Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 300
________________ बलदेव चक्कवट्टी, देयट्ठाणेसु बहुवाणरमज्झगया तव्वसहा बलदेव चक्कवट्टी, देयट्ठाणेसु (त्रै.दी.) ४११ बहिवट्टमंतरे उण (वि.वि.)१२६ बहुपीय कणयवण्णो ___ (र.प.) ९७ बलदेवचक्कवट्टी देवट्ठाणेसु (वि.सा.)८० बहिवप्पदारमझे (स.र.) १९ बहुपुग्गलेहि जणियं (श.भा.) १९९ बलदेवमुणी य भयवं, (हि.उ.) १९८ बहिवप्पे जाणाई (स.र.) १८ बहुभंगदिट्ठिवाए (जी.स.) २८५ बलदेव-वासुदेवत्तणाइ, (दे.श.) ८२ बहुअयरं उवरिमगा, (बृ.सं.) १९७ बहुभिर्न विरोद्धव्यं, (गाथा.) ७७९ बलदेव वासुदेवा अढेव (वि.सा.)५७२ बहुआई विचितेउं गोहारूवं (धूर्ता.) ४१२ बहुभेया पासाया अस्संखा (प्रा.वि.) १ बलभद्दप्पमुहाणं (ऋषि.) ९० बहुआण एगसद्दे जइ (स.सू.) १३७ बहुमंततंतचवणा, कुगह- (दे.श.) ७२ बलमित्त-भाणुमित्ता (ति.गा) ६२२ बहुआयरिअपरंपरअंतरिआणं (प्र.प.) २५ बहुमच्छचक्कवहगंग- (का.स.)५९ बलमित्तभाणुमित्ता (वि.सा.)४९४ बहुआरंभविढत्तं, वित्तं (वै.श.) २८ बहुमच्छचक्कवहणइचउक्क- (ल.क्षे.) १०४ बल-रूव-रिद्धि-जोव्वण- (भ.भा.) २४ बहुआरंभविढत्तं वित्तं (वि.मं.) ११० बहुमज्ज्ञदेसभाए, (बृ.सं.) २८१ बलवंतबिंबलोवे (प्र.प.) ६८७ बहुकालदूरदेसंतरिआणं (प्र.प.) ३९४ बहुमज्झदेसपेढिय, (दी.प.) १९१ बलवंतेहिं इमेहि (गु.त.) २।११० बहुकाल वेयणिज्जं, (त्रै.दी.) ४४६ बहुमज्झे चउदिसि चउ ___(ल.क्षे.) १९८ बलवं रोगविउत्तो, (क.प्रा.१) १६६ बहुकाल वेयणिज्जं, (बृ.सं.) ३३२ बहु मन्नइ गिहिलोयं (सं.प्र.) ४८८ बलवत्तं साविक्खं साविक्खं (प्र.प.) ६८८ बहुकालिओ अणाई (मि.म.) २६ बहु मन्नइ धम्मगुरुं (ध.र.) २६ बल-विरिय-सत्त-सोहग्ग- (वीर.) ३२ बहुकुग्गहम्मि वि जणे (उ.प.) ८५० बहु मन्नसु मा चरियं (जी.अ.) १८६ बल वेजयंत अजिआ, (का.स.)६९ बहुकूडकवडभरिआ (वि.नि.)३१ बहुमहिलासु पसत्तं, (शी.उ.) ९१ बलहरिस्सहहरिकूडा (ल.क्षे.) ७० बहुकोडिकोडिलक्खा (वि.स.) ७ बहुमाणं वंदणयं, (दं.प.) १६६ बलिउट्ठा रिद्धा बुक्कणा (पा.ल.) ४४ बहुकोह-माण-माया- (ति.गा) ६२९ बहुमाणजुए बद्धायरम्मि (उ.चि.) २५४ बलिए ओज्जल्लो, (दे.ना.) १५४ बहुखंडते मीसं उदया- (पं.सं.) ७७६ बहुमाणविसेसाओ, (चे.म.) ८८९ बलिएहि दुब्बलजणो, (हि.उ.) ३०८ बहुगं तेण न गेज्झो (श.भा.) ९८३ 'बहुमाणेण एयम्मि (मू.शु.) ५३ बलिकिज्जामो सज्जण- (षष्ठि.) १०६ बहुगुणआइन्ने वि हु, (उ.चि.) १७३ बहुमाणो वि हु एवं (पंचा.) १६७ बलिपविसण समकालं (स.र.) ३६ बहुगुणजुत्ते पुरिसे, (गु.त.) २।२८ बहुमिच्छो नेरइओ (श.भा.) ५०५ बलियं य अणावुट्ठी (ति.गा) ७१६ बहुगुणविज्झानिलओ (षष्ठि.) १८ बहुमुंडाइवयणओ आणा- (य.