Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 47
________________ धरम धरम भाषइ, मुक्तिनउ मार्ग दाषइ, जगि जिनवर पाषइ पाप जाइ न पाषइ. वरस दिवस पाषइ जे प्रभो चित्ति राषइ, पुरुष अणिअ आषइ सौख्य ते चंग चाषइ. 15 मयगल घर बारी नारि सिंगारि भारी, रयण कनक सारी कोडि केति विचारी, प्रभु तसु परिहारी ज्ञानचारित्रधारी त्रिभुवनि जयकारी सांति सेवु सधारी. 16 वर कनकि घडाया हार हीरे जडाया, मुगट सिरि अडाया सूर तेजिइं नडाया, तिवल तडतडाया पाप पूंठिई पडाया, कुसुमचय चडाया कुंथु पूजंति राया. 17 करम मरम जाली, पुण्यनी नींक वाली, . रति-अविरति राली, केवलज्ञान पाली, अखय-सुख रसाली सिधि पामी सुंहाली, अर अरचि सुमाली आपि रे फूल टाली. 18 सुणि-न सुणि-न हल्ली पुण्यनिई पूरि घल्ली, घर तरुअर-वल्ली पुत्तपुत्तेहिं भल्ली, नितु नवल-नवल्ली भूरि भोगेहिं फुल्ली, प्रणमइ जिण-मल्ली, तासु कल्लाणवल्ली. 19 विगत-कलि-कुरंगा पामीआ पुण्य तुंगा, नविलि गविल जंगा दूष दोषा दुरंगा, जव हूअ जिन संगा सुव्रतस्वामि चंगा, किरि तरल-तरंगा आलसू मांहिं गंगा. 20 15. B मुक्तिनु. A सोख्य. 16. A अंगारि. B संति. A सेवु जुहारी. 17. B कनक. A मुकुट; तेजेई; तिविल. 18. A करमरम. 19. B सुणि न थल्ली. A जिन. 20. A विगतिकलिकुरंगा. B नवल गिवल जंगा. A दोख्या. B हुआ. A माहि.

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