Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 281
________________ पयसमदुगमव्यासो पायसमदुगमब्भासो पयसाडि खीर पेया- वलेहि पयावती १ य बंभे पयाववद्धणए जइ थंभय पयासियब्वं न परस्स छिई पयोनिधिजाताय लक्ष्मीपरंपराभवद्वाणं, दालिद्दं पर अणत्थि घल्लंतु न संकइ पर अप्प नाह विबुह अवाओ, परमपरआवयाए हरिसो, पेनं पर उत्तमेवयणा सिरिपरउवयारे वित्तं चित्तं परओऽजकालगाओ परओ दिणस्स बुड्डी रयणी परओ धम्माभावा परओ निगओ च्चिय परओ पक्खा - Sसने गंता, पर- कज्ज करण-निरया परकम्मेणक्कतं निच्चं परकयकम्मनिबंधा चरणा परकारणि निसिदिणु परकीय च्चिय भज्जा परगच्छ आगयस्स उ परगरिहं मुनूर्ण अहवा परणरिहाए गुड़ापरमिहगमणं एगागिणीह परगुणगहणं छंदाणुयत्तणं गुणगहणावेसो भावपरगुणपडणि बुद्ध नर परगुणसंसा उचिया अनण्ण परगुणहरणं नियगुणपरघाउज्जोउस्सासायवधुपरघाउदया पाणी, परेसि परघाउस्सास अणिट्ठगमण - परघाउस्साससमा पज्जत्ते - परघाऊसासपसत्थगमणपरघा ऊसास सुभखगइ, परघाए गमम्मिय परघायं वेयणियाउगोय परघायखगइजुत्ता अडवीसा परधाय बन्धणतणवंगपरधाय वेयणीया गोय परघायसकलतसचउ (प. स्था.) ८३ (प्र.भा.) ३२ (ति.गा) ६०२ (वा. सा.) ९४ (उ.स. ३ (धातू.) ३२ (ध.उ.१) ४. (उ.रा.) ७४ (ज्ञा.कु.) ५३ (आरा. २) २२१ (खा. कु.) २० (धातू) ३८ ( आरा. २) १९७ (पा. स.) ६७ (प्रत्या.) ८२ ( आरा. २) ९५० (भ.भा.) ८७ (गुरु.) २० (ध.मा.) ७९ (जी. प्र.) ५३ (प्रा.प्र.) २१८ (ज्ञा.कु.) ३९ (भ.भा.) १३७ (आय. १) २२६ (आ.शा.) १४ (त्रि.कु.) २५ (ना.कु.) १० (आय. २) २२२ (य.स.) १२६ (ज्ञा.कु.) १०७ (य.स.) १२५ (आय. २) २१८ (कर्म.) ५९ (क- १) ४३ ( स.सा.) २९ ( स.सा.) २६ (स.सा.) ३५ (नव. ३) ९ (स.सा.) ६७ (श.भा.) ८५४ (पं.सं.) ९१९ (पं.सं.) ४७२ (श.भा.) २२३ (पं.सं.) ६०३ प परघाय सास आयवजुत्ता परमुस्सासक्खेवे परघूसासतसं पि य थिरपजं परजकच क | परजणरंजणहेउं भणेसि परजीवरक्खणाओ, सुक परजुवइरमणपरदव्वहरणपरवाने छडाणो, परडा सप्पविसेसे, पडलं (पं.सं.) ९१८ (क.सं.) ४८ (श.भा.) ९४० (ज.पा.) ८६ (आ.हि.) ११ (उ.चि.) ९१ (भ.भा.) २९९ (पं.प्र.) ६१ (दे.ना.) ४६७ (काय.) २३ (ध.मा.) ६६ परतब्भवाउ माणा, पर- तित्थिय-मज्झ-‍ -गओ परतित्थियाण तदेवयाण परतित्थियाण पणमण परतित्थीणं तदेबयाणं परतित्थे धम्मत्थं काहं परतीर वहण भंगे अण्णापरदव्वगहणविरया सुक्खं परदव्यम्म पवित्तीण ( अ.प.) २२ परदव्यरओ बाह विरओ (सं.श.) २६ परदव्वहरणबुद्धी सिरिभूई (आर. २) ५३८ परदव्वहरणमेयं आसवदारं (आय. १) ६१३ परदव्यहरणविरया गुणवंता (न.प्र.) ४.३ परदारं वज्जेमी, सयणाइ- (श्राव्र.) ५ परदारपरिच्याओ सदारसंतोस ( श्रा.प्र.) २७० परदारवजिणो (चेव ) (सं.प्र.) ११५७ (न.