Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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पहरंति चवेडाहिं चित्तयवय
( दी. प.) १९४ ( य.च.) १४२
(जी.प्र.) ८९ (ऋषि) ३७ (गाथा.) ७४ (पु.मा.) ५३ (श्री.दि.) २७३ (त्रि.कु.) २२
पहरंति चवेडाहिं चित्तयवय- (भ.भा.) १५३ पहरणकोसो इंदझयरस, पहरम्मि अइकंते गुरुमुणिपहरा दीयहा मासा जह पहरिज्जतो दुज्जोहणेण पहसंत-गिलाणेसु १, पहसंतगिलाणे, आगमपहसंतगिलाणे, आगमपहसम्मिय पण्डोओ पहाणदव्वाण य भायणं पहिआओ उप्पलिओ पहि कुसल लग्गि तिहि, पहिय- पिवीलिअनाएण को पहियाणं लिखाणं उकोसपहिलिय पिविलय नाएण, पहिल्लउं जायउ वेवडर, पहुअणुरतेण तहा रुन्नं पहुजिणवल्लहसीसो वायणा - पहुनंद१० कुत्थुहाविय११ पहुनंद कोल्हा वि पहुवद्धमाणसंतान पहुवयणविहिरहस्सं नाऊणं
(ज्ञा. कु.) ९६ ( य.स.) १८८ (व्य. कु.) १७ (वि. सा.) १७५ (प्र. सा. ) ३०५
पा अद्ध पण एगं दु
पाई पडणं वावि, पाईणगामिणीए अभि
पाईलाई दस दिसि,
पाणी
पाणोईण हो पाणो दीणमुह चेइयपाउंछणमुउबद्धे वासासमयपाउग्गिओ य सहिए, पाउण णेव तित्ति सद्धालू पाउणवीसा सहि दम्मिहि पाउयरणं दुविहं पायडकरणं पाउरणी कवचे, पासावयपाउवगमण - इंगिणि, पाउसकालनईओ व्व पाउस १ वासारत्तो पाठसि अधुइमाई अहिगय पाउसिआई सव्वं विसेस - पाउसिय अड्डतं,
पाऊण दूण भूमजु पाऊण पंच दम्मा गुणिज्ज पाएण कालदोसा भवन्ति
(म.श.) १५ ( स.श.) ११४
(दि. शु.) ६१ (सम्. ४) ५ (ल.सा.)७४ (सम्य.) ५
(जं.कु.) ३ ( षष्टि.)
१५५ (प.) १२३
(स.शा.) २४६ (ति.गा) १०७१ (जी.सं. ५२ (आरा. २) ३३५ (आय. २) ३४२ (आ.वि.) २९ ( य.च.) ५८ (दे.ना.) ५०४ (य.स.) ६६ (गणि) ६८ (पिं.वि.) ४१ (दे.ना.) ५०५ (पु.मा.) ४९० (आय. २) ५७७ (जो. प.) २८० (पंच.) ४९७ (पंच.) ४९३ (स. शा.) ९९ (प्रा.वि.) १६ (गणि) ५४ (यु.प्र.) २४
प
पाएण चरमकाले जमेस
पाएण दूसमाए धम्मे पाएण पुव्वसेवा परिमउई पाएण बज्झे वि गुणा पाएण लूहवित्ती, नवकप्प - |पाएण वज्जियव्वो, गिहिणा पाएण संपइच्चिय कालम्मि पाएण हुति जोगा, पव्यपाएण होइ एयं स्वणीभोयण
पाएसु वंदणं जुत्तं, पाओगं बंधंतीय नरगगइपाओगहणा एवं पाओ मुणी सहावो
पाओरण दीवाई पयडणं पाओसियकालेणं अणागएसु पागडियसव्वसल्लो, गुरुपायपागयआगमसक्कयकरणं पागारदुवारेसुं, सभासु पागारपरिक्खित्ता, पागारपरिक्खित्ता,
( य.च.) ८३ (पा. स.) १७ ( उव.) ६५ (प्र.प.) ४९४
(दे.प्र) ३०७ (दे.प्र) २४९
( दी. प.) ४५
पागारपरिक्खित्ता, वट्टविमाणा (त्रै. दी.) १९५ पागारपरिक्खित्ता, वट्टविमाणा (बृ.सं.) १०६ पाति वज्जमयवागुरासु (भ.भा.) १५१ पाडलचंपगमलिय अगुरुय (वै.र.) ५७ पाडलसउणो हंसे, (दे.ना.) ५०८ (दे.ना.) २३२ (उ. प.) २७४
पाडलि पसिद्धए पाडलिपुत्त हुयासण जलणपाडलिपुत्ति महागिरि पाडलिपुत्ते णयरे तं पाडिकं पत्ते उंबरओ पाडिलए पडिवची, नत्थि पाडिवगओमरते
| पाडिवग बितिय ततिया | पाडिवतो नामेण
पाडुंकी वणिसिबियाइ, पागोरी विठणे मज्जापाडेकनय पहगयं सुतं पाढकिरियानुसारा, भणिया पाणगुवि दुखाइ इह, पाणंते वि न मिच्छा पाणं भायण पिच्छण, पाणं १ भायण पिच्छण
पाणं सुराइयं पाणियं
| पाणं सोवीरजवोदगा
(पंच.) १५५४ पाणं सोवीरजवोदगाइ (आ.शा.) २७ पाणं सोवीरजवोदगाइ (ध.सं.) ७९१ (ध.गु.) १० (उ. चि. ) ३४४ (उ. चि. ) १४४ (प्र.सा.) ९२१ (पु.मा.) १२२ (प्रत्या.) १६५
૨૬૫
(व्य. कु.) १६ (श.भा.) ५८९ (प्र.प.) ३३५ (सं.प्र.) १५६६
(उ. प.)