स.) २२२ बलिसत्तधण्णफलवास- (प्र.वि.) ४६ बहुगुणविहवेण जओ (उ.प.) ९१३ बहुमुंडे अप्पसमणे (गु.श.) १२ बव-बालव-कोलव- (दि.शु.) १३ बहुगुणविहवेण जओ ___ (सु.सि.) ३० बहुमोहो विहरित्ता (चं.प.) १५८ बहलाओ गड्डुलाओ (प्रत्या.) १५७ बहु चितिऊण कुमयं (प्र.प.) ८९६ बहुयं पि सुयमहीयं (चं.प.) ६६ बहवे उदारवाया मुच्छंति (ल.क्षे.) २०३ बहुजणपवित्तिमित्तं (सं.प्र.) ४१६ बहुयं लाघव-जणयं, (पु.मा.) १८१ बहवे जीवंति तओ तेण (उ.र.) १८० बहुजणपवित्तिमित्तं (सु.सि.) २७ बहुयपसिद्धिगुणेसुं, (विवे.) ११ बहवोऽप्येवं जगदुः (वा.सा.) प.२ बहुजणपवित्तिमित्तं, (दं.प.) १०२ बहुय लोय रायंध स (उ.रा.) ३४ बहिखंडतो बारसदीहा (ल.क्षे.) ८८ बहुजणपवित्तिमेत्तं । (उ.प.) ९१० बहु य लोय लुंचियसिर (का.कु.)७ बहिगयदंता दीहा पण-' (ल.क्षे.) २३२ बहुजण-विरुद्ध-संगो, (हि.उ.) ३४७ बहुयाणं संवेगो जायइ, (आरा.२)१५२ बहि चेईहर अभि अमियतेय (उ.प.) ७४८ बहुजणविरुद्धसंगो देसादा- (पंचा.) ५९ बहुया बहुया दिवसडा, (गु.ह.) १३ बहिनिग्गमसमए सो (न.मा.) १११०१ बहु जिय घण घा (बा.बो.)५६ बहुरंगं सुसणिद्धं (र.प.) ९१ बहि पउमपुंडरीआ मज्झे (ल.क्षे.) ३५ बहुतरकम्मोवक्कमभावो (श्रा.प्र.) २३३ बहुरय जमालिपभवा (वि.सा.)५१६ बहिभाविहिं रंजिय जगह (ज्ञा.कु.)८४ बहुदलियाउग मोहे (ल.भा.) २२ बहुरयणविणिम्माया, (गाथा.) ३१४ बहियाउ माणुसुत्तर, (बृ.सं.) ६७ बहुदुक्ख ५९ कंठच्छेयण (वा.सा.) ८१ बहुरयदेवा परियारेंती (आरा.१)७०४ बहिया जणस्स धम्म (आरा.१)३८ बहुदुक्ख वक्कणासा हस्संग (बि.प.) २३ बहुरय१ पएस२ अव्वत्त३ (वि.सा.)५१५ बहिया वियारमत्तग-धावण- (उ.चि.) ३६५ बहुदुक्खसंविढत्तो नासइ (पंच.) १८१ बहुरिद्धिप्पत्तेहि य (ति.गा) ८९१ बहिरंतरंगभेया, विविहा (आ.कु.) १० बहुदोस आउ थोवं (र.सं.) ४४७ बहुलद्धधणो तरुणो, (उ.चि.) २९६ बहिरंतरपरमप्पा जहा (सं.प्र.) ९१ बहुदोससंकिलिट्ठो, (उव.) ४३८ बहुलस्स सत्तमीयं (जो.प.) २५० बहिरप्पा इंदियवसगु, (ज्ञा.कु.)७२ बहुदोससंकुले गुणलवम्मि (पु.मा.) ३०१ बहुलालियस्स बहुपालियस्स (आउ.२)१८ बहिरभितर किरियारोहो (ष.स.) ४६ बहुधणधन्नसमिद्धं अम्ह (धूर्ता.) ४०१ बहुलासाढचउत्थी सुद्धावइ- (सप्त.) ५९ बहिरमझंतरियं परिग्गह (वै.र.) ९५ बहुनक्कचक्क-मच्छग- (आरा.५)५६ बहु लोएण वि निदिय- (द्वा.कु.) ७।१० बहिरस्स य अंधस्स य (पंच.) ६४० बहुपढमवग्गवण्णा अह (अ.चू.) २९ बहुवयणेण दुवयणं, (चे.म.) २९८ बहिराण कणजावो (आ.अ.)६० बहुपीडाए अ कहं थेवसुहं (पंच.) ८६ बहुवाणरमज्झगया तव्वसहा (उ.प.) ८२० ૨૦૯

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