Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society

Previous | Next

Page 232
________________ वत्त] शब्दकोशः [वंचेव वत्त-पत्र I, 10, 4; VIII, 15, 10. वरीस-वर्ष (संवत्सर ) IX, 21, 22. वत्त-वक्त्र I, 10, 4; IV, 12, 8. (lengthened for metre ) वत्त-वृत्त (वार्ता) VII, 3, 6. वल-वल् (चलने)°इ, V, 1, 12, VI, 14, 4. वत्थ-वस्त्र III, 8, 15; III, 11, 11; VI, वलक्ख -घलक्ष (धवल) VI, 13, 7.(Pai.164) 9,2. वलग्ग-अवलग्न VI, 13, 12. वत्थावहार-वस्त्रापहार VII, 10,5. वलिय-वलित (चलिय); बलीयस् वा III,12,10. वद्दल-वार्दल (मेघ) IX, 25, 5. (दुर्दिन D. वलोइय-अवलोकित IX, 18, 21. VII, 35; H. M. वादल or बादल). वल्लहराय-बल्लभराज पु. I,3,2. *वमाल-तुमुल VII, 7, 11, (बमाल D. VI, वल्लीहर-वल्लीगृह I, 7, 2. 90. वमाल-कलकल Pai. 47, मेलापक or *वल्लरिया-मांसपेशी शुष्कमांस टि. III, 3, 2. कोलाहल टि.) (वल्लर-गहन, क्षेत्र etc D. VII, 86; Pai. वम्म-वर्मन् III, 15, 10. 353; वल्लरी, विल्लरी-केश D. VII, 32; वम्मह-मन्मथ I, 7,3; III, 4, 17 ( Hem. वल्लरी-लता Pai. 346.) ___I, 242; II, 61.) ववहार-व्यवहार III, 3,6; VI, 11, 11. वम्महवेय-मन्मथ+वेग VIII, 10, 9. वसण-व्यसनI, 3, 9, I, 8, 7; VII, 5,9. वम्मुल्लरण-वर्म+छेदक VII, 14, 4, (मर्मवेधक वसंगअ-वशं+गत III, 14, 10. see जस; उल्लर-तुड (त्रुट् ) Hem. IV, 116; वसंततिलय-°क, वननाम, VII, 11, 11. also see लूरण.) वसंतमाल-°ला, स्त्री, IV, 6, 7. वय-वक I, 6, 6. वसिट्ठ-वाशिष्ठ, पु. III, 3,3. वसियरण-वशीकरण III, 1, 10. वय-व्रत I, 12, 3. वसुणंदय-वसुनन्दक (Sword ) VIII, 3, 8. वयछाय-व्रतछाय (°शोभ) IX, 20, 3. वसुमइ-°ती (पृथ्वी) I, 14, 2. वयण-वदन I, 1,93 V, 2, 10. वसुमइ-°ती, स्त्री, IX, 16, 7. वयण-वचन I, 5, 1; I, 13, 1; VI, 5, 4. वसुयत्त-वसुदत्त, पु. IX,16, 7. वयणराअ-वदन+राग VIII, 16 9. वसुंधरि-वसुंधरा, स्त्री, VI, 11, 5. वयहल-व्रत+फल IV,5,1. °वह-°पथ III, 17,6; VI, 1, 3. वयंसी-वयस्या II, 2, 14; VIII, 4, 12. वह-वध VI, 1, 3. (Pai. 190). वह-वध् (हन्) हेप्पिणु VII, 15, 3. वरइत्त-वरितृ (पति) I, 17, 1; IV, 8,6%; वहिज-वध् ( कर्मणि ) °इ III, 2, 10. ___VIII, 4, 5, (आभिनववर; D. VII, 44.) वहु-वधू I, 3, 5; I, 16, 8. वरण-वारण VI, 3, 6. वंकइ-वक्रयति II, 14, 10. वरपत्त-वर+पात्र IX, 20, 19. वंकत्तण-वक्रत्व III, 10, 10; III, 11, 3. वराअ, य-वराक VI, 13, 18; VII, 15, 935 वंकाणण-वकानन III, 14,3. IX, 9, 12. वंकावइ-वक्रयति VI, 4, 12. वराडी-वराटिका III, 13, 3. वंच-वञ्च् °इ VI, 14, 4. वरिट्ठ-वरिष्ठ I, 13, 4. वंचिय-वञ्चित II, 6, 20. वरिस-वर्ष (देश) IX, 16, 4. वंचेवअ-वञ्चनीय III, 2, 12. --- १६३ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280