२०२
(धूर्ता.) ३९९ (पा.ल.) २४५ (दि.शु.) ६२ (जो. प.) १२४ (जो. प.) ११४ (ति.गा) ३८२ (दे.ना.) ५०१ (दे.ना.) ५४०
(स.सू.) १५८ (चे.म.) १७३ (बा.यो.) ४८ (सं.प्र.) ८२१ (का.सं.) १५ (ल.क्षे.) ९७ (प्र.सा.) १४१७ (पंचा.) २२२
पाणापाणनिमित्तं सिय (प्रत्या. ) ६४
(प्र.सा.) २०८
(वि.सा.) ७६३
पाणं सोवीरजवोदगाइ पाणं सोवीर जवोदगाइ पाणइवाए एगिंदियाण पाणइवाए जयणा दारुयपाणगआगारेहिं कएहिं पाणगगहणं एवं ण
पाणगजोगारे टविंति
पाणगदव्वं ति तहिं जं पाणच्चए वि पावं, पिवीलि पाणच्चये वि न कुणाइ पाणपहाणपरम्म वि. पाणम्मि एगो घडगो पाणम्मि सरयविगई पाणम्मि सरय विगई
पाणय-आरण-अच्चुयपाणयमसिंभलं परिपूर्य पाणवहं सुहुमेयर
(प.भा.) २३
(आय. १) १८७
(न.प्र.) २६
(प्रत्या.) ६६
(पंच.) १४५२
पाणाइवाय तह मुसावाया पाणाइवायपमुहे पुणव्वयापाणाइवायपमुहे पुणव्वयारपाणाइवाय १ मलियं पाणाइवाय मलियं, चोरिक्कं पाणाइवार्यावरईसिक्खापाणाइवाय विरमणं, पाणाइवायविरमणाई पाणावायारंभिय पाणाईवाय अनियत्तणम्मि पाणाठणामपुच्चे वारसमे पाणाणं भूयाणं सत्ताणं पाणाण भूयाइ य पाणसंगहो पाणातिपातविरमणमादी पाणातिवातपचितिसु संकष्प पाणा पज्जत्तीओ, तनुमाणं पाणापाणनिमित्तं सिय
(आरा. १) ८०
(उ. प.) ६२८ (उच्) १७५ (पं.लि.) २९
(चा.म) २५
( द्वाव्र.) २९
(प्र.सा.) २११ (वि.सा.) ७६६ (जी.क.) १२
(आरा. १) ७६०
(अ.आ.) २६
| पाणवहमुसावाया,
(न.भा.) ५५
पाणवहाइम्मि पाओ भावेणा - (वि.विं) २९९ पाणवहाई आणं पावद्वाणाण पाणवहाईस रओ जिणपूआ पाणवहाईहिन्तो सुहासवो
(पंच.) १०२१ (क.प्र.५) २८ (पं.लि.) ८८
(र.सं.) ४५२
पाणाइ दुगुण साइमं पानाइवाइयाणं पंचह पाणाइवातविरमणमादी
(च.मू.) ३९
(ध.सं.) ८५७
( च.मू.) ४ (सं.प्र.) १५२३ (प्र.सा.) ७५५ (र.सं.) ५२९ (आ.प्र.) २८
(ध.सं.) ४७०
(आ.प्र.) २६
(पंच) ६५०
(नव. ३) १७
(न.प्र.) २४
( द्वा.प्र.) १६
(ज. प्र. ) १८ ( श्रुता.) ७४ (पंचा.) ७२४ (पंचा.) ७६५ (दं.प.) २१४ (ध.सं.) १०८

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