Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 18
________________ मुनि समयरत्नना कहेवाथी मातापिताने पगे लागीने बाळक लहुराज वैरागी थयो. नवमे वर्षे, वि. सं. 1529 ना जेठ सुदि दसमना दिवसे पाटणमां पालणपुरी उपाश्रयमा तपगच्छशाखाना अधिपति लक्ष्मीसागरसूरिए एने दीक्षा आपी, अने एनुं मुनि तरीकेनुं नाम लावण्यसमय राखवामां आव्यु. दीक्षानो आ उत्सव खूब धामधूमथी थयो हतो. लावण्यसमये / विमलप्रबन्ध 'नी प्रशस्तिमा कह्यं छे ते मुजब मुनि समयरत्ने एमने अनेक विषयो, अध्ययन कराव्युं हतुं अने सोळमा वर्षथी एमणे कविता रचवी शरू करी हती. रास, छन्द, कवित, चोपाई, प्रबन्ध, संवाद, विविध प्रकारनां गीत (स्तवन, सज्झाय, आदि) एम अनेक प्रकारो एमणे खेड्या हता. विविध प्रकारनी काव्यरचना साथे ठेकठेकाणे एमणे धर्मोपदेश को हतो. विद्वत्ता अने कवित्वशक्तिने परिणामे एमना उपदेशथी मोटा मोटा मन्त्रीओ अने राजाओ प्रसन्न थया हता. राज्यकर्ता मुसलमान सरदारोए एमनी आज्ञाने मान आप्युं हतुं अने भक्त श्रावकोए स्थळे स्थळे देरासरो अने उपाश्रयो बंधाव्यां हतां . एमना उपदेशथी मेवाडना महाराणा रत्नसिंहना मन्त्री कर्माशाहे सौराष्ट्रमां आवेल श→जय तीर्थनो सातमो उद्धार को हतो.' एमनी आ शक्तिओने कारणे एमने वि. सं. १५५५मां पण्डितपद आपवामां आव्युं हतुं. 3. गुरुवचने वइरागी थयु, माततात-पय लागी रहिउ; जेठ शुदि दिन दसमी तणउ, उगणत्रीसइ उच्छव घणउ. 41 पाटणि पाल्हणपुरी पोसाल, जंग हुइ चउपट चुसाल, दिइ दीक्षा अति आणंदपूरि, गच्छपति लखमीसागरसूरि . 42 संघ सजन सहू साखो समइ, नाम ठविउं मुनि लावण्यसमइ : (विमलप्रबन्ध') नवमइ वरसि दीष वर लीध, समयरत्नगुरि विद्या दीध. 43 सरसति मात मया तव लहो, वरस सोलमइ वांणो हुइ3; रचिआ रास सुंदर संबंध, छन्द कवित चउपई प्रबन्ध. 44 विविध गीत बहु करिया विवाद, रचीया दीप सुरस संवाद; सरस कथन नहों आलि करइ, मोटा मंत्रीराय रंजवइ. 45 जस उपदेस हवु सुविशाल, बहु थानकि देहरां पोसाल; मीर मलिक ते मांडइ विनइ. पंडितपद ते पंचावनइ. 46 (विमलप्रबन्ध') पूज्य पं. समयरत्न-शिष्य पं० लावण्यसमयस्त्रिसंध्यं श्रीआदिदेवस्य प्रणमतीति भद्रं... लावण्य समयाख्येन पंडितेन महात्मना / सप्तमोद्धारसक्ता च प्रशस्तिः प्रकटीकृता // ('प्राचीन जैन लेखसंग्रह' भा. २-सं. जिनविजय )

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