Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society
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ADDENDA ET CORRIGENDA.
Chapter
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Kad. 11 17
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For देसहो लेहि जो कतह धम्मिलगय कर णयसंचार अलिकेसहिं दाणंबुणिज्झरइ अजियमहंतहिं
Read देसहो लहु लेहि जो कंतहे धम्मिल गय करु णयणसंचारु अलि केसहिं दाणंबु णिज्झरइं अजिय महंतहिं
10000
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होइ
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तिक्ख पक्ख° विलासिणि °णिग्घोसें पणइणिपरिमिएण दिदणह मंचारूढियए के तुम्हदं बरकरि णाहिउ पुष्फयंतदिसि
सम्मत्तु कुत्थिर
तिक्खपक्ख विलासिणी °णिग्घोस पणइणि परिमिएण दिट्ट णह मंयारुढिबए के म्ह्इं वरकरिणा हिउ पुप्फयंत दिसि दिढ समत्तु कुच्छिउ धरु जायवि बधंति °वयणा "विहुसणु अंतेडरु अंतउरु वाहिगइंदउ तुहं हाणा ससरु पवत्तु पहु भूमि
घरु
00000002 1
जाएवि बंधति °वण्णा
विहूसणु
अंतेउरु अंते उरु वाहि गइंदउ
तुहुँ
हीणो
ससुरु
पवुत्तु पहृभूमि
- २०९ -
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