Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 22
________________ हता. आ वर्षमां अमदावादमां शाहआलमना रोजा पासे आवेला बुहाद्दीनपुरामां रही एमणे * खेमऋषि( बोहा )रास-यशोभद्रसूरिरास 'नी रचना करी छे. आम कविनी 68 वर्षनी उमर ( वि. सं. 1521 थी 1589 ) निश्चित छे. ___ लावण्यसमयनी प्रथम दीर्घकृति * सिद्धांतचोपाई' वि. सं. १५४३मां अने छेल्ली कृति 'यशोभद्रसूरिरास' सं. १५८९मां रचाई छे. वच्चेना गाळामां नानी-मोटी त्रीसेक कृतिओ रची छे. एमां एमणे जैन धर्मनां तीर्थक्षेत्रो, उत्सवो, आचारविचार, व्रतनियमो इत्यादिनो महिमा गायो छे ने ए धर्मना सिद्धांतोनुं प्रतिपादन कयु छे. 'गौतमपृच्छा,' 'आलोयण सज्झाय, ' ' पुण्यफल सज्झाय, ' 'आत्मबोध सज्झाय,' 'चतुर्विंशतिजिनस्तवन' वगेरे कृतिओमा एमनो अंतःकरणनो वैराग्य अने भक्तिभाव ऊभराइ जतो जणाय छे. ऐमनी बधी कृतिओ सांप्रदायिक छे, छतां तक मळतां सामाजिक रीतरिवाजो, ज्ञातिओ, देश, नगर, वन, सामुद्रिक लक्षणो, अस्त्रशस्त्रो, आभूषणो, पहेरवेश, शुकन-अपशुकन, अश्वप्रकार, पुरुषनी कला, स्त्रीनी कला इत्यादिनां वर्णनो एमणे करेला छे. कहेवतो अने सामान्य विधानो-अर्थान्तरन्यासनो बहोळो उपयोग कर्यो छे ने ब्यावहारिक उपदेश आप्यो छे. विविध छन्दो अने रागरागणीनो उपयोग करी पद्यरचना अने भाषा पर ऊंचा प्रकार- प्रभुत्व दर्शाव्युं छे. 'करसंवाद ' अने केटलीक हरियाळीओमा चातुर्य अने विनोद जोवा मळे छे. वर्णन करवानी अने रस जमाववानी शक्ति एमणे स्थळे स्थळे दावी छे. एमनी 'सिद्धांत चोपाई' एमना स्वभाव- सुन्दर दर्शन करावे छे. ए वखते " लोंका नामना अमदावादना एक श्रावके जिनधर्मनी चालती परम्परा विरुद्ध नवो पंथ चालतो कर्यो हतो. परिस्थिति एवी अनुकूळ हती के नवो पन्थ चालती आवेली मान्यताओनी विरुद्ध होवा छतां पण श्रावकोने ए गम्यो अने एक पछी एक, हजारो श्रावको ए पन्थमां भळी जवा लाग्या. x x आ पन्थ ऊभो थतां जैन संघने अने खास करीने श्वेतांबर जैनसंघने एवो आकरो धक्को लाग्यो के एनां एके कोडमां ऊछळता हता.""एमणे लोकाशाना मतनो प्रतीकार करती 'सिद्धांत चोपाई' रची; पण “एमां नथी सामा पक्षने हलको पाडवानी हलकी युक्तिओ, नथी कांई आक्षेपो 20. आ संबन्धमा श्री. क. मा. मुनशी 'नरसिंहयुगना कविओ'मां लखे छे : "छपायेला 'ऐतिहा सिक राससंग्रह'मां आ ग्रंथ रच्यानो सं. 1589 आप्यो छे, पण मारी पासेनी प्रतिमां सं 1582 नी साल लखी छे, अने ते ज साल खरी लागे छे." 21. 'नरसिंहयुगना कविओ?-क. मा. मुनशी

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