प्र.) ५४ (पंचा.) १५ (श्रा.ध.) ८५ ૨૬૦ (स.स.) ४६ (उव.) २३७ (सं.प्र.) ९३२ (द्वा.ब.) ५ (उ. प.) ७१० (आय. १) ६१७ (चा.म) १५ परदारवज्जिणो पंच होंति परदारस्स य विरई उरालपरदारस्स य विरई, ओराल परदूसणपरिमुको, अनुक परदोस जंपतो, न लह (पु.मा.) ४६१ परदोसका न भवइ, विणा (पु.मा.) ४६५ परदोसे अप्पह मुगइ, (ज्ञा.कु.) १०५ पर न मुणइ तयत्थु जो (उ.रा.) १९ परनिंदापरिहरणं, परहिय- (आय. २) २१७ परनिंदापरिहारो, अप्यसंसा (पु.कु.) ७ परनिंदा पुण भणिया, (हि.उ.) ३७८ परपक्खाणं संखं, अभिहय (ज.पा.) १९९ परपक्खे वि अ दुविहं माणु- (पंच.) ४०९ परपजवेहि असरिसगमेहिं (स.सू.) १०२ परपरिणामम्मग्गे चते परपरिभवमत्तुक्करिसमसरिसपरपरिवाए व सस्सू, परपरिवार्य गिण्हर, अट्ठमय परपरिवायं परवसणतूसणं (उ.र.) ४१ ( द्वा.कु.) ८।१२ (त्रि.कु.) २६ (उब.) ६९ (द्वा.कु.) ६।७ परमागमसुस्सूसा, अणुराओ परपरिवादमईओ, दूसइ (उव.) ७३ परपरिवायरयाणं कुल(ति.गा) ११९२ परपरिवायविरतो, समचित्तो (चा.म) १९ परपरिवायविसाला, अणेग- ( उव.) ४६१ परपाखंडिपसंसा इहई (ध.प.) ३८ परपासंडपसंसा सक्काइणमिह (श्री. प्र. ) ८८ परपुण्ण दहग्गि प[ ? ] ए परपुरिसवज्जगाओ इह परपुरिससेवणीओ, परभवतब्भवआउं, लहुगुरुपरभवि जिन किय धम्मुला, परभिच्चयाए जं ते परमगुरुणो अ अणहे परम गुरुणो आणं णोअ परमगुरुणो य अणहे परमण्णं भुंजतो कम्मपरमत्थं जाणतो दंसियमग्गे परमत्थओ अ सव्वो, परमत्थओ न दुक्खं भावम्मि परमत्थओ न नामारोवो परमत्थओ मुणीणं परमत्थगहियसारा बंध परमत्थम्मि सुट्ठेि परमत्थसंधवो खल १ परमत्थसंथवो वा सुदिट्ठ " (द्र.प.) २३ (न.प्र.) ५२ (सी.उ.) ४९. (काय.) १३ (प्रा.सं.) ६४ आरा. १) ८६१ (पंच.) १९८६ (स्त) ७७ (पंचा.) ६७० (प्र.प.) ४८१ (म.भा.) ४० (गु.त.) २२५६ (पंच.) २२७ (प.द.) २२ (चं.प.) १५३ (सं.प.) ७८ (..) ८५ (सं.प्र.) ९१९ (प्र.सा.) ९२८ ग.सा.) ९५ (स.स.) ८ (का.कु.) ६ (आउ. २)२८ परमत्थसत्थरहिएसु भव्वपरमत्यसन्धवो खतु परमत्थिण ते सुत वि परमत्यो तं न सरिमो परमत्थो नाणाई न परमदिणाओ होणं परमनिकिट्टो अणुभागअंसपरमन्नं खीरं दही विकिट्टु परमच्छ साहुसंगमे | परमपयपुरीपत्थियपवयणपरमपुरिसेहि भणिया, | परमप्पह भिन्नउ जया कप्पइ परमप्पानाणं पुण परमम्मविन्भमाई विलंब परमरहस्समिसीणं, परमरहस्समिसीणं परमरहस्समिसीणं संमत्त (पंच.) ६०२ | परमागमसुस्सूसा १ अणुराओ (सं.प्र.) ९२० परमागमसुस्सूसा, अणुराओ ( स. स.) १३ (सा.प.) ११० (ज्यो.सा.) १३५ (श.भा.) ४५८ (सं.प्र.) १५७५ (उ.चि.) १६९ (मा.उ.) २ (भा.र.) ६५ (ज्ञा.कु.) ८१ (क.सं.) १६७ (सप्त.) २०७ (गु.त.) १।१९ (जी.अ.) ८६

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