Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society
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पवणवेउ] णायकुमारचरिउ
[पंचविह पवणवेउ-पवनवेग, पु. VIII, I2, 13.
पसाहण-प्रसाधन (शस्त्र ) V, 4, 23. पवण्ण-प्रपन्न VI, 7, 8.
पसाहिअ-प्रसाधित I, 15, 9; V, 12, 8. पवत्त-प्र+वृत, °इ VII, 3, 4.
पसियउ-प्रसीदतु I, 1, 10. पवयण-प्रवचन VI, 5, 4.
पसु-पशु IX, 9, 4. पवर-प्रवर I, I4, 73 VI, 9, 6.
पसुत्त-प्रसुप्त II, 7,4. पवरत्थ-प्रवर+अर्थ III, 1,16.
पह-पथिन् I, 6, 10; I, 10, 13; V, 2, 14, पवल-प्रबल I, 11, 7.
°पह-प्रभा II, 5, 13. पवहंत-प्रवहत् VII, 3, 1.
पहण-प्र+हन् °मि III,15,18°णिवि VI, 7,10. पवंच-प्रपञ्च IX, 18, 10; IX, 21, 28.
पहत्थ-प्रभा + स्थ (व्याकल. टि.) Ix.18.12. पवास-प्रवास I, 4, 5.
पहर-प्रहर I, 11, 1. पविउल-प्र+विपुल I, 1, 12; I, 6, 1, III, पहर-प्र + हृ, °F VII, 3, 4. 4, 13.
पहरण-प्रहरण II, 2, 4: III, 1,6. पविण्णविअ-प्र+ज्ञापित I 2, 10.
पहरंत-प्रहरत् VII, 14, 10. पवित्त-पवित्र IX, 7, 8.
पहवंत-प्रभावत् VI, 4, 10. पवित्थर-प्र+विस्तर III. 14.6.
पहसिय-प्रहसित VIII, 2,7. पवियंभ-प्र+वि+जृम्भ , °इ IX, 15, 1.
पहंतर-पथान्तर II, b, 10. पविरइय-प्र+वि+रचित III, 11, 11.
पहा-प्रभा II, 11,83 IX, 17,22, पविलंबिय-प्र+वि+लम्बित V, 4, 20.
पहाण-प्रधान I, 17,9; IV, 12,4; 7, 2,11. पवीण-प्रवीण V, 7, 10.
पहार-प्रहार VII, 7,9. पवुच्च-प्र+वच् (कर्मणि)°इ III, 6, 14. पहाव-प्रभाव II, 3, 11. पवुड्डि-प्रवृद्धि III, 6, 9.
पहिय, °अ-पथिक I, 6, 10; IV, 12, 12; पवुत्त-प्र+उक्त I, 3, 9; VII, 4, 12. ___VIII, 2, 1. पव्व-पर्वन् IV, 2, 16.
पहिट्ठ-प्रहृष्ट II, 5,8. पव्वइय-प्रत्राजित IX, 24, 1.
पहिल-प्रथम I, 5,8 (H. पहिला). पव्वजा-प्रव्रज्या VI, 15, 2.
पहिलारअ-प्रथम तर I, 6, 1 ( M. पहिलाळू ). °पसत्त-प्रसक्त II, 6, 17.
पहु-प्रभु I, 4, 3; I, 11, 2, I, 15, 11; V, पसत्थ-प्रशस्त I, 8, 8; II, 11, 8; IX, ___10, 13. 21, 29.
पहुत्तण-प्रभुत्व IX, 2, 3. पसमिज-प्र + शम् (कर्मणि ) °इ IV, 9, 13.
पहुपुरउ-प्रभु + पुरतः VII, 6,3. पसर-प्र+सू, °इ III, 12,8.
पंकअ-पङ्कज I, 2, 10. पसर-प्रसर I, 3,6%3 I, 11, 7.
*पंगुर-प्रा + वृ, °इ I, 7, 4 ( Hem.I,175. पसरंत-प्रसरत् I, 3,5%; I, 8, 1; II, 8,8. ___old M. पांगुरणे, mod. M. पांघरणे). पसरिअ, य-प्रसृत II, 9,5; III, 17, 73; पंगुल-पङ्गु + ल (स्वार्थे) IV, 4, 2. ___VI, 4, 11.
पंचत्त-पञ्चत्व VIII, 15, 5. पसंग-प्रसङ्ग I, 7, 6.
पंचत्थिकाय-पञ्च + अस्तिकाय (tech. term; पसाअ, °य-प्रसाद II, 6, 103 VI, 12, 133 see Notes ) I, 12, 2. VI, 17,9,
पंचविह-पञ्च + विध VI, 3, 7.
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