Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text
________________ गयणंगणि देवो मिली दुंदुहिनाद सुणाविउ; . नायक नारायण भणी द्वारिका वधावु आवीउ. 114 अप्पीय सोवन लक्ख बार साढा सुप्रसिधा, वधावानई विमल वस्त्र, भूषण घण दीधां. 115 तव हरषिउ हरिराज भाववंदण धुरि आणी, चल्लइ दसइ दसार, साथिइ राजलदे राणी. 116 इम परिवारि परवरिउ चडिउ विभु गिरिनारि गिरि; पिक्खेवि सामि समोसरणि देवि पय प्रणमइ आणंद भरि. 117 पइठी त्रिगढइ जाम ताम राजलि जिन दीठउ; * सोहइ सिर-वरि छत्र, सामि सिंहासनि बइठउ. 118 पूरी परषद बार पेषि प्रभु-पाय पषालइ; कीजइ किसिउं वखाण, इंद्र जसु चामर ढालइ ? 119 सादरि समता आदरइ, मानव मन ए कंति करि; नेमीश्वर अविरल वाणीई ए दिई उपदेस अनेक परि. 120 अथ रूपक जिनवर-वाणी सुधा समाणी, साकर पाहिं सरस वषाणी; चउ-मुहि चउ-विहि धम्म ज भासइ, दया दान पुण अधिक प्रकासइ.१२१ 114. A गयणि. A देवि, B देवे. B वधाव्यूं आवीयउं. 115. A अपिय, C अप्पिअ. AB लष. 116. A साथि, B सथि. A राजलिदे. 117. B इम परिवारइ परिवरयु चड्यु चतुर गिरनारि. C इम परिवरिई परवरिउ चडिउ चतुर गिरि. . A पिष्येविणु सामि समोसरणि दइय पइखइ आणंद पूरि. B पेषविण सामि समोसरणि देषइ प्रणमइ आणंद भरि. 118. B दीठ. A सिरि छत्र. B स्वामि सिहासण. AB बइठु. 119. B कीजे किसु. AB जस. ' 120. A समता आणि. BC कंत. B वाणीए; दीय. B मां 'अथ रूपक' ए शब्दो नथी. 121. B जिणवर. A पाई, B पाहइ. A चुमहि बइठु विह धर्मज भासइ. B चउ मुहि चउ विह धम्म विमासइ. A पुण्य, B पणि,

Page Navigation
1 ... 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122