Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 70
________________ भ्रंशथी चाल्या आवेला एवि, एवी अंत्यगवाळां रूपो पण मळे छे. उ. त., वंदेवी (1-1), पिक्खेवि (2-107). विध्यर्थ (सामान्य) कृदंतमां परणवू (1-85) जेवा रूप मळे छे. ___ (5) अव्यय-अव्ययोमा क्रियाविशेषण, नामयोगी, उभयान्वयी अने केवळप्रयोगीनो विकास आ भूमिकामां ठीक प्रमाणमा छे. क्रियाविशेषण अव्यय आ कृतिमां नीचेनां क्रियाविशेषण अव्यय मळे छे. स्थळवाचक-जहिं, जां, वरि, ऊपरि, दूर, दूरि, परतखि, पे, पापलि, धुरि, भीतरि. काळवाचक हिवइ, हिव, हवई, जव, तव, आगइ, आज, जाम, ताम, किवारइं, पुनरपि, अहनिसि, सदा, पूरविं, वार वार, त्याहर पछी, पछइ रीतवाचक- जिम, तिम, जं, तं, इम, किम, एमई, किमइ, परि, परे, पाणइं, पाणि, सहजइं, अनिबार, कारणवाचक-कां, काइ, किम, कांई, सिउं निश्चयवाचक- निश्चइं, निटोल, नीम, सही संशयवाचक-- कि, किरि, रषे | नकारवाचक- न, नही, नहीं, नवि, म, अंअः नामयोगी अव्यय स्थळवाचक-पासि, पासई, वरि, ऊपरि, मझारि, मझारे, सरिसु, लगइ, मांहि, मांहइ, भणी, पे, प्रतिइं, पति काळवाचक-पाछिली हेतुवाचक-रेसि सहितार्थक–सिउं, सरसिउं, सहित, साथिइ रहितार्थक--विण, पाषइ, पषइ तुलनावाचक-समाण, समान, पाहि, पाहि साधनवाचक-थिकी, करी

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