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प्राक्कथन
अतीत के अवलोकन का नाम इतिहास है। अतीत की छाया से वर्तमान प्रभावित होता है। यदि वर्तमान में कुछ कमियां दिखाई देती हैं तो अतीत के अनुभवों से उन्हें सुधारा जा सकता है। अतीत और वर्तमान के विहंगावलोकन से जन्म होता है अनागत की सुनहरी कल्पनाओं का। कल्पनाशीलता एक चेतन एवं जाग्रत समाज का लक्षण है। इतिहास का एक धनात्मक पक्ष (Plus Point) यह है कि उसे पढ़कर
सकारात्मक दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं। पदमावतीपुरवाल जाति एक छोटा एवं प्रभावशाली समाज रहा है। अधिक धनाढ्य न होते हुए भी सदाचरण एवं विद्वत्ता के कारण उसकी जैन जगत में एक श्लाघ्य साख रही है। निरतिचार महाव्रतों के पालक संतों ने जहां इस समाज को एक राष्ट्रीय पहचान दी है, वहां इस समाज के उद्भट विद्वानों का विगत शताब्दी तक एकछत्र वर्चस्व रहा है। श्रावकोचित नियमों व्रतों आदि के निर्वाह में आज भी यह जाति अपने गौरव को सुरक्षित बनाए हुए है। आज पूरे विश्व में जब भौतिक सुख-सुविधाओं को जुटाने की अंधी दौड़ चल रही है, उस विषम स्थिति में भी धर्म एवं अध्यात्म के प्रति रुचि का जीवन्त बने रहना किसी भी समाज के लिए कोई कम सन्तोष की बात नहीं है।
देश के शीर्षस्थ विद्वानों के रहते हुए भी इस जाति का शृंखलाबद्ध एवं प्रामाणिक इतिहास प्रकाश में नहीं आ सका, यह अभाव मन में खटकता था। ग्वालियर के एक वयोवृद्ध अधिवक्ता श्री रामजीत जैन एक इतिहास-पारखी
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