Book Title: Prachin Jain Itihas 01
Author(s): Surajmal Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 7
________________ तिवेदन | हमारे जैन इतिहासके नायक, प्रसिद्ध प्रसिद्ध पुरुषों (तीर्थकर, चक्रवर्ति, नारायण आदि) के जीवन में प्राय: कई घटनाएँ ऐसी हुई है जो एक दूसरेके समान थीं। जैसे कि तीर्थंकरोंके पंचकल्याणक | ये पांचों कल्याणक सब तीर्थकरों के समान हुए थे । इसी तरह चक्रवर्तियोंकी दिग्विजय यह भी सेव चक्रवर्तियोंने समान की है। इन समान घटनाओं को हरएकके वर्णनमें दिखा - नेसे पुस्तक बह जाने और पाठकों व विद्यार्थियोंकी रुचि हों जानेका भय था अतएव एक एक पुरुषके चरित्रमें इन समान घटनाओंका वर्णन कर दिया है और अंतमें एक परिशिष्ट लगा दिया है जिसमें प्रत्येक समान घटनावाले पुरुषों की समान घटनाओंका खुलासा वर्णन दे दिया है। पाठकगण उस परिशिष्टको ध्यानमें रख कर पुस्तकका पाठ करें, और अध्यापकोंको चाहिये कि पहिले उस परिशिष्ट (ड) को पढ़ाकर फिर पुस्तकका पढ़ाना प्रारम्भ करें । सूचना । मालका वर्णन आया है वहा दो चाहिये । जैनधर्मानुसार एक कोश इसलिये एक माइल दो हजार बारका (१) इस पुस्तकमें नहा हजार चारका माल समझना चार हजार वारका होता है हुआ | वर्तमान एक माइल १७६० वास्का होता है । [२] एक पूर्वाग चोरासी लाख वर्षका समझना चाहिये । (३) पूर्वागका वर्ग एक पूर्व होता है । लेखक |

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