Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society
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पुप्फयंतविरइयउ
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The letter is from Abhichandra, king of Gajapura, requesting Nagakumara for help against Vidyadhara Sukantha who had killed his brother Subhachandra of Kausambi and captured his seven daughters.
गयउरवणा उज्झियदप्पे चंदमुर्हे चंदाहावर्णे कुरुकुलपविउलणहयलचंदें सो मयरद्धपण अवलोइंड उववणणवदुमकीलियसुरवरे महु सुहचंदु भाइ गरुयोरउ ताहे' सुहद्दहे तेण विणीयउ
कमलप्पह कमला सुहमाणण आणंदप्पह णायसिरी सइ कणयमाल एयउ सत्त वि लह पत्तवसंतसमए विहसंतिउ दिउसो खयरें कण्णउ गंपि अलंघणयरे महमंदहो वज्जोयरिदेव पाणेसे कुलसकंठरुप्पिणिसुंयताएं
घन्ता - देव णियाउ आउ मारिवि भाइ महारउ ।
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पहु तुहुं दुत्थियमित्तु मई तुम्हहं कउ कूवारउ ॥ ११ ॥
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Nagakumara chivalrously responds to the request and meets Sukantha.
पिसुणिउ तुह जसु वरकइकव्वें
पिसुणिउ तुह जसु तंतीस
णिसुणिउ मई माहयलि पायालए
।
रयणमालघरिणीकंद मुयभायरकयसोयवियप्पै । लेहु विसजिउ जो अहिचंदे ।
एम कज्जु आहासह वाईउ । वच्छाजणव कोसंबी पुरे । वसइ सुहद्दापाणपियारउ । णिसुणि सत्त संजायउ धीयउ । कमलसिरि वियसियकमलाणण । कॅणउज्जल उज्जल पाडलगइ । आयणहि कुमार विहिवसगइ । वणे वसंततिलयम्मि रमंतिउ । मरगयमणिचामीयरवण्णउ । कहियउ तेण सुकंठखगिंदहो । णहयलगमणे जमभडवेलें । आवेष्पिणु णहयरणरराएं ।
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11. १E° यउ २ E गरुआरउ. ३ E "हि. ४ D कणयकंति. ५ C पत्ते. ६ Eसुअ, १ Comits first three feet of this कडवक
12.
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[7. 11. 1
गाइएण सुइमरें दिव्वें । पिसुणिउ तुह जसु बंदिण णद्दे । विसहरेर्हि देवहि सग्गालए ।
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