Book Title: Niti Vakyamrutam
Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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विषय
पृष्ठ संख्या 578 से 595
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32 प्रकीर्णक समुद्देश 1. प्रकीर्णक व राजा का लक्षण, विरक्त एवं अनुरक्त के चिन्ह, काव्य के गुण,
दोष, कवियों के भेद तथा लाभ, गीत, वाद्य तथा नृत्य गुण 2. महापुरुष, निंद्य गृहस्थ, तत्कालीन सुख चाहने वालों के कार्य, दान विचार, कर्जा के
कटुफल, कर्जा लेने वाले के स्नेहादि के फल अवधि, सत्य निर्णय व पापियों के दुष्कर्म भाग्याधीन वस्तुएँ, रति कालीन पुरुष वचनों की मीमांसा, दाम्पत्य प्रेम की अवधि, युद्ध में पराजय का कारण, स्त्री को सुखी बनाने से लाभ, विनय की सीमा, अनिष्ट
प्रतीकार, स्त्रियों के बारे में, साधारण मनुष्य से लाभ, लेख व युद्ध सम्बन्धी नैतिक विचार 4. स्वामी और दाता का स्वरूप, राजा, परदेश, बन्धु-हीन दरिद्र तथा धनाढ्य के
विषय में निकट विनाशी की बुद्धि, पुण्यवान, भाग्य की अनुकूलता, कर्म चाण्डाल एवं पुत्रों के भेद
दायभाग के नियम, अति परिचय, सेवक के अपराध का फल, महत्ता का दूषण 6. रति आदि की बेला, पशुओं के प्रति वर्ताव, मत्तगज व अश्व की क्रीडा एवं ऋण 7. व्याधिग्रस्त शरीर, साधु जीवन-धारी महापुरुष, लक्ष्मी, राजाओं का प्रिय व नीच
गुणों का महत्त्व, महापुरुष, सदसद् संगति का फल, प्रयोजनार्थी, निर्धन का
वाले कर्तव्य 9. प्रयोजनार्थी दोष नहीं देखता, चितापहारी वस्तुएँ, राजा के प्रति कर्त्तव्य 10. विचारपूर्वक कार्य न करने व ऋणी रहने से हानि, नया सेवक, प्रतिज्ञा,
निर्धन अवस्था में उदारता, प्रयोजनार्थी एवं पृथक किये हुए सेवक का कर्तव्य 33 लेखक की प्रशस्ति 34 टीकाकार की प्रशस्ति
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