Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 231
________________ को (५." दक्खा दक्खिन्नपरा, परो दव्वं जहा परिणयं दक्खा दक्खिन्नपरा, परो- (हि.उ.) ३७४ दड्डजउमकज्जकर, भिन्नं (उव.) ४८९ दम्मि नव सेर तंदुल (गणि.) १२४ दक्खा पाणय लहुएहि, (बा.बो.)६१ दड्डम्मि जहा बीए ण होति (ध.सं.) १३८१ दम्मि सवा सत्तेहिं पिप्पलि (गणि.) ६७ दक्खायणी भवाणी (पा.ल.) ३ दड्ढम्मि जहा बीए न (श्रा.प्र.) ३९६ दम्मे वसहे खज्जे, फले (उ.चि.) ३२९ दक्खिणअयणे लग्गं (जो.प.) ३०६ दड्डम्मि जहा बीए, न होइ (चे.म.) २८६ दया दमो सच्चमणीहया (उप.) ३।२३६ दक्खिणपुव्वेणं रयण- (दी.प.) १६ दड्डम्मि जहा बीए, न होइ (चे.म.) ३५७ दयालुआ धम्मधणस्स मूलं, (ध.गु.) १८ दक्खिणमयणे विसुवेसु (जो.प.) ३०७ दड्ढम्मि झलुसियं तह (दे.ना.) ३४२ दयासमो न य धम्मो (र.सं.) ३१९ दक्षिणमयणे सूरो (जो.प.) ३०५ दड्डसरेहिं जुत्ता दड्डतमा (अ.चू.)८ दरं अद्धे, दयं अंबू, (दे.ना.) ४३२ दक्खिणमहुरा गोट्ठी (उ.प.) ५२१ दड्डो अतवो फुसिओ (क्षमा.) २३ दरहसिय-जंपिएहि य (आरा.२)६३२ दक्खिणवड्डी दुपदाउ (जो.प.) ३९७ दढकढिणसरीराणं मयणा- (धूर्ता.) ३९५ दरिय-क्खमेसु पक्को, (दे.ना.) ५२६ दक्खिन्न-दयालुत्तं पिय- (आरा.१)३११ दढघडियचउद्दारं विसंति (आरा.२)५३ दरियम्मि पहट्ठो, बालम्मि (दे.ना.) ४७१ दक्खिन्न दयालुत्तं पिय- (प.आ.) ६९ दढजत्तुवओगेणं गुरुदेवो- (सामा.) ४२ दरियरिखुमाणमहणा (ति.गा) ५९७ दक्खिन्नमपेसुन्नं भवनिग्गुण्णं (द्वा.कु.) ४।१७ दढधणु ३ दसधणुगो (ति.गा) १००८ दरिसणविसेसओ तं (वि.ण.) ७९ दक्खो संवरसीलो रिजुभावो (सं.प्र.) १२९४ दढधम्मरायरत्ता, कम्मेसु (हि.उ.) १२ दर्शनानि षडेवाहु-जैनं (गाथा.) ४०२ दगपाणं पुष्फफलं, (उव.) ३४९ दढमच्चियम्मि परिपूइयम्मि (चे.म.) ६८९ दलइ बलं गलइ सुई (भ.भा.) ३८ दगपाणं पुष्फफलं अणे- (सं.प्र.) ३६५ दढमारूढगुणो विहु (उ.च.१)१३ दल१ नेहर गविल३ वेगर (उप.) २०३६ दगवुड्डि तिसय नवहिय, (बृ.क्षे.) ४४१ दढसम्मत्तसमिद्धी सुद्धी (उप.) ३१४० दल नेहर गविल३ वेगर (उप.) २।३७ दच्चा पच्चक्खाणं, (स.शा.) २१५ दढसीलव्वयनियमो, पोसह (उव.) २३४ दलनेहगविलवेगररम्मा (उप.) २०१० ट्ठव्वमन्नहा ऊ सुहुमस्स। (श.भा.) १७५ दढसुप्पो सूलहओ (आरा.२)४८७ दल पाय पउण परिही (गणि.) २१० दृट्ठव्वो च उवरिमया नेव __(श.भा.) ५८३ [दण्ड दमवि म] णु (संय.) ३४ दलिअंदारुं कहूँ, (पा.ल.) १५५ द8 दिट्ठीइ पमज्जिऊण, (हि.उ.) ४८१ दत्तकणवीरमाला रत्तं (स्व.) १।३२ दलिगरयणाउ जं किर (श.भा.)३४३ द8 निअयकलत्तं रोअंति (धूर्ता.) २०९ दत्तनवंसगसामी जा पिक्खइ (ज्यो.सा.) १२५ दलियं णिकूणियच्छे (दे.ना.) ४५१ द8 सिणेहकरणं (ति.गा) ७४ दत्ती-कवल-घरोवहि- (ल.सा.) २० दलियरसाणं जुत्तं (पं.