Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ कवचित् क्ष नो ख थया पछी ष रूपे लखायेलो छे. उ. त., षिणि (1-52,2-85, 2--87), अषय (2-162), लष (2--132) संस्कृत तत्सम शब्दोना श अने प ने बदले कोई कोई स्थळे स वपरायो छे. उ. त., आस (1-60), सोलह (1-80), देस-विदेसि (2-6), ससिसूरमंडल (2-58), दोस (2-109), उपदेस (2-120) आ उपरांत (1) दुसमन (1-10), तिविल (1-23) जेवा फारसीअरबी शब्दोनो, (2) सोइ (1-11, 2-92), बहुत (2-40), हइ (2-111), भयं (2-147) जेवा व्रज-हिन्दी शब्दोनो, (3) तोरी (2-27), मोरं (2-102) जेवा राजस्थानी शब्दोनो, तेमज (4) हरिची (1-30), सुणिल्ला-धुणिल्ला (2-75) जेवा मराठी धाटीना शब्दोनो तेमा प्रयोग थयो छे. व्याकरण नाम, विशेषण, सर्वनाम, क्रियापद अने अव्यय ए संस्कृत व्याकरणनां पांचे शब्दस्वरूप आ कृतिनी भाषामां ऊतरी आव्यां छे. (1) नाम : जाति-संस्कृत-पालि-प्राकृत-अपभ्रंश जेम नामो त्रणे जातिमां मळे छे. ___ नरजातिमां अ आ इ ई कारान्त नामो मळे छे. उ. त., जनम, कुंअर, धूप, पगर, हार, वरराजा, हरि, पति, मणि, स्वामी. आ उपरान्त नरजातिमां उ अने ओ प्रत्ययान्त नामो मळे छे. उ. त., कंदोरउ, पाटलउ, वालु, गोफणु, जीवडउ, मरूउ, नेमिनाहो, दिणयरो, नेमिजिणेसरो. ___ नारीजातिमां अ आ इ ई उ कारान्त नामो मळे छे. उ. त., भूगल, वाट, वात, टेव, जान, वेदन, माया, वीणा, गदा, पुहवि, लाछि, कुहाडि, भमहि, सूइ, कंती, वाणी, सेरी, ताली, वस्तु. नान्यतरजातिमां अ, इ, ई, उ कारान्त नामो मळे छे. उ. त., कवित, चीर, अंगण, लगन, ठाइ, पानि, मोती, तनु. आ उपरांत नान्यतरजातिमा उं-ऊं प्रत्ययान्त नामो मळे छे. उ. त., परिणवू, कायरपणउं, पानडउं, नातलं. वचन--नरजातिमां बहुवचननो सामान्य प्रत्यय आ छे. उ. त., सिंगारा, कमषा,भमरा, विहारा. पण कोई वार ओनो उपयोग थयो छे. उ. त., देवो मिली (2-114). आ उपरांत अप्रत्यय रूपो पण मळे छे. नारीजातिमा बहुवचननो सामान्य प्रत्यय आ छे. उ. त., नीका (1-30)

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