Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ उत्तम मध्यम नारि न सरषी, स्वामी, कांई न परणउ परषी ! तुझ बंधवा राज निरवाहइ, एक बहुअर सिउं नही निरवाहइ ? 82 तु रे चाहइ अंतेउर वींटिउ, देउर, किमइ न मूंकइ केडि ! प्रीछवइ रसाले वचन सुंहाले, नेमि, न कीजइ जेडि. 83 हिवइ थाउ ढीला, अति अडसीला किम न थईइ, देवः / / अम्ह सिउं संतापु ? ऊतर नापु, ए तुम्ह विरूइ टेव." 84 नेमि प्रति परणवू न भावइ, उत्तर देतां मेलि न आवइ; हा न कही, तिम ना न कहाणी, 'मानिउ मानिउ' बोलइ राणी. 85 तु रे बोलइ राणी, श्रवणि सुहाणी, वाणी अमीय समाण; ते नयरी परिसरि समुद्रविजय-घरि हरिनइं कीधउं जाण. 86 कन्या वरवा नेमि पितानूं करसिइ वचन प्रमाण, सुरकिंनर जोसिइ, रूडउं होसिइ, महीमंडलि मंडाण. 87 अथ कलश एमई मन ऊमाहि माइ सरसति सिर नामी, समयरत्न गुरुराय पाय पुण तेहना पामी, 88 पुहुवि-प्रसिधउ प्रगट प्रथम अधिकार सुणाविउ, नेमि सहित परिवार नयरि आणंदिई आविउ; 89 परिणावा उत्सक हुयां, किम पूजइ मननी रली, लावण्यसमय ते बोलसिइ जु लहिसिइ अवसर वली. 90 इति श्रीरंगरत्नाकराभिधे श्रीनेमिनाथछंदोऽधिकारे प्रथमोऽधिकारः संपूर्णः // 82. C सरिषी. A तझ बंधावचा राज न वाहइ. C राज नर्वहइ. A सुं, B स्यं 83. A तु रे वाहि. AB किम्हइ. A केड; जेड. 84. BC हिव. B किहमै. B अहमनई स्यूं संतापु. 85. B परणेवू, C परणवउ, AC ऊतर. C मानिउ. 86. A त रे AC अमीअ. C नयरह परि. A कोवू 87. A वरिवान, C वरिवानउ. A करिसि, C करिसिइ. A सुरु, रूडू. 88. A सरि; समइरत्न; पाय पुण तेहना पुण पामी. 89. A सुणाव्यु, B सुणायु. C परिवारि. B आयु. 90. BC हुआ. AB रुली. A लावण्यसमई. C बुल्लसिइ. A जो होसिइ. ___A इति श्रीरंगरत्नाकराभिघे छंदे प्रथमाधिकारः // Cइति श्रीरंगरत्नाकराभिधाने प्रथमोधिकारा / / छ / /

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122