Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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तर्हि पंचयगाहाए सरीर
ता जीव ! कट्ठसज्झं, जइतहिं पंचयगाहाए सरीर- (श.भा.) ७५४ ता एअम्मि वि काले आणा- (पंच.) १००० ता कह मुणीण निद्दाकरणु- (प्र.प.) ९०७ तहि पंचिदिआ जीवा, (सं.सि) ८२ ता एईएँ अहम्मो णो (पंच.) १२५२ ता कह विसयपसत्ता, हवंति (शी.उ.) २६ तहिं पत्थिओ सुरेहिं . (र.प.) ७ । ता एए वरमुणिणो (न.सू.) २१ ता कह संवासाणुमइवज्जणं (श्रा.ध.) ३६ तहिं पोसहं पगिण्हइ साहु- (पो.वि.)६ । ता एगो जुगपवरो मज्जत्थ- (षष्ठि.) १४० ता किं च तं हुज्ज दिणं (श्रा.दि.)३२० तहिं सव्वत्थ वि पज्जो- (श.भा.) ३७५ ता एत्थ वेज्जणायं (ध.सं.) ११३१ ता कि ण तं चएई? (ध.सं.) १०५६ तहि पढमे जियठाणा (श.भा.) २४ ता एत्थ सो निमित्तं (ध.सं.) ९५० ता कि थिरचित्तो सत्तुमित्त- (सं.मं.) १० तहियं पंचुवयारा, (चे.म.) २१० ता एवं जेऽवमण्णंति (मू.शु.) ५७ ता किं दसमच्छेरं, अह (विवे.) २० तहियं पंचुवयारा कुसुम- (सं.प्र.) १८७ ता एयं दुलहं लहिउं, (श्रा.दि.) २७९ ता कि वत्थग्गहणं किं (ध.सं.) १०७६ तहियाण इमे तहिया वितहा (सं.प्र.) ३३८ ता एवं नाऊणं पसत्थ- (सं.मा.) १३५ ता किमसंते दोसे आरो- (स.श.) ५४ तां भुजाओं दधौ (गाथा.) ५९ ता एयं पण्णवणं पडुच्च (आरा.२)५९० ता किल किं वत्तव्वं, (स.शा.) २३२ ता अज्ज वि आरंभा फुरंति (शो.कु.) १० ता एयं पि तह च्चिय (वि.वि) ३३२ ता कीस अणुमओ सो (पंच.) १०१ ता अस्थि सरूवेणं पररूवेणं (ध.सं.) ९१३ ता एवं पि पसत्थं तित्थय- (वि.वि) १३८ ता कीस न इच्छिज्जइ, (चे.म.) ७५७ ता अप्पा कायव्वो सयावि (वै.कु.) २५ ता एयं मे वित्तं जमेत्थुमव- (पंचा.) ३२२ ता कुलवहुणाएणं कज्जे (पंच.) १३५७ ता अम्हे अपमाणं, (गु.त.) २।१२३ ता, एय-गया चेवं(व)हिंसा (स्त.) १६७ ता कुलवहुनाएणं (आरा.१)१३१ ता अलमिमेहिं मज्झं (पं.लि.) २१ ता एयपुव्वगं चिय पूजाए (पंचा.) १७१ ता कुलवहुनाएणं कज्जे (वि.सा.)२३२ ता आउअस्स थोवा थोवत्तेणं (प.वि.) २६ ता एयम्मि [एईए] अ-हम्मो (स्त.) १४३ ता कुलवहुनाएणं कज्जे (न.सू.) ५४ ता आणाणुगयं जंतं (उ.प.) ९११ ता एयम्मि पयत्तो ओहेणं (उ.प.) २३४ ता कुलवहुनाएणं कज्जे ता आणाणुगयं जंतं (सु.सि.) २८ ता एयम्मि पयत्तो कायव्वो (पंचा.) ७७६ ता केण उवाएणं (न.मा.) ७१० ता आणाणुगयं जं,तं (दं.प.) १०३ ता एयसमायारो, कित्ति- (चे.म.) ७ ता खंडसक्कराओ सो (सं.दो.) १३४ ता आराहेमु इमं चरमं (पंच.) १५९१ ता एयाणुट्ठाणं हियमणुवहयं (पंचा.) १८३ ता खंति-खग्गवग्गिर-करेहिं (हि.उ.) ४९५ ता आलयातो भिन्नाऽभिन्ना (ध.सं.) ६९६ ता एरिसेण संपइ अहम- (आरा.३) १९८ ता खलु पूएअव्वा, रयणत्तय-(गाथा.) ८४५ ताई चिय उक्कोसा, (दे.