Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society
________________
सरण]
णायकुमारचरिउ
[सम्माइय
सभोअ-स्व+भोग IX, 17,34. सम-शम I, 11,8; IX, 21, 43. सम-श्रम III. 14, 4. समग्घविअ-सम्+अर्पित V, 2, 4. (अग्घ-रा । ___Hem. IV, 100.) समच्च-सम्+अर्च °च्चिवि IX, 21, 3. समाजअ-समाजैत IX, 12, 11. समण-श्रमण VI, 3,10. समत्ति-समाप्ति I, 16, 2; IX, 3, 6. समप्प-सम्+अर्पय् °मि III, 7, 133; °इ V, 1,
11.
सणर-स्व+नर VI,8, 2. सणाहि-स्व+नाभि II; 1,6, सणिच्छर-शनैश्चर (ग्रहनाम) III, 17, 12;IV, __10, 2; (Hem I, 149). सणियड-ख+निकट VI, 2, 11. सण्णज्झ-सम्+नह् ( कर्मणि )°इ VII, 5, 21;
(Hem. II, 26.) सण्णद्ध-सन्नद्ध V, 4, 20. सणंझंत-सन्नह्यमान VII, 6, 1. सण्णास-सन्यास IV, 2, 18; VIII, 13, 8. सण्णाह-सन्नाह VI, 4, 2. सण्णिह-सन्निभ I, 3, 7; I, 6, 9. सण्णिहिय-सन्निहित I, 8,3; VI, 15, 3. सण्हाण-स+स्नान IX, 17, 25. सतेअ-स्व+तेजस् VIII, 12, 1. सत्त-सप्त I, 1, 9; VII, 11,7; IX,5, 13. सत्त-सक्त IX, 7, 4. सत्तच्चि-सप्तार्चिः (अग्नि) IV, 9, 12. सत्तभउम-सप्त+भौम III, 1, 9. सत्ति-शक्ति I, 8, 2; III, 3,11, IX, 2, 3. सत्तु-शत्रु III, 3, 15; VI, 12, 14; IX,
25,12. सत्थ-शास्त्र III, 1, 6; III, 1, 16; III, 2,
3; VII, 2, 4; IX, 12, 6. सत्थ-(1) शस्त्र (2) शास्त्र VII, 6, 5. सत्थ-शस्त्र VIII, 14, 7. सदिट्ठः-सदृष्टि ( सम्यग्दृष्टि) IX, 12, 9. सद्द-शब्द II, 1, 10; VI, 2, 10, IX,8,8. सद्दवियार-शब्दविचार VII, 1, 7. सद्दिय-शब्दित VI, 12, 8. सधअ-स+ध्वज III, 16, 4. सपसाअ-स+प्रसाद III, 13, 7. सप्प-सर्प II, 3, 15. सप्पुरिस-सत्पुरुष VIII, 9, 1. ( Them. I,
111.) सबरी-शबरी V, 11, 14. सबंधण-स्व+बन्धन VII, 1,18.
समर-शबर V, 10, 20; V, 13, 6. समरि-शबरी V, 13, 6. समलहण-संवाहन IX, 20, 13. समंजस-समञ्जस I, 3, 13. समंति-स्व+मन्त्रिन् IV, 1,5. समायअ-समागत III, 9, 5. समायारअ-समाचरित II, 8, 9. समासिअ-समाश्रित IX, 6, 3; IX, 12, 11, समाहि-समाधि II, 3, 20; IX, 4, 84. समिइ-समिति ( see notes ) IX, 4,8. समिदि-समिति I, 12, 3. समिद्ध-समृद्ध IV, 4, 6. समिद्धि-समृद्धि IX, 3,5. समिअ-शमित I, 8 1; I, 11, 6. समीरिअ-समीरित III, 5, 15. समुजव-समुद्यम III, 2, 1. समुज्जोय-समुद्योत VI, 13, 17. समुट्टिअ-समुत्थित III, 16, 9; V 12, 13. समुत्तिपएस-स्वमुक्ति+प्रदेश IX, 17, 40. समुद्ध-सम्+ऊर्ध्व IX, 21, 5. समुह-ख+मुख समूह वा II, 10, 2. सम्मइ-सन्मति I, 8, 13. सम्मगा-सन्मार्ग IX, 20, 2. सम्मत्त-सम्यक्त्व IV, 3, 4; IX, 2, 7. सम्माइटि-सम्यग्दृष्टि IV, 3, 4. सम्माइय-समायात VI,2,3. (H. मन में समाना).
- १६८
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280