Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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पत्ताबंधपमाणं, भाणपमा
पत्ताबंधपमाणं, भाणपमा (गाथा.) ५४० पत्ताबंधपमाणं भाणपमाणे (वि.सा.) २०१ पत्ताबंधपमाणं भाणपमाणेण (पंच) ७९८ पत्ताबंधपमाणं भाणपमाणेण (प्र.सा.) ५०१ पत्ताबंधो पडला रयहरणं (पंच.) ७९० पत्ता य कामभोगा, (इ.प.) १३
(उव.) २०२ (प्र.प.) १४४ (दे.ना.) ४६४ (ध.सं.) १०२०
पत्ता य कामभोगा, कालपत्तज्ज सुणा
पत्ति पसाइय- पत्तपत्तिम्मि वि एते च्चिय पत्तीएँ रयणसारं आहरणां पतुकस्सठितीणं
पत्ते पंचविहो,
पत्ते पंचविहो,
अतणूकाया परिया
(प्र.पा.) ८२
पत्ते अपज्ज
(देह.) १७ (गु.त.) ११५९
पत्ते अबुद्धकरणे,
पत्ते अमसंखिज्जा, संजमठाणा (पं.नि.) ५९
पत्ते अवणसरीरं, समहिअ
(जी.सं.) ४१
(जी.सं.) ४३
(उ. प.) ८९७
(ध.सं.) ७७९ (गु.त.) ४।२९ (गु.त.) ४२३४
पत्तेआ अस्संखा, जीवा
पत्तेआ तह साहारणा
(कर्म) २० (कर्म) ३००
पतेउवघायउयलद् पत्तेगत वायरसुडुमपत्तेगमुरालसमं इयरं पतेगेगिदियजीव पट्टणादाय (पं.प.) ५२ पत्तेगेगेंदियजीवगाढपरि- (पं.प.) ३८ पत्तेगेगेदियमारिगाए
(पं.प.) ३२ (वि.मं.) १३४ (न.मा.) ७।४६
पत्ते घरम्मि पत्ते सव्वविसुद्धं पत्ते दिपहरति पत्तेयं अहं कोडाकोड- (क.ब.) २६ पत्तेयं अप्पिणणं पालिज्जह (उ. प.) १७४ पत्तेयं चिय मणिरयणघडिय- (भ.भा.) ३३९
पत्तेयं तस्मुतुं पंचवि पत्तेयं तस थावर धिरमथिर पत्तेयं दुविगप्पो तत्थ पत्तेयं दुविगप्पो साईअधुवपतेयं पत्तेयं एवं पत्तेयं पत्तेयं कम्मफलं
पत्तेयं पत्तेयं पंचसु पत्तेयं पत्तेयं सिहरतले पत्तेयं लेसाओ अनंतवग्गण पत्तेयं साहारणं थिरमथिर - पत्तेयं साहारण, थिरपत्तेयं साहारणथिरमथिर
(जी.सं.) ३१
(पं.सं.) ९२४
प
पत्तेयं साहारण-थिरमथिरपत्तेयं साहारण थिरमधिर पतेयअजभंगा दो पतेयजियपरंपरनिक्खिविर्ड पत्तेयजियानंतर निक्खिविउ पत्तेय तनू पत्तेउदयेणं
पत्ते य तम्मि खित्ताइपत्तेयतरुं मुत्तुं पंच पत्तेयदुगेगयरं सुहुमपत्तेय पजवणकाइआओ पत्तेयबायरस्स उ, परमा
(जी.वि.) १४ (वि.सा.) ८३७ (श.भा.) ८४५ (श.भा.) ८४९ (ज.पा.) २८२ (भ.भा.) ५८ (न.मा.) १।२५ पत्तो कंपिल्लपुरं ( दी. प.) ५१ | पत्तो कमेण बेण्णा(सं.प्र.) १३०० पत्तो गामसमीवे (जी.क.) २५ (क. प्रा. १) ७४ (ध.सं.) ६२०
| पत्तो चरित्तलाभो होइ पत्याए इरा सह पत्तो पत्तकुलम्मि
(स.भा.) ६४
(पं.सं.) ४४ (पं.सं.) ८४
(वि.वि.) २० (सि.प्रा.)५३
( नव. ४) १०१
पत्तेयबुद्धजिणपहुरहिया पत्तेयबुद्धदसगं, बुद्धेहिपतेयबुद्धसाहूण, पत्तेयबुद्धसाहूण होइ पत्तेयबुद्धसाहू नमिमो पतेयबुद्धसिद्धा, धोवा
(प्र.सा.) ५२४ (ऋषि) ३६
