Book Title: Panchadhyayi Uttararddh
Author(s): Makkhanlal Shastri
Publisher: Granthprakash Karyalay

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Page 273
________________ पञ्चाध्यायी। SAJAN दृष्टान्त-- आलासे कठिनतासे दूर होता है । जीवके शुह सम्यग्दर्शन गुणको विपरीत स्वादु कर देगा इस दर्शन मोहनीय कर्मका स्वभाव है। अर्थात् सम्यग्दर्शन मुणको मिथ्यादर्शन रूप करदेना' दर्शनः मोहनीय कर्मका कार्य है । यथा मद्यादिपानस्य पाकाद् वुद्धिर्विमुह्यति । श्वेतं शंखादि यद्वस्तु पीतं पश्यति विभ्रमात् ॥ ९९० ॥ अर्थ-जिस प्रकार मदिरा पीनेवाले पुरुषकी बुद्धि मदिराका नशा चढ़नेपर भ्रष्ट होजाती है। वह पुरुष शंखादि सफेद पदार्थोंको भी विभ्रमसे पीले ही देखता है-समझता है। हाष्टान्त- नथा दर्शनमोहस्य कर्मणोस्तूदयादिह । अपि यावदनात्मीयमात्मीयमनुते कुदृक् ॥ ९९१ ॥ अर्थ-उसी प्रकार दर्शन मोहनीय कर्मके उदयसे मिथ्यादृष्टि पुरुष इस संसारमें जो आत्मासे भिन्न पदार्थ हैं उन्हें भी अपने ( आत्माके ) मानता है, अर्थात् मिथ्यादृष्टि भिन्न पदार्थो में आत्मीयत्व बुद्धि करता है। चापि लुम्पति सम्यक्त्वं दृङमोहस्योदयो यथा । निरुणद्धयात्मनो ज्ञानं ज्ञानस्यावरणोदयः॥ ९९२॥ अर्थ-जिप्त प्रकार दर्शन मोहनीय कर्मका उदय सम्यग्दर्शन गुणका लोप कर देता है, उसी प्रकार ज्ञानावरण कर्मका उदय भी आत्माके ज्ञान गुणको ढक देता है। भावार्थ-यहांपर लुम्पति, क्रियाके दो आशय हैं (१) दर्शन मोहनीय कर्म सम्यक्त्वका लोप करता है उसे छिपा देता है किन्तु उसका नाश नहीं करता है, क्योंकि नाश किसी गुणका होता ही नहीं है (२) लोप करता है, सम्यक्त्वको सर्वथा छिपा देता है अर्थात् उसे विकृत बना देता है, उस रूपमें उसे नहीं रहने देता है । परन्तु ज्ञानावरण कर्म ज्ञानको रोकता है विकृत नहीं करता, इसी लिये निरुणद्धि क्रिया दी है। यथा ज्ञानस्य निर्णाशो ज्ञानस्यावरणोदयात् । तथा दर्शननिर्णाशो दर्शनावरणोदयात् ॥ ९९३ ॥ __ अर्थ-जिस प्रकार ज्ञानावरण कर्मके उदयसे ज्ञानका नाश होजाता है उसी प्रकार वर्शनावरण कर्मके उदयसे दर्शनका नाश होजाता है। भावार्थ-यहां पर ज्ञान और दर्शनके नाशसे उनके नष्ट होनेका तात्पर्य नहीं है किन्तु उन गुणोंके ढक जानेसे तात्पर्य है, वास्तक दृष्टि से नतो किसी गुणका नाश होता है और न किसी गुणका उत्ताद ही होता है किन्तु पर्यायकी अपेक्षासे गुणोंके अंशोंने हीनाधिकता होती रहती है वह हीनाधिकता भी आकिव तिरोभाव रूप होती है। वास्तवमें सभी गुण नित्य हैं इसी आशयको नीचे प्रकट करते हैं।

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