Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ षिणि (1-62, 2-85, 2-86, 2-87) स्त्री. क्षणमा खिरइ (2-74) वर्त. त्री. पु. ए. व. खरे छे स्त्रीलउ (1-37) पु. खोलो. सं. कीलकः / षींटली (2-52) स्त्री. कपाळ पर पहेरवानुं एक आभूषण पुरमां (2-37) स्त्री. रोटला . खूप (2-50) पु. माथा उपरनो पुष्पनो एक शणगार. दे. खुंपा षोडि (2-82) स्त्री. खामी, ऊणप षोलइ (2-87) पु. सा. वि. खोळामां गहगहितउ (1-50) वि. आनन्द पामतो गहिबरिउ (1-41) भू. कृ. गभरायो गहिबरी (2-105) सं. भू. कृ. गभराईने गंगलि (2-139) पु. आनन्द गाइ (1-37) स्त्री. गाय गाइ (2-93) वर्त. त्री. पु ए. व. गाय छे गाला (2-72) पु. गाळा, बन्धन गिउ (1-30, 1-53, 2-80) भू. कृ. गयो. . सं. गतः गिरूउ (2-49) वि. गरवो, गौरवशाळी गुणगण (2-144) पु. गुणोनो समूह गुल (1-54) पु. गोळ (खावानो) गुलई (2-39) पु. गोळथी गुली (2-39) वि. गळी . गुषि (2-66) पु. गोखमां. सं. गवाक्ष > प्रा. अप. गउक्ख गेहि (1-32) नपु. गेहे, घरे. सं. गेहं गोकल (1-37) नपु. गायनुं कुळ, वाछरडां. सं. गोकुल गोफणु (2-96) स्त्री. गोफणो, अंबोडे लट काववानुं स्त्रोओन घरेणु. सं. गुंफन > प्रा. गुंफण गज (1-33) 1. पुं. हाथो 2. नपुं. बे फूट अंतर गडगडए (1-33) अ. क्रि. वर्त. त्री. पु. ए. व. गडगडे. ध्वन्यात्मक धातुरूप गढ (1-16) पुं. किल्ला, ऊंची दीवाल गणइए (2-85) वर्त. त्री. पु. ए. व. गणे छे गणहर (2-144) पुं. गणधर गमाया (1-2) भू. कृ. प्रे. गुमाव्या. अरबी गूम गमे (2-136) स्त्री. दिशाए, बाजुए, उपाये गय (1-18) पुं. हाथी. सं. गज गयणगण (1-33) नपु. गगन- आंगणुं गयणंगणं (2-158) नपु. गगनना आंगणामां गयणगणि (2-114) नपु. गगनरूपी आंग. णामां गयणि (1-31, 2-16, 2-78) नपु'. आकाशमां. सं. गगन गयदूषण (1-26) वि. जेमनां दूषण गयेलां छे तेवा, दोष विनाना गलि (2-72) नपुं. गळामां गली (2-131) सं. भू. कृ. ओगळी, ढीला घण (2-64, 2-69, 2-123) वि. घणा घणाला (2-74) वि. घणा, पुष्कळ घाट (1-61, 2-69) पु. घाटडी, भातीगळ साळु घाट (2-63) पु. रस्ता, सीमाडा घाठी (1-72) भू. कृ. नुकसान पामो. सं. घृष्ट गलीउ (1-54) वि. गळ्यो गहगहतउ (1-30) वर्त. कृ. आनन्दथी भरेलो घाणइ (2-126) पु. घाणामां घातइ (2-127) वर्त. त्री. पु. ए. व. घाले छे, नाखे छे. घाती (2-126) सं. भू. कृ. घालीने घासइ (1-75) वर्त. त्री. पु. ए. व. घसाय छे. सं. घृष्

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