४६५ पलियचउब्भागेणं (श.सं.) ७३ पल्लोवमाइ अहा-पवित्ति- (सम्य.) ३ पलही ववणं तूलो . (पा.ल.) २५५ पलियचउब्भागेण य (ति.गा) ५१५ पल्लोवलमाइअहापवत्तकरणेहि (सं.प्र.) ८६२ पलाण्डु १ गृञ्जनं २ चैव, (गाथा.) ५८५ पलियपुहुत्तं थोवं, (पं.नि.) ५८ पल्हत्थ-आकुटुंसुं झसियं, (दे.ना.) ३४८ पलिअं अहियं च कमा, (बृ.सं.) १२ पलियस्सऽसंखभागं (पं.सं.) ५७४ पल्हत्थिअंउल्लंडिअं, (पा.ल.) २०१ पलि अद्धं १६ कोडि सहस्स (सप्त.) ३३२ पलिया असंखभागो, (त्रै.दी.) २४३ पल्हत्थी१ अथिरासण२ (र.सं.) १९३ पलिअद्धं चउभागो, चउ (बृ.सं.) ७ । पलिया असंखभागो (प्र.सा.) ११७१ पल्हत्थीकरणं १३ पि हु (सं.प्र.) २४९ पलिआसंखंसमुहू, सासण (सं.श.) ९८ पलियाणि तिन्नि भोगावणि- (सा.भा.)५ पल्हवि कोयवि पावार (प्र.सा.) ६७८ पलिओवमं गहाणं, (त्रै.दी.) ८ पलिया दुण्णि जहण्णा, (पं.प्र.) ५६ पल्हवि हत्थुत्थरणं कोयवओ (प्र.सा.) ६७९ पलिओवमं च एगं, (दे.प्र) ३६२ पलियासंखंतमुहू सासण- (सू.सा) १०५ पवए तरंडचागा सम्मं (उ.प.) १२५ पलिओवमं च तिविहं (जी.स.) ११७ पलियासंखंसमुहू, सासण- (क-५) ८४ पवज्ज संपत्तं सिक्खं सुपरि- (सं.प्र.) ७३५ पलिओवमं च तिविहं (प्र.सा.) १०१८ पलिया संखियमेत्ता (पं.सं.) ४६८ पवणजिएसुंघण-तणु- (आरा.१)४१३ पलिओवमं जहण्णा, (दे.प्र) ३६३ पलियासंखेज्जंसे, बंधंति- (पं.सं.) २४६ पवणजिएसुंघण-तणु- (प.आ.) १८४ पलिओवमं जहण्णा, (त्रै.दी.) १८ पलियासंखो सासायणंतरं (पं.सं.) ९५ पवणदरवियलिएहिं घण- (ध.सं.) ८२२ ૨૬૩


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