Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ ' वरराजा घोडा पर सवार थईने कन्याने घेर परणवा जतो. तेने माथे मुगट अने ते पर खूप ( पुष्पनो शणगार ) पहेराववामां आवतो. ते उपरांत माथे खींटली, कानमां कुंडळ, गळामां सोनानो हार अने हाथ पर बहेरखां ते धारण करतो. तेनी पाछळ पान चावता जानैया अने तेनी पाछळ मंगळ गीत गाती स्त्रीओ चालतां. लग्नप्रसंगे सुगन्धी जळ अने द्रव्योनो उपयोग थतो. जाननी आगळ ढोल अने वाजिंत्रो वागतां, वरने तोरणे पोखवामां आवतो. बेसवानां साधन तरीके पाटला अने जाजम (चाउरि)नो तथा जमवानां साधन तरीके भाणां अने कचोळंनो उल्लेख काव्यमां थयो छे. ___ लानोत्सुक राजिमती शणगार सजे छे त्यारे भावि अनिष्टनुं सूचन आ रीते करवामां आव्युं छे : 'क्षिणि फरकिउं दक्षिण अंग ताम.' (2-70). तेथी राजिमती -- मुखि घूघूकार करइ अपार.' आ विगत ए समयना लोकोनी शुकनअपशुकनमां श्रद्धा व्यक्त करे छे. आम लावण्यसमयनी वर्णनशक्ति अने अलंकारशक्ति, छन्द अने भाषा परनुं तेमनुं उच्च प्रकारचं प्रभुत्व तेमज तेमां आलेखायेखें तत्कालीन समाजचित्र 'नेमिरंगरत्नाकर छन्द 'ने मध्यकालीन गुजराती साहित्यमां विशिष्ट स्थाननो अधिकारी बनावे छे.

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