Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society
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पचार ]
*पच्चार-उप+आ+लम्भ, °इ, IV, 15, 2; VI, 14, 5; ( Hem. IV, 156. ) *पच्चारिअ - भणित, टि. III, 5, 14, VII, 2, 14.
पच्छइ, ए- पश्चात् IV, 14, 4; V, 8, 4; IX, 24, 8.
शब्दकोश:
पच्छल - पक्ष्मल III, 14, 6. पच्छाताव-पश्चात्ताप III, 15, 5. पजाअ - प्रजात IX, 17, 2. पजालंसु - प्रजाल + अंशु IX, 17, 21. पज्जलिअ, 'य-प्रज्वलित IV, 10, 1; VIII, 8,
12.
पट्टण - पत्तन IV, 8, 2.
पट्ठव - प्र + स्थापय्, ° हि IV, 14, 1. पट्टविअ, 'य- प्रस्थापित I, 16, 6; III, 13, 14; V, 6, 12.
पढ- पठ्, इ IX, 6, 7.
पढंत - पठत् III, 1, 4.
पढिय - पठित VI, 15, 11.
पड पट I, 14, 10; VI, 7, 3; VIII, 5, 14. पड-पत्, 'डंति I, 18, 3; °डिवि III, 6, 15. पडण - पतन IX, 25, 7.
पडल-पटल I, 11, 2; IV, 4, 11.
पडह - पटह I, 18, 4; II, 9, 5; III, 1, 7.
( M. पडह ).
पडत- पतत् I, 16, 3.
पडावीयण-पट + आव्यजन IX, 17, 17. पडि - प्रति III, 17, 4 (Hem. I, 206 ). पडिअ य - पतित I, 6, 14, V, 9, 13; VII, 1, 13.
4.
पडिखडिय, लिय- प्रति + स्खलित IV, 10, 6; IV, 15, पडिखल - प्रति + स्खल, इ V, 3, 4; VI, 14, 4.
पडिगह- प्रति + प्रह्, °इ IX, 20, 19. पडिगाहिज्जइ - प्रीत + गृह्णीयात् IV, 3, 9.
नाग.... १९
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[ पत्त
पडिच्छिय, अ- प्रति + इष्ट II, 12, 3, V, 12, 5; VI, 7, 1.
पडिजंप - प्रति + जल्प, इ I, 5, 2; III, 7, 13. ( see जंप ). पडिणिग्गअ - प्रति + निर्गत VI, 7 12 . पडिणिहि - प्रतिनिधि III, 3, 9. पडिबिंब - प्रतिबिम्ब I, 15, 14; V, 11, 6. पडिवोहिअ - प्रति + बोधित IX, 19, 7. पडिभड - प्रतिभट IV, 14, 11.
पडिम- प्रतिमा ( a tech. term of Jain Philosophy. See Notes ) I, 12, 6. पडिल - प्रतिमल IV, 11, 11. पडिम्म प्रतिमा IX, 21, 25. पडिवक्ख प्रतिपक्ष IV, 7, 11, IV, 14, 10. पडिवज - प्रति + पद् °मि I, 5, 2; °ज्जिवि IX, 24, 12.
पडिवण्ण-- प्रतिपन्न 1, 2, 5; II, 14, 2; III, 13, 12.
पडिवत्ति प्रतिपत्ति V, 10, 5; VI, 1, 10. पडिवित्त- प्रतिवृत्त ( ? ) IX, 21, 83. पडिविहाण - प्रतिविधान III, 3, 9. पडिहार - प्रतिहार III, 5, 9; IV, 14, 8; V 12, 10.
पदि - प्रति + इन्द्र IX, 13, 3. पन्ति - प्रत्युक्ति III, 7, 10. पणइणि-प्रणयिनी I, 14, 7. पणय, अ-प्रणय I, 2, 5; I, 17, 1; II, 14, 2.
पणअ-प्र + णत IV, 6, 11.
पणविय, अ- प्र + नमित I, 2, 3; I, 9, 3. पणवमाण- प्र + नमत् VII, 9, 2. पणविज- प्र + नम् (कर्मणि ) ° इ, IV, 3, 11. पणवेष्पिणु प्र + म् + ल्यप् I, 1, 1.
पण्णय - पन्नग II, 12, 6.
पण्णास - पञ्चाशत् V, 11, 7.
पत्त - पात्र IV, 2, 17.
पन्त - प्राप्त III, 10, 9, IV, 8, 6; VII, 10, 13.
१४५
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