Book Title: Pragnapanopangamsutram Part 02
Author(s): Malaygiri,
Publisher: Agamoday Samiti
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न वुच्चति, एत्थवि चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियहा । तेयगसमु० जहा मारणंतियस०, णवरं जस्सत्थि, एवं एतेवि चउव्वीसं चउव्वीसा दंडगा भाणितवा । एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवइया आहारसमुग्धाया अतीता?, गो! णत्थि, केवइया पु०, गो०! णत्थि, एवं जाव वेमाणिय त्ते, नवरं मणूसत्ते अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्सस्थि जह० एको वा दो वा उ० तिनि, केवइया पु०१, गो० ! कस्सति अस्थि क० नत्थि, जस्सत्थि जह. एक्को वा दो वा तिण्णि वा उ० चत्तारि, एवं सवजीवाणं मणुस्साणं भाणियवं, मणूसस्स मणूसत्ते अतीता कस्सतिअस्थि कस्सति नत्थि, जस्सत्थि जह० एक्को वा दो वा तिण्णि वा उ० चत्तारि, एवं पुरेक्खडावि, एवमेते चउवीसं . चउवीसा दंडगा जाव वेमाणिवत्ते । एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते के. केवलिसमुग्धाया अतीता १, गो.! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गो० ! नत्थि, एवं जाव वेमाणियत्ते, णवरं मणूसत्ते अतीता नत्थि, पुरेक्खडा क० अस्थि क० नत्थि, जस्सत्थि इक्को, मणूसस्स मणूसत्ते अतीता कस्स ति अत्थि क० नत्थि, जस्सत्थि एक्को, एवं पुरेक्खडावि, एवमेते चउबीसं चउच्चीसा दंडगा (सूत्रं ३३५)
'मारणंतिए'त्ति मारणान्तिकसमुद्रातः पुरस्कृतचिन्तायां स्वस्थाने परस्थाने या एकोतरिकया नेतव्यो यावद्वैमानिक वैमानिकत्वे-वैमानिकत्वविषयं सूत्रं, तचैवम्-एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरयत्ते केवइया मार-1 णतियसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अर्णता, केवइया पुरेक्खडा १, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नथि,
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