Book Title: Nayakumarchariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society
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8. 12. 5.]
णायकुमारचरिउ वजइ अदत्तु णियपियरवणु
जो ण घिवइ परकलत्ते णयणु। जो परहणु तिणसमाणु गणइ जो गुणवंतउँ भत्तिए थुणइ । घत्ता-एयई धम्महो अंगई . जो पालइ अविहंगई ।
सो जि धम्मु सिरि तुंगई अण्णु कि" धम्महो सिंगई ॥ १० ॥
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11
On inquiry the sage relates the history of Vanaraja's ancestors. आउच्छिउ पुणु मयणेण जइ
वणराउ चिलाउ किं ण णिवइ । किं णरवइ कहिं वि वसंति वणे णउ फिट्टइ वट्टइ भंति मणे । ता पभणइ मुणि सुणि विविहघरे सुपसिद्धपुंडवद्धणणयरे। अवराईउ महिवइ छिण्णदुहु
सो सोमवंसरुहु सोममुहु। देविउ सच्चवइ वसुंधरिउ
णेहुजल सासवसुंधरिउ । तहे एकहे अइवलु भीमवलु
अण्णेकहे गंदणु दलियखलु । रिसि जायउ इंदियपसरु हिउ
अवराइउ रज्जु मुएवि थिउ । भीमाबलि भुयबलि चौलियउ
अइबलहो रजु उद्दालियउ। अइबलु बलेण सहुं णीसरिउ
एत्थेत्थ बप्प सो अवयरिउ । धत्ता-कुसुमियफलियमहावणु वण्णफुल्लविविहावणु।
10 वहुववहारपवट्टणु एउ तेण किउ पट्टणु ॥ ११ ॥
12 Nagakumara sends Vyala against Somaprabha, king of Pundravardhana
for getting the kingdom restored to Vanaraja. एत्तहिं सो राणउ भीमबलु
जामच्छइ पालियधरणियेलु । ता तासु महाभीमंकु हुउ
तगुरुहु णं सुरवरु सग्गचुउ । तहो सोमप्पहु णं णवतरण
सो संपइ तहिं पालइ धरणि । तिहिं एत्यु वि रायहो अइबलहो सुउ जाउ महाबलु परबलहो । तहो जायउ णंदणु गुणभरिउ
वणराउ णाई सुरु अवयरिउ । 5 ९ C संखाहिउ तिणसमाणु. १० C°हं. ११ । वि. 11. १ A कन्न. २ E° रायउ, ३ E° हि. ४ A वालियउ. ५ D° हु. 12. १० एत्तहे. २ ABD धरणिछलु. ३ ABCE omit this and the following line.
नागकुमार....९.
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