Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 20
________________ - 7 लावण्यसमयना शिष्यसमुदाय विशे कशी माहिती मळती नथी. लावण्यसमय पोतानी कृतिओमां लक्ष्मीसागरसूरि अने समयरत्नसूरिने पोताना गुरु तरीके गणावे छे, पण ए बे उपरांत सुमतिसाधुसूरि, सोमसुन्दर, सोमजय, सोमगुण, राजप्रिय, इन्द्रनंदि वगेरेनो पण एओ पोताना गुरु तरीके उल्लेख करे छे. वि. सं. १५४३मां रचायेल 'सिद्धांत चोपाई'ने अन्ते अओ कहे छे : "अम्ह गुरु श्रीसोमसुन्दरसूरि, जासु पसाइं दुरिआं दूरि, तपगच्छनायक सुगुणनिधान लक्ष्मीसागरसूरि प्रधान, श्रीसोमजयसूरींद सुरींद सुजाण, जसु महिमा जगि मेरु समाण, अहनिसि हरषि प्रणमु पाय, सुमतिसाधु सूरि तपगछराय; गुणमंडित पंडित जयवंत समयरत्न गिरूआ गुणवंत." वि. सं. १५४६मां रचायेल 'नेमिरंगरत्नाकर छन्द 'मां आ उपरांत सोमगुण अने राजप्रियनो उल्लेख मळे छः "श्रीमत्सोमगुणव्योम सोमसौभाग्यसुन्दरः . प्रज्ञावज्ञातमत्सूरिः सूरिश्री सोमसुन्दरः श्रीसोमसुन्दर लब्धिसायर सोमदेवमुनीश्वराः श्रीसोमजय गुणधरगिरूआ सुमतिसाधु गुणेश्वराः श्रीइंद्रनंदिसुरिंद राजप्रियसूरि सदाफला, तपगच्छमंडण सवे सहिगुरु जयु महीयलि अविचला. गुणराजिमण्डित पवर पंडित समयरत्न मुनीश्वरो, तसु पाय पामी सीस नामी स्तविउ तूं नेमीश्वरो. 'गौतमपृच्छा चउपइ' (वि. सं. १५४५)मा इन्द्रनंदि अने राजप्रियसूरिनो उल्लेख मळे छ : "तपगच्छनायक आणंदपूरि, वंदं श्रीसोमसुन्दरसूरि, तास अवनइ सोहइ गुरुचंद, सिरि लक्ष्मीसागरसूरिंद. सिर सिरिसोमदेवसूरि सोम समान, सोमजयसूरि संप्रधान, तपगच्छनायक नयणानंद गुरु सुमतिसाधु सुरिंद. श्रीइंद्रनंदिसूरि गणधर, किरि अभिनव गोयम-अवतार, तपगछि उपइ अविचल भाण श्रीराजप्रियसूरि सुजाण, समयरन जयवंत मुणींद, इम जंपइ जगि तेहनउ सीस."

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