Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text
________________ नमि नरय निवारइ, मान-माया विडारइ, भवजलधि अपारइ हेलि हेलां ऊतारइ, भगत-जन सधारइ, लोभ नाणइ लगारइ, जिन जुगति जुहारइ, ते सवे काज सारइ. 21 कुगति कुमति छोडी, पापनी पालि फोडी, टलिअ सयल षोडी, मोहनी वेलि मोडी, जिणि शिववहु लोडी, को नही नेमि जोडी, प्रणमइ लक्ष कोडी नाथ बि हाथ जोडी. 22 जल जलण वियोगा, नाग संग्राम सोगा, हरि मयगल मोगा, वात चोरारि रोगा, सवि भयहर लोगा, पामीआं पास जोगा, नर नही कहि जोगा, पूजतां भूरि भोगा. 23 कठिन करम मेल्ही काठीआ तेर ठेली, विमल विनयवेली भावि भोलइ गहेली, निसुणि हरषि हेली, भेटि पामी दुहेली, सविसविहूं पहेली वीर वदू वहेली. 24 दुरित दल दुकाला, पुण्य पाणी सुगाला, जसु गुणवर बाला रंगि गाइ रसाला, भविक नर त्रिकाला, भावि वंदुं मयाला जय जिनवर माला, नामि लच्छी विशाला. 25 अमिअरस समाणी देवदेवे वषाणी, वयणरयणखाणी, पापवल्ली-कृपाणी, सुणि-न सुणि-न, प्राणी ! पुण्यची पट्टराणी जगि जिनवर-वाणी सेवीइ सार जाणी. 26 रिमिझिमि झमकारा नेउरीचा उदारा, कटि-तटि पलकारा मेषलीचा अपारा, 22. A प्रणमइ सुर कोडी; बे. 24. B मेहली. A भोरइ गहेली. 25. A जस गुणवर; लछी.

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122