(न.भा.) १३२ पत्तेयबुद्धिलाभेण जाईसरणे - ( गु.श.) ५१ पत्तेयबुद्धो जाव उ (जी.अ.) १७५ पत्तेयमवयवेसुं देसेणं (ध.सं. ६५५ पत्तेयमसंखिज्जा, संजमठाणा (पं.प्र.) ५७ पत्तेय रसा चत्तारि, सागरा (वै.दी.) ९२ पतेयर सुमेयर जिएस (वीर) ३१ पत्तेयवर्ण५९ वायर (प्र.पा.) १२६ पत्तेयविमाणाणं, (दे.प्र) २८९ पत्तेय सयंबुद्धाबुद्धेहि (सि.प्रा.) ३५ पत्तेयसुहुमदुगदुगएगयर- (श.भा.) २७१ पत्तेयाण वणाणं ( आरा. १) ४१४ पत्तेयाण वणाणं (प.आ.) १८५ पत्तेयावरण कह (वि.ण.) १६३ पत्ते वि कोमुइतम्मि पत्ते वि तम्मि रे जीव पत्ते वि माणुसते,
पत्ते वि सुद्धसम्मतेपत्ते सुद्धं दाणं, विमलं
पत्तो अ कप्पिओ इह पत्तो अयगरमूलं सत्तय| पत्तो अ सो वणगओ
૨૫૮
(क- १) ४९
(हि. उ. ) ८ (वि.सा.) ७८२
(श्रा.प्र.) २३ पत्तो महाडवीए संबल(प्र.सा.) १२६५ पत्तो व बीयदिवसे ( स.भा.) १७६ पत्तो रायसहाए मुत्ताए (पं.प.) ४२ पत्तो वि पमतेहि सत्तेहि (पं.प.) २५
(न.मा.) ९1९ (वै.श.) ५२ (उ.चि.) ३७
, गोअम(न.मा.) ७/४३
(न.मा.) ७/६८
(न.मा.) ७२८५
(उ.च. १) ४
पतो वि परं यणं,
(ज.पा.) २६३
पत्तो सुसीससद्दो एवं
(ध.र.) १३२
पत्तो सुसीससद्दो एव कुणंतेण (य.स.) १८१
पत्थइ सुहाई जीवो, पत्थडतेरे पढमियम्मि
पत्थडतेरे बट्टा, जतियमेत्ता
पत्थरेणाहओ कौवो,
(प्रमा.) १८ (ध.वि.) ३० (पंच.) ९७७ (धूर्ता.) ४२८ (धूर्ता.) २७१ (न.मा.) ११९१ (न.मा.) ७ ७४ (न.मा.) ७१५१ (सं.प्र.) २०४ (पं.सं.) ६६८ (वि.गा) ६२५
पन्नरसयतावसाणं,
पत्थावे जंपिज्जइ, | पत्थिअविहिदत्ताए जिण
पत्थितो वितओ पत्थियणिसेहवयणं, पत्थिय-पसंडि- पब्भोआ
पत्थुयपयडिचउक्कस्सेगं पत्थुयपयडीबंधे एसेस पत्थुयरोगचिगिच्छावत्थंतरपाथेण य तं गहियं अह पदार्थानां जिनोक्तानां पनरस चउवीस सया तेवीस पनरस चुलसीइ सयं, इ पनरसजिर्ण निरंतर, पनरस तीस छपन्ना पनरस-दिणेहिं पक्खो,
| पनरस दुण्ह वि मज्झं पनरसभेयपसिद्धे, सिद्धे पनरसमं पेसुन्नं अइतिव्वाऽपनरसमे गोसालसए, दुआपनरसहि कालेहिं पनरस
(पु.मा.) ८० (दे.प्र) ५३ (दे.प्र) २१६
(उव.) १३९
(उ.को.) १९
(स.श.) ७५
(आय. २) ९१०
(भा.र.) ७६ (दे.ना.) ४७२
(श.भा.) ९५५
(श. भा. ) ६१८ (पंचा.) ८७२ (धूर्ता.) १५२
(सं.प्र.) १४३१ (प्र.सा.) ३६१
(बृ.सं.) ८६ (तिगा) ३६१
(वि.स.) ११
(स.शा.) १९३
(वि.व.) २३
(न.प.) ११ (आय. १) ५३१ (यो. कु.) १५
(जोग.) ३०
(सप्त.) २३८
पन्न २० इग चत्त २१ चत्ता पट्टि सहरसाई, चतारि पन्नतीभिष्याया निद्वेयरपारस अहोरता पात्रो पन्नरस अहोरत्ता पक्खो
(बृ.क्षे.) ६१० (श.भा.) ७७४ (जी.स.) ११० (सि.सा.)८९ पन्नरस कम्मभूमी अकम्म - (प्र.सा.) ३९
पन्नरस जिण निरंतर
पन्नरस जिन निरंतर सुन्नदुर्ग पन्नरस जिण निरंतर सुन्नदुगं पनरसण्डं विमुकोसं पन्नरस पडिवयाए एक्क |पन्नरस पडिवयाए एक्क| पन्नरस पमत्तम्मि अपमत्ते पत्ररसयतावसाणं, गोअम
(प.स्था.) २७ (प्र.सा.) ४०७ (र.सं.) २९
(क. प्रा. ५) ६६ (प्र.सा.) १५५९
(सा.भा.) २१ (भा.कु.) १२
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