Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society

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Page 148
________________ 7. 14.7.] णायकुमारचरिउ तं णिसुणेप्पिणु गउ जायंधरि हरिणगंधलुद्धउ णं केसरि। सहुं परिवार णिउ खगपुरिसंहिं कणयविमाणे वड्डियहरिसहि । पिहिउ अलंघणयरु चउरंगहिं भडमायंगरहेहिं तुरंगहिं । घत्ता-ता णीसरिउ सुकं वइकंठु व परबलहरु। चावविहूसियदेहु सर मुअंतु जिह जलहरु ॥ १२॥ 13 Nagakumara's rebuke and Sukantha's retort. णवजलहरेहिं वे जललव मुअंतेहिं दढकढिणपविवलयपरिबद्धदंतेहिं । रणझणियमणिकिंकिणीसोहमाणेहिं अणवरयपरियलियकरडयलदाणेहिं । सोवण्णसाडीणिबद्बुद्धचिंधेहि करणासियागहियगयणाहगंधेहिं । दंतग्गणिभिण्णहरिणरवरंगेहिं भूगोयरा खेयरा थिय मयंगेहिं । भणियं कुमारेण कयतियसतोसेण पाविट्ठ खद्धो सि एएण दोसेण । परधरणिपरतरुणिपरदविणकंखाए मरिहीसि दुच्चार खलचोरसिक्खाए। लवियं सुकंठेण मा मरसु ओसरसु णियजीवियाकाम कामिणिसुहं सरसु। . घत्ता-ता दोहिं मि कुद्धेहिं णिल्लुरियपरविक्कम । मुक्का दीहर बाण कोवजलणजालासम ॥१३॥ 14 The fight and Sukantha's end. धरियलोह तेण जि ते गुणचुय उजुय तेण जि ते मुक्खुचय । चित्तविचित्त तेण ते चलयर पेहुणवंत तेण ते णहयर। धम्माविमुक्क तेण ते हयपर रोसविसिण्ण तेण ते दुद्धर । तिक्ख तेण ते वम्मुल्लूरण सहल तेण ते आसाऊरण । चलइण वइरि खद्ध खयकाले रुद्ध पयाबंधुरसरजालें। ऍत्तहिं वालपमुहभडवीरहिं परबलु जित्तउ संगरि धीरहिं । तहिं अवसरि करि करिणा जित्तउ दंतिहिं भिंदिवि महियलि चित्तउ । २ E °सिहिं. ३ E मुवंतु. 13. १E °व. २ E पुणु. ३ AC णिबद्धद्ध . ४ E दंताग्ग. ५ C अरि. ६ E जीवियं. 14. १CE अज्जुण. २ B मुक्खज्जुय. ३ D पहुणवंत तेण जिते. ४ E विसण्ण. ५ E आसालूरण. ६ A तुट्ट. . ABC omit this line. ८ A जुत्तउ. Jain Education International, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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