Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 49
________________ 36 कमलि-रमलि-सारा देह लावण्यधारा, सरसति जयकारा होउ मे नाणधरा. 27 तपगच्छि दिणयर लब्धिसायर सोमदेवसूरीसरा, श्रीसोमजय गणधार सेवीय समयरत्न मुणीसरा; मालिनीछंदिई झमकबंधिइं स्तव्या जिन ऊलटि घणइ, मिई लहिउ लाभ अनंत सुखमय, मुनि लावण्यसमय भणइ. 28 18. खिमऋषि (बोहा), बलिभद्र-यशोभद्र रास आ रासनी रचना वि. सं. १५८९मां अमदावादमां बुहाद्दीनपरामा पूर्ण 'संवत पनर नव्यासीइं, माघ मासि रविवारि, अहिमदावाद विशेषीई, पुरू बुहादीन मझारि.' एमां यशोभद्र अने एमना शिष्य खिमऋषि अने बलिभद्र, ए त्रण जैन मुनिओर्नु चरित छे. आम तो रास त्रण खण्डमां वहेंचायेलो छे; दुहा अने चोपाई छन्दनी पहेला रासमा 213, बीजा रासमा 126 अने त्रीजा रासमां 173 कडीओ छे छतां गुरुशिष्यना संबन्धने कारणे सळङ्गसूत्रता जळवाई रहे छे. खिमऋषिना कठिन अभिग्रहो तथा बलिभद्र अने यशोभद्रसूरिना चमत्कारो, एमां विस्तारथी वर्णन करवामां आव्यु छे, जे कंटाळाजनक थई पडे छे, छतां झडझमकभरी शैली अने विषयने विशद. बनाववानी कविनी दृष्टांतकलाथी कोई कोई भाग आकर्षक नीवडे छे : ‘भमतां चक्र भरइं कुंभार, भमतां भूप भरई भंडार, भमतु योगी भिक्षा लहइं, भमती नारी निज कुल दहई. + + + वृक्ष न लेइ फल तणउ सवाद, वीण अरथि न आवई नाद; सूर सदा अजुआलू करइ, उत्तम पर-उपगारी सिरई. नदी न पीइं नीर लगार, कूरम कांइ धरई भुइं भार; महीअलि मेह सरोवर भरई, उत्तम पर-उपगारी सिरई. 27. B रमझम. 28. A लछिसायर. A सेविभ; मुनीसरा. A मलिनी, B मालिनीय A यमकबंधिइ, B तव्या. A मई. A लावण्यसमय सदा भणइ. 62. आ कृति 'ऐतिहासिक राससंग्रह भाग 2' मा प्रगट थयेली छे.

Loading...

Page Navigation
1 ... 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122