Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 57
________________ 11. हनुमंत पधडी-दलपतरामे जेने ‘पद्धरी' कह्यो छे ते ज आ हनुमंत पधडी छे. एमां दरेक चरणमा 16 मात्रा अने चरणने अन्ते जगण होय छे. दलपतराम प्रमाणे दरेक चरणनी 3, 6, 11 अने 14 मात्रा पर, ज्यारे हेमचन्द्रनी रीते 1, 5, 9, 13 मात्रा पर ताल आवे छे. बीजा अधिकारनी कडी 68 थी ७०मां आ छंद प्रयोजायो छे. 12. पधडी-बीजा अधिकारनी ५६थी 65 कडी आ छन्दनी छे. एमां दरेक चरणमां बार मात्रा छे अने अन्ते गुरुलघु अक्षर छे. 13. प्रकीर्ण-बीजा अधिकारनी कडी 7, 8, 9, 1., 16, 17, 18, 19, 26, 27, 28, 29, 42, 43, 44, 51, 52, 53 अने 54 मां कोई देशोनो उपयोग थयेलो छे.. 4. कविप्रतिभा जैनोना बावीसमा तीर्थंकर नेमिनाथना चरित्रे संख्याबंध कविओने आका छे अने तेमणे ए विशे विविध प्रकारनां नानांमोटां काव्यो रच्यां छे. वि. सं. १२८९मां पाल्हण नामना कविए ' आबुरास ' के ' नेमिजिननो रास ' रच्यो छे. त्यारपछी वि. सं. १५९६मां पुण्यरत्ने ' नेमिरास' रच्यो छे. नेमिनाथविषयक संख्याबंध फागुकाव्यो पण रचायां छे. तेमां राजशेखरसूरिकृत -- नेमिनाथ फागु' (सं. 1405), जयसिंहसूरिकृत 'नेमिनाथ फागु' (सं. 1422 आसपास ), समुधरकृत ' नेमिनाथ फागु' (सं. 1437 पूर्वे ), जयशेखरसूरिकृत * नेमिनाथ फागु' ( सं. 1450 नजीक), माणिक्यचंद्रसूरिकृत -- नेमि फाग ' (सं. 1478), समरकृत 'नेमिनाथ फागु' (सं. 1493 पूर्वे), पद्मकृत 'नेमिनाथ फागु' (सं. 1493 पूर्वे ), सोमसुन्दरकृत 'रंगसागर नेमिनाथ फागु' (सं. 1496 आसपास), धनदेवगणिकृत ‘सुरंगाभिध नेमि फाग' (सं. 1502) अने विनयविजयकृत ' नेमिनाथ भ्रमरगीता' (सं. 1706) प्रसिद्ध छे. नेमिनाथविषयक बारमासी काव्योमां विनयचन्द्रनी ' नेमिनाथ चतुष्पदिका' (सं. 1305) समयदृष्टिए प्रथम आवे छे. त्यारबाद सं. 1549 आसपास काहन कविए, सं. 1581 पूर्वे चारित्रकलशे, सं. १६६२मां लालविजये, सं. १७०६मां विनयविजये. सं. 1709 आसपास जयवन्तसूरिए, 7. प्रतिचरण सोळ मात्रा प्रमाण, ते चरण अंत जो जगण आण; त्रण चक्र रुद्र रत्ने ज ताळ, पद्धरी छन्दनो ए ज ढाळ. 'दलपत पिंगळ,' पृ. 14

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