प्र) १२१ ता एरिसो च्चिअ तुमं (पंच.) १३५३ ता गंतूणं सिग्घं तिलुत्तमा (धूर्ता.) ६५ ताई पि जीवभावाणण्णाइं (वि.ण.) १६९ ता एवं चिय एवं विहियाणु- (पंचा.) ७८९ ता गहिरमहोदधिमज्झपडिय- (द्वा.कु.) ७४ ताई पुण भवणाई बाहिं (भ.भा.) ३२८ ता, एवं विरइ-भावो (स्त.) ७४ ता गीयत्थप्पवित्तिं मुणिय (द्वा.कु.) ५।३० ताइविमाणाइंपुण, (बृ.सं.) ५४ ता एवं सण्णाओ ण बुहेणऽ- (पंच.) १२९६ ता गीयम्मि इमं खलु (पंचा.) ५२७ ता इत्थ जं न पत्तं तयत्थमे- (श्रा.प्र.) ३६२ ता एवं सण्णा णाओ (स्त.) १८७ ता गीयम्मि इमं खलु (य.स.) १६४ ता इत्थेव पयत्तो, कायव्वो (सम्.३) १५ ता एव पुन्नपावा इह ता (श.भा.) ७२४ ता गुरुणो मुणिणो (न.शा.) २४ ता इय अगारणिवेयणाओ (सं.दो.) १४९ ता एव विरइभावो संपुण्णो (पंच.) ११८३ ता चउजुअ अद्धपहरा, तेसि (दि.शु.) ७ ता इय आणाजोगे जइय- (यो.श.) १०० ता एव विरतिभावो संपुण्णो (पंचा.) ६६७ ता चउदसितवजुत्तो (प्र.प.) २४१ ता इय जातिवियप्पा उज्झे- (ध.सं.) २६० ता एस सच्चं किज्झइ, (स्था.) ३० ता चरमए च्चिय खओ (ध.सं.) ८४९ ता इय पत्तग्गहणं जुज्जइ (ध.सं.) १०९९ ता एसो परमत्थो, सहाव- (चे.म.) ८८ ता चितेइ किमेयं (न.मा.) ७७७ ता इय सुहबज्झगतो (ध.सं.) ८७६ ताओ पुण तीसगुणा, (क्षुल्ल.) २२ ता जइ कुणंति केइ (जी.अ.)७६ ता इह सुहबद्धराओ . (सं.प्र.) १०६३ ताओ पुण पयडीओ (श.भा.) ८६० ता जइ तुहत्थि सत्ती (जी.अ.) १२४ ता उज्झियसोगभरा तुब्भे (शो.कु.)३० ताओ फडगमेगं अओ (पं.सं.) ३९९ ता जइ निबद्धतित्थयर- (हि.उ.) २४६ ता उद्धरेमि सम्म एयं (पंचा.) ७३९ ताओ सणं कुमारा, (बृ.सं.) १७३ ता जइ मणोरहाण वि, (पु.मा.) ४७८ ताउ वणम्मिअणंता, (बृ.सं.) २९० ता ओहेणं इहयं उचियत्तेण- (उ.प.) ९०७ ता जत्थ जत्थ जाओ (आरा.३)२१६ ताउ वहंत जि मुणिवरह, (प्रा.सं.) ९८ ता कइय वि भवगहणे (उ.प.) २८२ ता जह देहं संजमभारुव्वह- (प्र.प.) १२९ ता उसभसामिवंसे (प.वि.) ६२ ता कइया तं सुदीणं, (दं.प.) ११३ ता जह न देहपीडा ण या (पंच.) ८५३ ता उस्सुत्तं मोत्तुं अणु- (ध.प.) ४० ता कम्मखओवसमा जो (पंचा.) ४८९ ता जह सो असुइभया (उ.प.) ७५८ "ता एअं मे वित्तं जदऽत्थ (स्त.) १९ ता कह अरहाईणं (प.द.) १७ ता जाव तीससागरकोडा- (श.भा.) ६७० ता एअगया चेवं हिंसा (पंच.) १२७६ ता कह धम्मं सोउं (प्रा.सं.) ९ ता जाव होउ ऊणो, (स.शा.) ५२ ता एअन्नाउणं, संसारसायरं (आ.बो) १७ ता कह निज्जुत्तीए णुमति- (श्रा.प्र.) ३३४ ता जा सरिसवपत्थो (न.मा.) ३।४ ता एअमायरिज्जा चइऊण (पंच.) ६९५ ता कहमभक्खसंकं (प्र.प.) ४६८ ता जिणआणपरेणं धम्मो (षष्ठि.) २३ ता एअमेव वित्तं जमित्थ- (पंच.) ११२८ ता कहमागमपमुहा (ध.सं.) ३८ ता जीव ! कट्ठसझं, जइ- (य.शि.) ३७
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