सं.) ५३८ ठुण पाणिनिवहं, (दं.प.) २५८ दत्तीहिं कवलेहि व घरेहिं (प.भा.) १३ दवअप्पकलुसअसई अवण्ण (पंच.) ४१५ दट्ठणं अट्ठसयं, सेसपयाणं (सि.प्रा.)११४ दत्तीहि वि कवलेहि व (प्र.सा.) १९७ दवगुडपिंडगुडा दो (प्र.सा.) २२० दट्ठण अन्नतित्थियपराभवं (ऋषि.) २० दत्तेगाइगहो वि हु (पंचा.) ८६९ दवगुड पिंडगुडा दो (वि.सा.)७७० दठूण कंचि दुहियं (ध.सं.) ५४७ दत्तो वि महाराया (ति.गा) ६९५ दवगुड-पिडगुडादा, दवगुड-पिंडगुडा दो, (प.भा.) ३४ दठूण कुलिंगीणं, (उव.) २३२ दुदुरमाइसु कल्लाणगं (गु.त.) २।४४ दवगुडपिंडगुडा दो मज्जं (प्रत्या.) १७६ दठूण कूडहरिणि (भ.भा.) २१३ दप्प अकप्प णिरालंब दवगुडपिंडगुला दो मज्जं (पंच.) ३७४ दठूण जिणवरेंद, (चे.म.) ६१२ दप्पणभद्दासणवद्धमाण, (श्रा.दि.)६६ दवदवचारु १ पमज्जिय २ (र.सं.) ३७५ दट्ठण णच्चमाणं बंभा (धूर्ता.) ६९ दप्पण१ भद्दासण वद्धमाण (र.सं.) ३३० दवदाण११ जंतवाहण१२ (वि.सा.)४०६ दठूण णिरयसंखं, (दे.प्र) ४३ दप्पण भद्दासण वद्धमाण (प.स्था.)१०४ दवदाण जंतवाहण निल्लं- (प्र.सा.) २६६ दृट्ठण तवोरिद्धि पडिबुद्धा (ऋषि.) ९१ दप्पण१ भद्दासण२ वद्धमाण३ (वि.सा.)५९५ दवदाणपलीवणयं, काऊणं (खा.कु.)२५ ठूण दव्वलिंगं कुव्वंते (जी.अ.) १७४ दप्प १ भद्दासण२ वद्धमाण (स.प्र.) ११ दवदाण वल्लिवणयं काऊणं (च.क्ष.) २७ ट्ठण दोसजालं अणत्थ- (न.प्र.) ८५ दप्पा म असीइसयं, (गु.त.) २।२३ दवर-दहिट्ठा तंतु- (दे.ना.) ४३४ दृट्ठण पदीवसिहं किर (आरा.३) १७४ दप्पविसपरममंतं, नाणं (पु.मा.) २९९ दवरयकंबल निसिहियदंडय (प.कु.) २६ दृट्ठण पाणिनिवहं भीमे (ध.सं.) ८११ दप्पस्स य कप्पस्स य, (गु.त.) २०१८ दवहुत्तं गिम्हमुहम्मि, (दे.ना.) ४३५ दृट्टण पाणिनिवहं भीमे (वि.वि) ११३ दप्पेण अलियवयणस्स, जं (उ.चि.) ९८ दव्वं खित्तं कालं, (जी.सं.) १३ दठूण पाणिनिवहं भीमे (श्रा.प्र.) ५८ दमयंतीपमुहाई जाइं (प्र.प.) २२१ दव्वं खित्तं कालं, भावं (उव.) ४०० दट्ठण पुरिसमेत्तं दूरे (उ.प.) ८६३ दम सम समत्त मित्ती, (आ.कु.) ३ दव्वं खित्तं कालं, भावं (हि.उ.) ४०३ दृट्ठणब्भुट्ठाणं, अंजलि- (स.शा.) ३१ दम्भतिणेणं विप्पा पवित्त- (आ.अ.)५५ दव्वं खित्तं कालं भावं (आरा.२)२७४ दृट्ठण रायलज्जा संवेगा (उ.प.) ४६२ दम्म लिंति साहम्मिय- (उ.रा.) ६१ दव्वं खेत्तं कालं भावं (स.सू.) १५७ दट्ठण रिद्धिपूयं परवाईणं (आरा.३)२४ दम्माउ हीणतरगं (चै.कु.) २३ दव्वं खेत्तं कालो, भवो' (पं.सं.) १५४ दठूण वि हीरंतं विसंठुलं (सं.मं.) २५. दम्माउ हीणतरगं जिणभवणे (द.कु.) २६. दव्वं गुण-समुदाओ, (सं.श.) ४१ दृट्ठण समणमणहं (ऋषि.) ७१ दम्मिक्कि सेरु हरडइ तिण्णि (गणि.) १२२ दव्वं जहा परिणयं (स.सू.) १०१ ૨૧૦

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