Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society

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Page 160
________________ 8. 16. 3. ] णायकुमारचरिउ घत्ता-पंच वि भाभांसुर जियदेवासुर रयणविहूसणपरियरिय। जगे णायणयाणय परिपालियपय लोयवाल णं अवयरिय ॥ १४ ॥ 15 Pavanavega meets his death at the hands of Nagakumara. णं पंच वि पंडव अइपयंड णं पंच हत्थि मयागलगंड। णं पंच सीह णं पंच जलण णं पंच मेरु संजायचलण । ण पंच वि मयणहो पंचबाण पंच वि धाविय उग्गयकिवाण । पंचहिं हयगयरहरहिय दलिय णं पंडुसुयहिं रणि कुरु व मलिय । पंचेंडे वि रिउडे गलवेवियाई पंचत्तहो णीयई जीवियाई। दलियाई रहंगई रहवराह गजिय गय गयगंधेण ताहं । पहरंतह जायंधरिणराहं रहरहिय ण याणिय कहिं गयाहं । हय हय मुहफेडें थिप्पमाण हिलिहिलिअंतावलिगुप्पँमाण । कएं सेण्णभंगे सई वाउवेउ अभिडिउ भडहं भंडणे अजेउ । जायंधरिणा ओसरिवि सरिवि असिणांसिवत्तु णिवडंतु धरिवि । हउ विण्णाणेण लहेवि रंधु छिजंतु दुट्ठकंठट्ठिबंधु । उच्छलिउ रुहिरु धाराए सरलु पडियउ सिरु णाई सणालु कमलु । घत्ता-उल्हाविउ वइरिहे मणगयखेरिहे" कोवहुवासणु पजलिउ । __ असिवाणियधारए परदुबारए णियपरिहवपडु विच्छलिउ ॥१५॥ 10 16 Submission of the warriors, marriage of the maidens, restoration of the kingdom to their brothers and Nagakumara's return to the Pandyan capital. जाणिउ कण्णापरितायणेण आएं भडणियरें तोयणेण । विण्णविउ रोउ जयलच्छिकामु तुहुं अम्ह सामि पञ्चक्खु कामु । पहुणा रामेण व वाणरोह किंकरयणु इच्छिउ वा णरोहु । ७ AB भासुर. 15. १C omits this foot. २ E पंच विणं मयणहो. ३ ABC omit this line. ४ Cपंचहं. ५ ABC omit this line; E पहरंतहिं. ६ C यंतावलि. ७ D गुप्फमाण, ८CE कय° ९ C अभिडइ. १० E आणा. ११Cखहिरे. १२ E विच्छलिउ. 16. १० भायणेण, २ C सउ. ३ C पञ्चक्ख. - ९१ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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