Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society
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10
पुप्फयंतविरइयउ
[4. 10.0मलियदलियपडिखलियसंदणं
णिविडगयघडावीढमद्दणं । सुहडगोंदलुहामकलयलं
घारणीयलुलियंतचुंभलं । रत्तमत्तवेयालविंभलं
फुडियपडियपहुंपडहमद्दलं । गरुयपहरभरदमियदुइमं
दुग्गमं वसावारिकद्दमं । विविहजाणजपाणभंजणं
तियसकामिणीचित्तरंजणं । मिलियघुलियदसदिसिविहंगयं
चुण्णचुण्णचूरियतुरंगयं । णिवडियाहरणरयणभासुरं
गयणमंडलागयसुरासुरं। महिणिहितैसियछत्तचामरं
तुंडमुंडभेरुंडभामिरं। वइरिमाणिणीहिययजूरणं
उद्धबद्धचलचिंधलूरणं। रक्खसीमणाणंदपूरणं
विसमवीरमुसुमूरणं रणं । घत्ता-करिखंभविहत्थउ हणणसमत्थउ पहरइ वालसहोयरु । णं तुलियगयासणि भडचूडामाणि कुरुवाल भमइ विओयरु ॥१०॥
11 Aridamana is captured and handed over to Srivarma by the younger brother. दुवई-ता सेण्णं दिसासु विगयं सभयं विलुलंतकोतलं ।
णं तियसिंदविंदकंदावणे रावणे कुद्धे सुरबलं ॥ अरिदमणु पधायउ साहिमाणु हणु हणु भणंतु कडिवि किवाणु । ता गणियासुंदरिमणहरेण
जयसिरिहरेण पसरियकरण । ण कम्में जीउ सदोसँभरिउ
रसवाइएण रसु जेम धरिउ । बद्धउ णं कइणा कव्वभाउ
णिउ घरहो गउडरायाहिराउ। अरिणरवहुकरकंकणहरेण
दक्खालिउ ससुरहो सुंदरेण । किण्णरकरवीणागीयणाम
ओलग्गइ पई दाइज्जु माम। ता तेण पलोइंउ बाहुसीसे
हउं एवहिं महिमंडलि महीसु । पई जेहउ जसु घरे सयणरयणु आसंकइ इंदु वि सहसणयणु। 10 एवं हिं महु जगि पडिमल्लु णत्थि भडकालदूउ गयगंधहत्थि। तुहुँ एक्कु जि असहायहो सहाउ पुणु णविवि भाउणा दिटु भाउ।
४ C गुंदलु० ५ E णीत. ६ E कुडिय. ७ E पड. ८ E णिहत्त. ९ A जूरयं. 11. १C कुंतलं. २ ABD रिउबलं. ३ E अरिदवणु. ४ E कड्डिय. ५ E णिय, ६ ABCE सदोसु.
UC गीयमाणु; D गीयमाण. ८ AE दाइज. ९ E पलोयउ. १० CD बाहुभीसु. ११ C एमहिं. १२ C इक्क.
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